हम बचपन से पढ़ते आ रहे है हमें अपने आहार में ऐसे पोषक तत्वों से युक्त भोजन का उपयोग करना चाहिए जो हमें पोशण के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रदान करें।
या किताबों की भाशा में कहें तो संतुलित भोजन आहार की वह निष्चित मात्रा है जिसमें प्रोटिन, विटामिन, कार्बोहायड्रेट वसा पर्याप्त मात्रा में हो, तो क्या हम इसके आधार पर यह कह सकते है कि जिस भोजन थाली में दाल, चाॅवल, चपाती, सब्जी, दही, सलाद आदि वही संतुलित भोजन का मापदण्ड रखता है षायद आज के परिवेश में नहीं।
रोज तो पिछले 20-25 सालों में लोगों की लाईफ स्टाइल (जीवनशैली ) उनके आयु, कार्यशैली , वातावरण, जलवायु एवं स्वास्थ्य द्रिष्टि से बिलकुल बदल चुकी है जिसके आधार पर सभी को संतुलित आहार की सामान शैली में नही रखा जा सकता। आज हमें अतिरिक्त बैलेस डाइट (संतुलित आहार) की आवश्यकता है।
तो क्या है संतुलित आहार,
हमारे षरीर 63 खरब से अधिक कोषिकाओं का बना हुआ है जिसमें शैली (कोष्किा) टिषु (उतक) आर्गन (79) अंग एव आर्गन सिस्टम (12) से बना है आजकल हम जो भी भोजन करते है या जो पानी पीते है और जिस हवा में सांस लेते है सब की सब टाॅकसिन्स, केपिकल, पेस्टीसाईट्स और पलूषन से भरे पड़े है ये हमारे कोषिकाओं के छिद्रो को बंद करके उनकी उम्र घटा देते है।
हमारे शरीर में कोशिको का काम भोजन से प्राप्त माईक्रोन्यूटियान्स, विटामिन्स, एवं मिनरल्स को एक्जार्ब (अवशोषित ) कर पूरे शरीर के अंगों में पहुंचाना है। हमारा सम्पूर्ण षरीर भोजन से प्राप्त पोशक पीते है और जिसे हवा में सांस लेते है सब की सब टाॅकसिन्स, केपिकल, पेस्टीसाईट्स और पलूषन से भरे पड़े है ये हमारे कोषिकाओं के छिद्रो के बंद करके उनकी उम्र घटा देते है।
यही पोषक तत्व जो हमें संतुलित आहार से प्राप्त होते है कोषिकाओं का पाॅवरफुल सेल्युलर फूड जिन्हें हम माईक्रो एवं मेक्रो न्यूट्रिएंट्स कहते है उन्ही कि कमी अधिकता हमारे अंगों की सभी बिमारियों को जन्म देती है ये न्युट्रियन्स क्षतिग्रस्त कोशिका की मरम्मत का कार्य करते है एवं फ्रीरेडिकल्स को भी समाप्त करते है। हमारे शरीर के अंदर जो भी सेल्फ हिलिंग पाॅवर एवं आटो इम्युन पाॅवर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) इन्ही की वजह से वापस लौट आती है।
अतः हम कह सकते है कि संतुलित आहार (बैलेस डाइट) वह भोजन है जो जैविक हो, प्रकृति से प्राप्त हो, जिसमें षरीर के उम्र, अवस्था, जीवन शैली , कार्यप्रणाली को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थित की जाती है जिसमें सभी अतिरिक्त पोषक तत्व का समावेष हो। संतुलित आहार कहलाता है। हमारे आयुर्वेद ग्रंथों में कहा गया है कि एक स्वस्थ्य तन में एक स्वथ्य मन का वास होता है परन्तु आजकल का वातावरण और डिजिटल कार्य षैली एवं जीवनशैली को इस तरह बाधित कर रहा है मानसिक तौर पर व्यक्ति स्वस्थ्यता का अनुभव नही करता है। काम का बोझ बढ़ने से इस डिजिटलाइज तकनिकी व्यवस्था से लोगों का शरीरिक कार्यविधि कम हो गया है जिससे वह अवसाद में घिरे रहते है और इसके वजह से भी पोषक तत्वों का शरीर में पूर्ण रूप से अवषोशण नही हो पाता है और व्यक्ति तनावग्रस्त बना रहता है।
तो आइए हम जानते है कि हमारा संतुलित भोजन किस प्रकार का हो कि वह हमें षारीरिक एवं मानसिक स्तर पर स्वास्थ्य दे सके।
1- बच्चों का आहार - इसमें सभी प्रकार के साबुत अनाज, दाले, हरे पत्तेदार सब्जियां, फल, दूध, अण्डा, कंद, माॅस मच्छी वसा एवं सूखे मेवे।
2-किषोर एवं किशोरिया - (20 वर्श की आयु) इस उमें में मासपेशिया एवं हड्डीयों का विकास तेजी से होता है। एवं शारीरिक बदलाव शुरू हो जाते है। इसिलए एस उम्र में भी प्रोटिन युक्त आहार का होना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त काम्पलेक्स काब्राहाइडेड् नट्स केल्ष्यिम एवं आयरन से भरफुर भोजन होना चाहिए। इसके अलावा हेल्दी एवं एनर्जीजेटिक रहने के लिए और हार्मोन का बेलेन्स बनाये रखने के लिए ब्लूबेरी, क्रेनबेरी, दही, अखरोट, एवं मूंगफलीयों का संतुलित आहार में समावेष होना चाहिए।
3- जवान -(30 एवं 40 के उम्र के लिए)
इस उम्र में शरीर मे काफी बदलाव आने लगते है। तथा षरीर को फिट रखना अति आवष्यक हो जाता है। इसके अंतर्गत जैतुन का तेल नारीयल अण्डा, हरि पत्तेदार सब्जीयां फलों का सेवन एवं एन्टीऑक्सिडिएंट्स , से भरफुर फल सब्जीयां फालिक एसिड कम वसा युक्त उेयरी उत्पाद एवं बिटामीन ई से भरफुर खाद्य पदार्थो का सन्तुलित भोजन में समावेश होना चाहिए।
4- प्रौढ - (50 साल तक ही उम्र के लोगो के लिए)
इस उम्र में सन्तुलित आहार एवं पर्याप्त मात्रा में जिंक प्रोटीन, बिटामिन, बी काम्पलेंक्स प्रचुरता में मौजुद हो, इसके अलवा अण्डा, ड्रायफ्रुटस फ्रुट बेजिटेबल का भी समावेश अच्छी तरह से होना चाहिए, साबुत अनाज से बने भोज्य पदार्थ इसमें फायबर युक्त हो तो अति उत्तम होगा।
5- वृद्ध (60 साल से उपर की उम्र के लोगो के लिए)
इस उम्र में मासपेषीयां एवं पाचन थोडा कमजोर होने लगता है ऐसे में हमें ऐसा संतुलित भोजन की आवयश्कता हैजो आसानी से पच सकें। इसके अंतर्गत प्रोटीन एवं विटामिन युक्त भोजन का समावेश होना है। तथा एन्टीऑक्सिडिएंट्स एवं मौसमी फलों से युक्त आहार हो इसके अतिरिक्त हमें फायबर एवं रेशों युक्त भोजन का समावेश करना है। जो सुपाच्य एवं आसानी से पच जाता है। इसके अतिरिक्त हमें औशधीय पौधें एवं सब्जीयां प्याज, अदरख, निंबू, लहसुन जीरा, मेथी, अलसी, हलदी, गुड नारीयल पानी, इत्यादी का उपयोगहमारे संतुलित भोजन इस उम्र में होना आवष्यक है जो हमें अधिक उम्र तक स्वथ्य एवं निरोगी रखता है।
इन सबके अतिरिक्त संतुलित आहार लेते समय निम्न बातों का ध्यान रखना अत्यन्त आवष्यक है।:-
1.शरीर में जल की आपूर्ति सदा बनी रहे।
2. जिस भोजन को कच्चा या प्राकृतिक रूपसे खाया जा सकता हो उन्हें वैसे ही रूप में खाने का प्रयास करना चाहिए।
3. जैविक भोजन का उपयोग करें इसके साथ किसी भी प्रकार का जंक या कृत्रिम तरिके से तैयार भोजन को सामिल ना करें।
4. सलाद एवं कच्ची सब्जीयों का उपयोग करते समय उनके उपर मिर्च मसालें का उपयोग ना करें।
