सैटेलाइट नेटवर्क के दिन दूर नहीं, सरकार ने बनाया बड़ा प्लान Date : 02-Oct-2024 TRAI ने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को बढ़ावा देने के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिससे यूजर्स को बिना नेटवर्क के कॉलिंग और इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी। स्पेस एक्स, एयरटेल, जियो और अमेज़न जैसी कंपनियां इस प्रक्रिया में शामिल हो सकती हैं। 18 अक्टूबर तक सभी स्टेकहोल्डर्स से जवाब मांगे गए हैं। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है। इसके बाद सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस की तरफ एक कदम आगे बढ़ा दिया गया है। यूजर्स के लिए बिना नेटवर्क के कॉलिंग और इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल करना आसान हो गया है। क्योंकि देश में सैटेलाइट इंटरनेट की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। TRAI की तरफ से हाल ही में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को लेकर कंसल्टेशन पेपर जारी किया गया था। कंसल्टेशन पेपर में सैटकॉम स्पेक्ट्रम असाइनमेंट से संबंधित 21 सवाल शामिल किए थे। स्पेक्ट्रम को लेकर लगातार सरकार की तरफ से कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि बहुत जल्द लोगों को खराब नेटवर्क की समस्या से छुटकारा मिलने वाला है। अगर ये एक बार रोल कर दिया जाएगा तो आसानी से कॉलिंग और इंटरनेट की सुविधा हासिल की जा सकती है। ट्राई का कहना है कि स्टेकहोल्डर्स 18 अक्टूबर तक इससे संबंधित जवाब दे सकते हैं। हालांकि अभी तक इससे संबंधइत ज्यादा जानकारी तो हासिल नहीं हुई है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसमें एयरटेल, जियो, स्पेस एक्स और अमेज़न जैसी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। अगर ऐसा होता है कि एलन मस्क की तरफ से भारत में धमाकेदार एंट्री हो सकती है। SpaceX की बात करें तो ये पहले ही सैटेलाइट इंटरनेट पर तेजी से काम कर रही है। अमेरिका से लेकर कई देशों में इसकी सर्विस को हरी झंडी दिखा दी गई है। क्या है सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ? सैटेलाइट सर्विस की बात करें तो जैसा नाम है, उसी की तरह ये सर्विस है। ये एक ऐसी सर्विस है जिसका इस्तेमाल करने के लिए आपको मोबाइल नेटवर्क की जरूरत नहीं होती है। वॉर वाले इलाकों में ऐसे नेटवर्क का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग इन नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन की बात करें तो भी वहां सैटेलाइट नेटवर्क उपलब्ध है। ऐसे में यूजर्स का काम काफी आसान होने वाला है। एक बार ये नेटवर्क आने के बाद आपको नेटवर्क न मिलने की समस्या का भी सामना नहीं करना होगा। Read More
बृहस्पति के उग्र चंद्रमा आयो पर ध्रुवीय ज्वालामुखी ज्वारीय तापन के रहस्यों को उजागर करते हैं Date : 01-Oct-2024 आयो पर ज्वालामुखी गतिविधि को दर्शाने वाला यह समग्र दृश्य नासा के जूनो अंतरिक्ष यान द्वारा 1 मार्च, 2023 को जोवियन चंद्रमा के पास से गुज़रने के दौरान एकत्र किए गए दृश्य प्रकाश और अवरक्त डेटा दोनों का उपयोग करके बनाया गया था। चंद्रमा का दृश्य (धब्बेदार ग्रे और भूरे रंग में) जूनोकैम इमेजर द्वारा प्रदान किया गया है। लाल, पीले और चमकीले सफ़ेद रंग के ओवरले अंतरिक्ष यान के JIRAM (जोवियन इन्फ्रारेड