भारतीय कंपनियाँ आजकल एक नई दौड़ में शामिल हो गई हैं और वह है लोकल AI मॉडल्स और टूल्स के निर्माण की। इसे केवल एक तकनीकी प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। वर्तमान समय में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने दुनिया भर में तकनीकी विकास को एक नई दिशा दी है। जहां एक तरफ पश्चिमी देशों की कंपनियाँ जैसे OpenAI और ChatGPT AI क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत भी इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। यह बदलाव सिर्फ व्यवसायिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और तकनीकी सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
भारतीय कंपनियाँ इस समय लोकल AI मॉडल्स के निर्माण की दौड़ में शामिल हैं। यह कदम एक तकनीकी प्रतिस्पर्धा से कहीं बढ़कर, एक राष्ट्रीय रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। 6 मार्च को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 'इंडिया AI मिशन' के तहत 'AI कोशा' को लॉन्च किया, जो एक राष्ट्रीय डेटा प्लेटफॉर्म है। इसका उद्देश्य मंत्रालयों और विभागों से गैर-व्यक्तिगत डेटा एकत्र करके AI मॉडल्स और टूल्स का निर्माण करना है। इसके साथ ही 'कॉमन कंप्यूट' पोर्टल भी लॉन्च किया गया है, जिससे स्टार्टअप्स और शैक्षिक संस्थाएँ GPUs (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स) जैसे उच्च-स्तरीय कंप्यूटिंग संसाधनों का उपयोग कर AI मॉडल्स बना सकें।
इंडिया AI मिशन: भारत का महत्वपूर्ण कदम
भारत सरकार ने 2023 में 'इंडिया AI मिशन' की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य 'भारत में AI बनाना और भारत के लिए AI को कार्यान्वित करना' है। इस मिशन के तहत कई पहल की गईं हैं, जिनमें प्रमुख पहल 'AI कोशा' और 'कॉमन कंप्यूट पोर्टल' हैं। 'AI कोशा' एक राष्ट्रीय डेटा प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य भारतीय संदर्भ और भाषाओं में उपयुक्त AI मॉडल्स विकसित करना है। भारतीय संदर्भों को ध्यान में रखते हुए, इस प्लेटफॉर्म पर भारतीय भाषाओं में AI टूल्स को अनुकूलित किया जाएगा।
'कॉमन कंप्यूट पोर्टल' का उद्देश्य छोटे और मझोले स्टार्टअप्स और शैक्षिक संस्थाओं को GPU जैसे महंगे संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि वे बिना ज्यादा निवेश के AI मॉडल्स और टूल्स विकसित कर सकें।
स्थानीय AI की जरूरत क्यों?
वर्तमान में, अधिकांश AI टूल्स पश्चिमी देशों के डेटा पर आधारित होते हैं, और ये मुख्यतः अंग्रेजी और अन्य पश्चिमी भाषाओं के लिए डिजाइन किए जाते हैं। इसके कारण, जब इन टूल्स का उपयोग भारत जैसे विविध भाषाओं और संस्कृतियों वाले देशों में किया जाता है, तो वे पूरी तरह से प्रभावी नहीं होते। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं और हजारों बोलियां हैं, और यहाँ इंटरनेट उपयोगकर्ता अपनी मातृभाषाओं में इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इसलिए, भारतीय संदर्भ और भाषाओं के अनुरूप AI मॉडल्स की आवश्यकता है। 'AI कोशा' जैसे प्लेटफार्मों का उद्देश्य भारतीय भाषाओं और संदर्भों के अनुरूप मॉडल्स और डेटा सेट्स का निर्माण करना है।
AI की बढ़ती मांग और GPUs की अहमियत
AI मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए उच्च-स्तरीय कंप्यूटिंग संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिनमें GPUs (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स) प्रमुख हैं। ये संसाधन बड़े डेटा सेट्स पर तेजी से गणना करने में मदद करते हैं। हालांकि, GPUs महंगे होते हैं और छोटे स्टार्टअप्स के लिए इन्हें खरीद पाना मुश्किल होता है। इस समस्या को हल करने के लिए 'कॉमन कंप्यूट पोर्टल' की शुरुआत की गई है, जिससे स्टार्टअप्स और शोधकर्ता इन संसाधनों का उपयोग करके AI मॉडल्स का निर्माण कर सकें।
भारत में AI मॉडल्स का स्वदेशी विकास
AI के विकास में उच्च निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से जब बात फाउंडेशनल मॉडल्स की हो। भारत सरकार इस क्षेत्र में स्वदेशी AI मॉडल्स के विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल कर रही है। इसके अंतर्गत 'इंडिया AI मिशन' के तहत भारतीय स्टार्टअप्स और कंपनियों को फाउंडेशनल AI मॉडल्स बनाने के लिए आवेदन भेजने का मौका दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप 67 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
AI सुरक्षा और नैतिकता
AI के बढ़ते उपयोग के साथ, इसके सुरक्षा और नैतिकता के मुद्दे भी महत्वपूर्ण हो गए हैं। AI के अनुप्रयोगों में संभावित जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, 'AI सुरक्षा संस्थान' की स्थापना की योजना बनाई जा रही है, जो AI के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करेगा।
भारत का AI भविष्य
भारत का AI भविष्य रोमांचक और चुनौतीपूर्ण है। सरकार और उद्योग मिलकर AI के विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। भारतीय कंपनियाँ अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि AI मॉडल्स और टूल्स के निर्माता बनना चाहती हैं। इसके साथ ही, सरकार के निवेश और पहलों से यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत का AI क्षेत्र भविष्य में वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने के साथ-साथ भारतीय उपभोक्ताओं की विशिष्ट जरूरतों को भी पूरा करेगा।
इससे यह स्पष्ट है कि AI की दौड़ सिर्फ एक आर्थिक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय रणनीति है, जो भारत को तकनीकी दृष्टिकोण से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाएगी।