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न्यायिक अधिकारियों को सदैव अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना चाहिए : आनंदी बेन पटेल

Date : 16-May-2025

लखनऊ, 16 मई। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से शुक्रवार को राजभवन में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा 2022 बैच के 111 नवनियुक्त प्रशिक्षुओं, सिविल न्यायाधीश (अवर खंड) एवं न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के अधिकारियों ने मुलाकात की।

राज्यपाल ने अपने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्रतिनिधियों का राजभवन में स्वागत करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों को सदैव अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहना चाहिए। दबाव में आकर या गलत सूचना के आधार पर दिया गया निर्णय केवल व्यक्ति विशेष ही नहीं, बल्कि समूचे समाज के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने प्रशिक्षु न्यायाधीशों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे निष्ठा, निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तथा निरंतर अध्ययन एवं आत्मचिंतन के माध्यम से अपनी न्यायिक दृष्टि को और अधिक सुदृढ़ बनाएं।

राज्यपाल ने अपने कारागार भ्रमण के अनुभव को साझा करते हुए न्यायिक अधिकारियों का ध्यान समाज के उस वर्ग की ओर आकृष्ट किया, जो अक्सर अदृश्य रह जाता है। उन्होंने बताया कि कारागारों में ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जो आर्थिक दंड चुका पाने में असमर्थ होने के कारण, अपनी सजा पूरी होने के बावजूद भी कारागारों में बंद हैं। ऐसी स्थिति में उनके साथ रहने वाले 01 से 09 वर्ष की आयु के बच्चे भी कारागार में रहकर सजा भोगने को विवश होते हैं। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि न्यायिक दृष्टि से भी गहन विचारणीय है। राजभवन के प्रयासों से, समाज के सहयोग द्वारा ऐसी महिलाओं का आर्थिक दंड चुकाकर उन्हें कारागार से मुक्त कराने का कार्य किया गया है।

उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि दहेज, बाल विवाह, तलाक, संपत्ति विवाद और बदले की भावना से किए गए अपराध तथा किसानों की समस्याओं जैसी सामाजिक बुराइयों पर गंभीरता से चिंतन करें और इनके निराकरण के लिए ठोस कदम उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि हर युवक को यह शपथ लेनी चाहिए कि वह न तो दहेज लेगा और न ही देगा। समाज को स्वच्छ और समतामूलक बनाने में न्यायिक अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अनावश्यक मुकदमों को वर्षों तक लंबित रखने के स्थान पर त्वरित न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

राज्यपाल ने 2022 बैच में 55 प्रतिशत महिला न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय पहल बताया। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारियों को विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित मामलों पर संवेदनशीलता के साथ त्वरित निर्णय लेने चाहिए।

 
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