ऑरोरल मैपर) उपकरण से डेटा है। श्रेय: NASA/JPL-Caltech/SwRI/ASI/INAF/JIRAM कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो पर तीव्र ज्वालामुखी गतिविधि का लाभ उठाकर ज्वारीय तापन के बारे में अपनी समझ को आगे बढ़ाया है, जो ग्रहों के निर्माण और विकास में एक महत्वपूर्ण कारक है। नासा के जूनो अंतरिक्ष यान से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके , टीम ने पाया कि भूमध्य रेखा के बजाय आयो के ध्रुवों पर ज्वालामुखियों की अजीबोगरीब स्थिति, चंद्रमा के आंतरिक ताप विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह अध्ययन आयो के भीतर गतिशील अंतःक्रियाओं पर प्रकाश डालता है और इसी तरह के ताप तंत्र द्वारा संचालित अन्य चंद्रमाओं पर संभावित उपसतह महासागरों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। आयो पर ज्वारीय तापन कॉर्नेल विश्वविद्यालय के खगोलविदों ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो, जो कि हमारे सौरमंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय पिंड है, के नारकीय ज्वालामुखीय परिदृश्य का परीक्षण करके, ज्वारीय तापन - जो कि ग्रह निर्माण और विकास में एक मौलिक प्रक्रिया है - का पता लगाया है। खगोल विज्ञान के प्रोफेसर एलेक्स हेस ने कहा, "ज्वारीय तापन आकाशीय पिंडों के तापन और कक्षीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।" "यह बृहस्पति और शनि जैसे विशाल ग्रहों के आसपास के चंद्रमाओं में उपसतह महासागरों को बनाने और बनाए रखने के लिए आवश्यक गर्मी प्रदान करता है ।" खगोल विज्ञान में डॉक्टरेट की छात्रा और प्रमुख लेखक मैडलिन पेट्टिन ने कहा, "आयो के ज्वालामुखियों के दुर्गम परिदृश्य का अध्ययन वास्तव में विज्ञान को जीवन की खोज के लिए प्रेरित करता है।" आयो की ज्वालामुखी गतिविधि से अंतर्दृष्टि नासा के अंतरिक्ष यान जूनो से प्राप्त उड़ान के आंकड़ों की जांच करके खगोलविदों ने पाया कि आयो के ध्रुवों पर सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो इसके मैग्मा के अंदरूनी भाग में ज्वारीय तापन - जो घर्षण का कारण बनता है - को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। यह शोध 7 सितंबर को जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ । ज्वालामुखी वितरण और अंतःक्रिया पेटिन ने कहा, "बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण अविश्वसनीय रूप से मजबूत है।" "बड़े ग्रह के अन्य चंद्रमाओं के साथ गुरुत्वाकर्षण संबंधों को ध्यान में रखते हुए, आयो को लगातार परेशान किया जाता है, लगातार फैलाया जाता है और सिकोड़ा जाता है। उस ज्वारीय विकृति के साथ, यह चंद्रमा के भीतर बहुत अधिक आंतरिक गर्मी पैदा करता है।" पेटिन ने आयो के ध्रुवों पर सक्रिय ज्वालामुखियों की आश्चर्यजनक संख्या पाई, जबकि भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में यह संख्या आम है। पेटिन ने कहा कि बर्फीले चंद्रमाओं में आंतरिक तरल जल महासागरों को ज्वारीय तापन द्वारा द्रवीभूत रखा जा सकता है। उत्तर में, चार ज्वालामुखियों का एक समूह - असिस, ज़ाल, टोनातिउह, एक अनाम, और एक स्वतंत्र ज्वालामुखी जिसका नाम लोकी है - अंतरिक्ष मिशन और ज़मीनी-आधारित अवलोकनों के लंबे इतिहास के साथ अत्यधिक सक्रिय और लगातार बने हुए थे। एक दक्षिणी समूह, ज्वालामुखी कानेहेकिली, उता और लाकी-ओई ने मजबूत गतिविधि दिखाई। उत्तरी ज्वालामुखियों का लंबे समय तक जीवित रहने वाला समूह एक साथ चमकीला हो गया और एक दूसरे पर प्रतिक्रिया करता हुआ प्रतीत हुआ। पेटिन ने कहा, "वे सभी समान गति से चमकते और फिर मंद हो गए।" "ज्वालामुखियों को देखना और यह देखना दिलचस्प है कि वे एक दूसरे पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।" Read More