5. जरूरत से ज्यादा नमक या शक्कर का इस्तेमाल ना करें।
6. भोजन करने के बाद तुरन्त अत्यधिक जल का सेवन ना करें।
7. भोजन सही समय पर ही करें।
8. इस सतुंलित आहार शैली को अपनाते सय थोड़ा बहुत हमें व्यायाम व शारीरक गतिविधि आवश्य करनी चाहिए जो हमारे पोषक तत्वो को पचाने में और पूरें शरीर को स्वथ्य रखने में अपनी अहम भूमिका निभाती है।
भोजन में पोषक तत्वों का महत्तव ध्यान में रखते हुए यह भी देखना होता है कि उन पोशक तत्वों की मात्रा प्रतिदिन की षरीरिक आवष्यकतानुसार निष्चित हो अन्यथा इन तत्वों की लगातार कमी या अनदेखी कई गंभीर बिमारियों का रूप लेकर सामने आती है।
भोजन में पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग:-
नाम कमी से होने वाले रोग
1- कार्बोहाईड्रेट थकान, डिपे्रसन, कब्ज
2- प्रोटीन त्वचा रोग, बालो का झडना, संक्रमण एवं फैटीलिवर
3- विटामिन्स रोग प्रतिरोधक क्षमात का कम होना, केंसर, संक्रमण, आंखें एवं त्वचा के रोग एवं खून की कमी
4- आयरनष्वसन संबंधित रोग, रक्त संबंधित रोग
5- कैल्ष्यिमभंगुर एवं कमजोर हड्डियां, अत्यधिक रक्त स्त्राव
6- जिंक प्रतिक्षण प्रणाली पर असर
7- मैग्निष्यम बेचैनी अवसाद एवं अनिद्रा
8- फास्फोरस खराब दांत, कमजोर हड्डियां
9- पोटेषियम मेटाबलिजम (चपाचय की क्रिया) कमजोर, कब्ज, ऐसीडिटी, एवं इसकी कमी से सोडियंम का स्तर बढ़ जाता है उक्त रक्त चाप होता है
10- आयोडीन घेंघा, व बढ़ी हुई थाइराइड ग्रंथी
11- तांबा कम भूख, मंद विकास
12- सोडियम हाईपोनेट्रिया इसके कारण सुस्ती, भू्रम, थकान
इसके अतिरिक्त कई पोशक तत्व की अधिकता भी कई बिमारियों का कारण बनती है।
1- वसा (ट्रांस एवं सेचुरेटेड फैट्स) इसकी मात्रा का बढ़ना खराब कैलोस्ट्राल को बढ़ता है जो हृदय रोग एवं स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
2- सोडियम- इसकी अधिकता बल्ड प्रेषन, हृदय रोग एवं कैल्षियम की हानि
3- नाइट्रेट - दिल की धड़कन बढ़ाना, मतली, सिरदर्द, पेट में एैठन
4- आयरन- इसके अतिरिक्त सेवन से हमोक्रोमेटोसिस होता है इससे गठिया, यकृत संबंधित बिमारीया, डायबिटिज
5- कार्बोहायड्रेट- मोटापा, मधुमेह, उक्त रक्त चाप, स्ट्रोक, हृदय रोग एवं कोलिस्ट्रोल बढना
6- प्रोटीन- हड्डियों में दर्द, कैल्शियम की मात्रा को कम करता है, किडनी को नुकसान एवं डिहाईडेªषन
7-विटामिन्स- उल्टी दस्त, दिल की धडकन बढ़ना, सीने में जलन, जोड़ों में दर्द, डिहाईडेªषन
स्ंतुलित आहार लेते समय निम्न बिन्दुओं का ध्यान देना आवष्यक है:-
1- प्राकृतिक रूप से प्राप्त भोजन
2-मिनरल युक्त क्षारिय जल का उपयोग,
3- कम पका हुआ भोजन
4-अनाज एवं सब्जियों का बहुत मसल मसल कर ना धोया गया हो
5- एक ही बैठक में पूरा भोजन करने से बचना चाहिए इसको दिन के चार मुख्य भोजन में विभाजित करके खाना चाहिए।
इन सबसे अतिरिक्त:-
शरीर में जल पूर्ति की अत्यंत महत्तव है। दो से तीन लीटर पानी प्यास एवं आवष्यकता के अनुसार आवश्य पीना चाहिए। तभी हमें सम्पूर्ण पोषक तत्वों
का लाभ प्राप्त हो पायेगां।
ऑथर:- डॉक्टर मोनिका दर्यनानी
CNT (consultant &Nutritionist)