वॉट्सऐप कॉल आने पर बजेगा आपका फेवरेट गाना, ऐसे बदलें रिंगटोन Date : 30-Sep-2024 वॉट्सऐप चैटिंग ही नहीं कॉलिंग और फाइल शेयरिंग का भी जरिया है। नेट ऑन रहे तो बहुत से लोग वॉट्सऐप पर भी कॉल करना पसंद करते हैं। वॉट्सऐप पर डिफॉल्ट रिंगटोन से बोर हो गए हैं तो इसे बदलने का विचार बना सकते हैं। जी हां वॉट्सऐप की ओर से यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर वॉट्सऐप कॉल रिंगटोन बदलने की सुविधा भी मिलती है। नई दिल्ली। मेटा के पॉपुलर चैटिंग ऐप वॉट्सऐप का इस्तेमाल अब हर दूसरा स्मार्टफोन यूजर कर रहा है। वॉट्सऐप चैटिंग ही नहीं, कॉलिंग और फाइल शेयरिंग का भी जरिया है। नेट ऑन रहे तो बहुत से लोग वॉट्सऐप पर भी कॉल करना पसंद करते हैं। वॉट्सऐप पर डिफॉल्ट रिंगटोन से बोर हो गए हैं तो इसे बदलने का विचार बना सकते हैं। जी हां, वॉट्सऐप की ओर से यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर वॉट्सऐप कॉल रिंगटोन बदलने की सुविधा भी मिलती है। आप अपने फोन में मौजूद ऑडियो फाइल का ही इस्तेमाल वॉट्सऐप रिंगटोन के लिए कर सकते हैं। इस आर्टिकल में आपको वॉट्सऐप कॉल टोन बदलने के प्रॉसेस के बारे में ही बता रहे हैं- WhatsApp कॉल के लिए ऐसे सेट करें रिंगटोन सबसे पहले आपको फोन पर वॉट्सऐप ओपन करना होगा। • अब ऐप के टॉप राइट कॉर्नर पर मेन्यू पर टैप करना होगा। • अब यहां Settings ऑप्शन पर टैप करने की जरुरत होगी। • यहां आपको Notifications ऑप्शन पर टैप करना होगा। • अब आपको स्क्रॉल डाउन कर Calls पर आना होगा। • अब आपको Ringtone ऑप्शन पर टैप करना होगा। • अब आपको म्यूजिक या ऑडियो फाइल पर टैप करना होगा। • यहां से आप अपना मनपसंद गाना वॉट्सऐप रिंगटोन सेट करें। बता दें, आप वॉट्सऐप पर किसी स्पेसिफिक कॉन्टैक्ट के लिए एक अलग रिंगटोन भी सेट कर सकते हैं- • इसके लिए सबसे पहले वॉट्सऐप कॉन्टैक्ट की चैट पर आना होगा। • अब आपको कॉन्टैक्ट के टॉप बार पर टैप करने की जरूरत होगी। • अब यहां आपको Notifications ऑप्शन पर टैप करना होगा। • यहां आपको call के नीचे Ringtone का ऑप्शन मिलता है। • Ringtone ऑप्शन पर टैप करने की जरुरत होगी। • अब यहां से आप अपनी फाइल से सॉन्ग सेलेक्ट करें। • सॉन्ग या म्यूजिक सेलेक्ट कर रिंगटोन सेट कर सकते हैं। Read More
2028 में लॉन्च होगा भारत का शुक्रयान Date : 29-Sep-2024 दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच अंतरिक्ष में जाने की होड़ मची हुई है। इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है। अंतरिक्ष एजेंसी साल 2028 में शुक्रयान लॉन्च करेगी। अंतरिक्ष में भारत एक और कारनामा करने जा रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अपना पहला शुक्र मिशन लॉन्च करेगा, जिसकी तारीख मार्च 2028 होगी। केंद्र सरकार ने 19 सितंबर को इस मिशन को मंजूरी दी थी। यह मिशन चार साल का होने वाला है। शुक्र ग्रह पृथ्वी से करीब 4 करोड़ किलोमीटर दूर है। बता दें कि शुक्र को पृथ्वी का जुड़वां ग्रह भी कहा जाता है। हालांकि, यहां का दिन-रात पृथ्वी की तुलना में काफी लंबा होता है। शुक्र ग्रह अपनी धुरी पर बहुत धीमे घूमता है। इसकी वजह से वीनस का एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है। क्या है शुक्र मिशन? भारत का यह मिशन ऑर्बिट का अध्ययन करेगा। यह ग्रह की सतह, वायुमंडल, ऑयनोस्फियर (वायुमंडल का बाहरी हिस्सा) की जानकारी जुटाएगा। वीनस सूर्य से करीब 11 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में सूर्य का इस पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह मिशन पता लगाने का काम करेगा। शुक्र का अध्ययन क्यों जरुरी? शुक्र को पृथ्वी का जुड़वां ग्रह कहा जाता है। इसके पीछे की वजह इसका आकार और घनत्व है जो पृथ्वी के समान है। इसलिए शुक्र का अध्ययन पृथ्वी के विकास को समझने में मदद कर सकता है। यह भी माना जाता है कि शुक्र पर कभी पानी था, लेकिन अब यह सूखा और धूल भरा ग्रह बन गया है। वीनस ग्रह पर कैसे जाएगा भारत? जानकारी के लिए बता दें कि भारत मार्च 2028 में शुक्र मिशन लॉन्च करेगा। तब यह सूर्य से सबसे दूर और पृथ्वी के सबसे करीब होगा। खबरों की मानें तो अगर इस समय किसी वजह से लॉन्चिंग रुक जाता है तो अगला मौका 2031 में मिलेगा, क्योंकि तब यह फिर से पृथ्वी के सबसे करीब होगा। सैटेलाइट को पृथ्वी से लॉन्च किया जाएगा। पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने पर यह तेजी से शुक्र की ओर बढ़ेगा। पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के बाद उपग्रह को शुक्र तक पहुंचने में लगभग 140 दिन लल जाएंगे। GSLV मार्क-2 रॉकेट से किया जा सकता है लॉन्च वीनस मिशन, शुक्र ग्रह का चार साल तक अध्ययन करेगा। उम्मीद है कि शुक्रयान को GSLV मार्क-2 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। शुक्रयान का वजन करीब 2500 किलोग्राम होगा। इसमें 100 किलोग्राम के पेलोड होंगे। पेलोड की संख्या बाद में तय की जाएगी। हालांकि, जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और रूस के पेलोड भी लगाए जा सकते हैं। Read More
व्हाट्सएप वीडियो कॉल में अब बैकग्राउंड भी बदल देगा यह नया फीचर Date : 28-Sep-2024 मेटा की ओनरशिप वाले मेसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप का इस्तेमाल दुनियाभर के करोड़ों यूजर्स करते हैं और भारत में इसका बड़ा यूजरबेस है। इसकी मदद से चैटिंग और फाइल शेयरिंग के अलावा वीडियो कॉलिंग भी आसानी से की जा सकती है। अब यूजर्स को वीडियो कॉलिंग के दौरान फिल्टर अप्लाई करने या फिर अपना बैकग्राउंड चेंज करने का विकल्प दिया जा रहा है। इस तरह वीडियो कॉल के दौरान आप खुद को सुंदर दिखा पाएंगे। प्लेटफॉर्म ने पहले ही इन फिल्टर्स को अपने ऐप कैमरा यूजर इंटरफेस का हिस्सा बनाया था और अब वीडियो कॉलिंग के दौरान भी इनका ऐक्सेस दिया जा रहा है। अगर यूजर्स वॉट्सऐप ओपेन करने के बाद कैमरा आइकन पर टैप करते हैं तो उन्हें इन फिल्टर्स को इस्तेमाल करने का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा वीडियो कॉलिंग के दौरान एक 'जादू की छड़ी' जैसा नया आइकन विंडो में दिखने लगा है, जिससे नए फीचर्स का इस्तेमाल किया जा सकेगा। फिल्टर्स के साथ सुंदर दिखेंगे यूजर्स नए आइकन पर टैप करने के बाद यूजर्स को फिल्टर्स अप्लाई करने का विकल्प मिलेगा। राइट स्वाइप करते हुए एक के बाद एक फिल्टर्स बदले जा सकेंगे। इन फीचर्स की लिस्ट में Warm, Cool, B&W, Light Leak, Dreamy, Prism light, Fisheye, Vintage TV, Frosted glass और duo tone शामिल हैं। इसके अलावा अगर आप लो-लाइट में कॉलिंग कर रहे हैं, तो लो- लाइट मोड के साथ लाइट का लेवल भी बढ़ाया जा सकेगा। कई कॉन्फ्रेंसिंग ऐप्स में यूजर्स को उनका बैकग्राउंड बदलने का ऑप्शन दिया जाता है और अब ऐसा ही विकल्प वॉट्सऐप में भी मिल रहा है। वीडियो कॉलिंग के दौरान नए बैकग्राउंड अप्लाई करने का विकल्प मिलेगा। इन बैकग्राउंड्स की लिस्ट में Blur, Living room, Office, Cafe, Pebbles, Foodie, Smoosh, Beach, Sunset, Celebration और Forest वगैरह शामिल हैं। नए फिल्टर्स और बैकग्राउंड एकसाथ भी अप्लाई किए जा सकते हैं। Read More
भारत का पहला सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित होगा, ताइवानी कंपनी के साथ इस भारतीय कंपनी ने मिलाए हाथ Date : 27-Sep-2024 टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने गुरुवार को सेमीकंडक्टर को लेकर बड़ा एलान किया है. कंपनी ने बताया कि गुजरात के धोलेरा में भारत का पहला सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा. इस प्लांट को लेकर ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (PSMC) के साथ एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. 50 हजार वेफर का प्रोडक्शन सेमीकंडक्टर को लेकर हुए निश्चित समझौते के हिस्से के रूप में, PSMC ग्रीनफील्ड फैब के लिए डिजाइन और निर्माण विशेषज्ञता प्रदान करेगा. इस फैक्टरी के प्रोडक्शन क्षमता प्रति माह 50,000 वेफर तक होगी | यह सुविधा एडवांस फैक्टरी ऑटोमेशन का भी लाभ उठाएगी, जिसमें एफिशिएंसी को ऑप्टेमाइज करने के लिए डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग को शामिल किया जाएगा. प्लांट में तैयार होने वाली चिप्स AI, ऑटोमोटिव, कंप्यूटिंग और वायरलेस कम्युनिकेशन जैसे सेक्टर की जरूरतों को पूरा करेंगे. इससे बढ़ती ग्लोबल मांग को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे| टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का लक्ष्य इस परियोजना के माध्यम से दुनियाभर के ग्लोबल ग्राहकों के लिए एक मजबूत और आसान सप्लाई सीरीज तैयार करना है. ये प्रयास भारत के "मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड" विजन के साथ अलाइन है. 91,000 करोड़ रुपये ($11 बिलियन) के निवेश के साथ, फैब से 20,000 से अधिक डायरेक्ट और इन डायरेक्ट स्किल्ड नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. धोलेरा के लिए टाटा का व्यापक दृष्टिकोण संभावित रूप से 100,000 से अधिक नौकरियां पैदा कर सकता है | Read More
सुनीता विलियम्स को सौंपी गई इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की कमान Date : 26-Sep-2024 नासा एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को ऑर्बिटिंग लैबोरेट्री अपने चल उनके मिशन के बीच एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की कमान सौंपी गई है। विलियम्स को रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको की जगह यह जिम्मेदारी मिली है। आईएसएस कमांडर के रूप में उनका यह दूसरा कार्यकाल है। उन्होंने इससे पहले 2012 में अभियान 33 के दौरान यह पद संभाला था। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को स्पेस रिसर्च में लंबे अनुभव और प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा गया है, रविवार सुबह 10:15 बजे रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको ने स्टेशन की कमान नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनी विलियम्स को सौंपी। कोनोनेंको नासा के अंतरिक्ष यात्री ट्रेसी सी डायसन और अंतरिक्ष यात्री निकोलाई चुब के साथ सोमवार को पृथ्वी पर लौट आए। वह सोयुज एमएस-25 अंतरिक्ष यान से कजाकिस्तान के स्टेपी में उतरे। सुनीता विलियम्स देखेंगी कई ऑपरेशन आईएसएस के कमांडर की जिम्मेदारी मिलने पर विलियम्स ने खुशी जताई है। आईएसएस कमांडर के तौर पर वह कई ऑपरेशन और रिसर्च एक्टिविटी पर नजर रखेंगी। सुनीता विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रेनॉट बुच विल्मोर इस साल 5 जून से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं। दोनों बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में पहली चालक दल की उड़ान के हिस्से के रूप में स्पेस में गए थे। सुनीता का ये मिशन शुरुआत में एक सप्ताह से कुछ अधिक समय के लिए था लेकिन स्टारलाइनर में तकनीकी समस्याओं के चलते इसे अगले साल फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है। अब दोनों के अगले साल फरवरी में पृथ्वी पर उनकी वापसी की उम्मीद है। आईएसएस पर अपने मिशन में अप्रत्याशित विस्तार के बावजूद विलियम्स उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरी खुशी की जगह है और मुझे यहां अंतरिक्ष में रहना पसंद है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा विलियम्स और विल्मोर की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के लिए स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बना रही है। Read More
नई रिसर्च से वैज्ञानिकों ने चौंकाया, पृथ्वी की तरह चंद्रमा पर भी ढेर सारा पानी है मौजूद ! Date : 25-Sep-2024 वैज्ञानिकों ने जितना सोचा था, चंद्रमा पर उससे कहीं अधिक मात्रा में पानी मौजूद हो सकता है. एक नई स्टडी में, चंद्रमा के सभी इलाकों में पानी मिलने की संभावना जाहिर की गई है | पृथ्वी की तरह चंद्रमा पर भी ढेर सारा पानी मौजूद है! नई रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. वे चंद्रमा के विभिन्न हिस्सों का अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रमा के सभी इलाकों में पानी मिल सकता है, भले ही उस इलाके में सूर्य पूरी ताकत से चमकता हो. मिनरॉलॉजी मैप्स के एनालिसिस से पता चला कि पूरे चंद्रमा पर पानी और हाइड्राक्सिल (हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना एक और अणु) पाया जा सकता है | यह खोज अहम है क्योंकि दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां आने वाले सालों में चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बसाने की योजना बना रही हैं. प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक रोजर क्लार्क के अनुसार, 'भविष्य के एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा की भूमध्य रेखा के पास भी पानी खोज सकते हैं.' पहले यह माना जाता था कि केवल ध्रुवीय क्षेत्रों, खासतौर से गहरे छायादार क्रेटर ही वे जगहें हैं जहां पानी प्रचुर मात्रा में पाया जा सकता है | चंद्रमा पर खूब सारा पानी कहां है? यूं तो देखने से नहीं लगता कि चंद्रमा पर पानी हो सकता है. यह बेहद सूखा और नमी से वंचित नजर आता है. धरती की तरह, चंद्रमा की सतह पर तरल पानी मौजूद नहीं है, मतलब वहां कोई झील, पोखर या नदियां नहीं हैं. लेकिन, तमाम स्टडीज बताती हैं कि कि चंद्रमा पर बहुत सारा पानी छिपा हुआ है. इस पानी की खोज से जुड़ी पिछली स्टडीज में, ऊंचाई पर मौजूद गहरे क्रेटर्स में पानी की मौजूदगी की संभावना जताई गई थी. इन गहरे इलाकों तक सूर्य की रोशनी कभी नहीं पहुंचती, न ही उसकी गर्मी. इसका मतलब यह है कि वहां पर कई मीटर मोटी बर्फ की परत मौजूद हो सकती है | अन्य स्टडीज से पता चला कि चंद्रमा के कुछ और हिस्सों में भी पानी हो सकता है. क्लार्क और उनकी टीम की खोज इसका समर्थन करती है. पानी और हाइड्रॉक्सिल - जिसमें एक ऑक्सीजन परमाणु और एक हाइड्रोजन परमाणु होता है - शायद चंद्रमा पर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ये चंद्रमा की सतह पर चट्टानों और मिट्टी का निर्माण करने वाले खनिजों में बंधे होते हैं. नई रिसर्च के नतीजे The Planetary Science जर्नल में छपे हैं | चंद्रयान-1 के डेटा से हुई खोज रिसर्चर्स ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए भारत के चंद्रयान-1 के डेटा का इस्तेमाल किया. 2008-09 में चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले स्पेसक्राफ्ट पर मून मिनरॉलॉजी मैपर (M3) इंस्ट्रूमेंट लगा था. इसने चंद्रमा की स्पेक्ट्रोस्कोपिक तस्वीरें लीं. इस डेटा में चंद्रमा से परावर्तित होने वाली इंफ्रारेड लाइट दर्ज की गई और स्पेक्ट्रम पर पानी और हाइड्रॉक्सिल के अनुरूप रंगों की तलाश की गई | वैज्ञानिकों ने पाया कि चंद्रमा के सभी अक्षांशों पर पानी और हाइड्रॉक्सिल पाया जा सकता है. चंद्रमा पर पानी हमेशा के लिए नहीं रहता. रिसर्चर्स ने पाया कि चांद की सतह पर पानी क्रेटरिंग घटनाओं में उजागर होता है और फिर लाखों सालों के दौरान, सौर हवा से रेडिएशन द्वारा धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है. लेकिन इस प्रक्रिया में हाइड्रॉक्सिल पीछे छूट जाता है. हाइड्रॉक्सिल का उत्पादन सौर हवा भी करती है, जो चंद्रमा की सतह पर सौर हाइड्रोजन जमा करती है, जो अणु बनाने के लिए वहां ऑक्सीजन के साथ बंध सकती है | Read More
एयर इंडिया को लेकर जानिए क्या है टाटा ग्रुप का प्लान Date : 24-Sep-2024 एयर इंडिया की करीब सात दशक बाद टाटा ग्रुप में वापसी हुई है। इसके साथ ही एयर इंडिया को फिर से भारतीय आसमान का महाराजा बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। टाटा ग्रुप ने इसके लिए पांच साल का टारगेट रखा है। एयर इंडिया की गिनती किसी जमाने में दुनिया की टॉप एयरलाइन्स में होती थी। जनवरी 2022 में इसकी टाटा ग्रुप में सात दशक बाद वापसी हुआ है और एक बार फिर इसे दुनिया की टॉप एयरलाइन बनाने की कवायद शुरू हो गई है। टाटा ग्रुप ने इसके लिए पांच साल का टारगेट रखा है। इसके तहत एयर इंडिया के बेड़े में नए विमान जोड़े जाएंगे, आईटी सिस्टम को नया रूप दिया जाएगा, आंतरिक प्रक्रियाओं को दुरुस्त किया जाएगा और उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया जाएगा। टाटा ग्रुप एयर इंडिया ब्रांड की छवि को फिर से चमकाने और विरासत में मिली समस्याओं को दूर करने की कोशिश में लगी है। एयर इंडिया के चीफ कस्टमर एक्सपीरियंस ऑफिसर राजेश डोगरा ने लंदन में एक ब्रीफिंग में मीडिया को बताया कि एयर इंडिया के लिए बुनियादी ढांचे, लोगों और प्रक्रियाओं को बदलने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता थी। इसे विश्व स्तरीय एयरलाइन बनाने की दिशा में काम करना जारी रखना एक कठिन और दिलचस्प यात्रा है। लेकिन हम बहुत अच्छी गति से आगे बढ़ रहे हैं। 2022 में अधिग्रहण के बाद पहला साल बुनियादी बातों को ठीक करने में व्यतीत हुआ ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एयर इंडिया वैसा दिखने लगे जैसा कि ग्राहक और उद्योग दोनों उससे उम्मीद करते हैं। क्या है कंपनी की योजना डोगरा ने कहा कि एयर इंडिया के लिए स्टेक्स बहुत ऊंचे हैं। कंपनी $908 अरब के ग्लोबल एविएशन मार्केट में खुद को वर्ल्ड क्लास ग्लोबल एयरलाइन के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रही है। ऐसे में इस ब्रांड और इसके अनुभव को बदलने की तत्काल आवश्यकता है। 2024 में वैश्विक स्तर पर यात्रियों की कुल संख्या 4.9 अरब के रेकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुँचने की उम्मीद है। ऐसे में कंपनी के पास एक बड़ा मौका है। स्थानीय बाजार में इंडिगो नवंबर के मध्य से 12 घरेलू मार्गों पर यात्रियों के लिए बिजनस क्लास शुरू करने की तैयारी में है। एयर इंडिया ने दिल्ली-लंदन जैसी लंबी दूरी की फ्लाइट पर नया A350-900 एयरक्राफ्ट तैनात किया है। इसमें बिजनस और प्रीमियम इकॉनमी क्लास के लिए नए बिस्तर, चीनी मिट्टी के बर्तन, टेबलवेयर और अपडेटेड एमेनिटी किट दी जा रही है। डोगरा ने कहा कि फरवरी-मार्च 2025 तक हम इसे पूरी दुनिया में उपलब्ध करा देंगे। इससे ग्राहक नया इन-फ्लाइट अनुभव का पेशकश करेंगे। डोगरा ने कहा कि एयर इंडिया ने विमान खरीदने के लिए 70 अरब डॉलर का ऑर्डर दिया है। उसे अब तक छह A350 विमानों में से छह की डिलीवरी हो चुकी है। ऐसे 40 विमान मिलने हैं। Read More
AI पीएम नरेंद्र मोदी के अनुसार क्या है ? Date : 23-Sep-2024 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन के अमेरिका दौरे पर हैं| इस यात्रा के दूसरे दिन न्यूयॉर्क में दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों के CEO के साथ मुलाकात की है| प्रधान मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क के नासाउ कोलेजियम में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के लिए AI का मतलब है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंट,लेकिन मैं मानता हूँ | AI आई का मतलब “अमेरिकन- इंडियन” है। अमेरिका इंडिया एक स्पिरिट हैं। और यही तो दुनिया का AI पावर है| पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आपको एक शब्द याद रहेगा पुष्ष, जिसका मतलब होगा... P फॉर प्रोग्रेसिव भारत. U फॉर अनस्टॉपेबल भारत S फॉर स्पीचुअल भारत S फॉर स्पीचुअल भारत H फॉर ह्यूमनिटी फर्स्ट को समर्पित भारत P फॉर प्रॉस्परस भारत न्यूयॉर्क में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है कि जो त्याग करते हैं वो ही भोग पाते हैं हम दूसरों का भला करके त्याग करके सुख पाते हैं, हम किसी भी देश में रहें, ये भावना नहीं बदलती है| यहां आपने डॉक्टर्स, रिसर्चर, टेक और साइंटिस्ट के रूप में जो परचम लहराया है वो इसी का प्रतीक है, अभी कुछ समय पहले ही तो यहां टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप हुया था इसमे यूएसए की टीम गजब खेली, उस टीम में यहां रह रहे भारतीयों का जो योगदान था वह दुनिया ने देखा| Read More