बस्तर पर्यटन को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में बढ़े कदम: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
जगदलपुर, 16 अप्रैल।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर क्षेत्र पर्यटन की असीम संभावनाओं से परिपूर्ण है, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की आवश्यकता है। उन्होंने 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा उत्सव को वैश्विक मंच पर प्रचारित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले दशहरे की तैयारी इस दिशा में की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगामी पर्यटन सीजन को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रमों की योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण बताया, जिससे पर्यटन क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने बस्तर में पर्यटन सर्किट विकसित करने की बात कही ताकि पर्यटकों को एक समग्र और समृद्ध अनुभव मिल सके। इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षित कर रोजगार देने की योजना पर भी बल दिया।
बुधवार को जगदलपुर कलेक्टर कार्यालय में आयोजित बस्तर संभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने होमस्टे संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक स्थानीय जीवनशैली को नजदीक से अनुभव करना चाहते हैं और होमस्टे इसके लिए एक आदर्श माध्यम हो सकता है। इससे जनजातीय समाज को आर्थिक रूप से लाभ भी होगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बस्तर प्राकृतिक सौंदर्य, जनजातीय परंपराओं और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण है, जो इसे देश का एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाता है। चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, प्राचीन गुफाएं और विविध जैविक संपदा इस क्षेत्र को विशिष्ट बनाती हैं।
बैठक के दौरान पर्यटन स्थलों के आपसी जुड़ाव, ब्रांडिंग और आधारभूत सुविधाओं के विस्तार पर आधारित विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया कि पर्यटक जनजातीय गांवों की सैर कर सकते हैं, बस्तर दशहरा जैसे पारंपरिक पर्वों का अनुभव ले सकते हैं, साथ ही स्थानीय हस्तशिल्प और भोजन का आनंद भी उठा सकते हैं।
इको-टूरिज्म और आध्यात्मिक स्थलों का समन्वय:
बस्तर में इको-पर्यटन, जनजातीय पर्यटन और आध्यात्मिक स्थलों जैसे दंतेश्वरी मंदिर का समावेश कर एक संपूर्ण यात्रा अनुभव विकसित किया जा रहा है। ट्रैवल ट्रेड फेयर के माध्यम से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने की रणनीति बनाई गई है। साथ ही, पर्यटन सूचना केंद्रों की स्थापना पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, भुवनेश्वर, जगदलपुर और अरकू सिटी जैसे स्थानों पर की जाएगी, जिससे पर्यटकों को आवश्यक जानकारी तुरंत मिल सके।
तकनीकी और साझेदारी प्रयास:
पर्यटन स्थलों को बेहतर ढंग से दर्शाने और उनकी सटीकता बढ़ाने के लिए गूगल मैपिंग सेवाओं में सुधार हेतु निजी एजेंसियों से सहयोग लिया जाएगा। साथ ही, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के पर्यटन ऑपरेटरों और होटल व्यवसायियों से साझेदारी को और मजबूत किया जाएगा।
भविष्य की योजनाएं:
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थानीय पक्षी पहाड़ी मैना की सैटेलाइट टेलीमेट्री टैगिंग की योजना बनाई गई है, जिससे प्रवास पथ और मौसमी गतिविधियों का सटीक आकलन हो सके। मानसून टूर पैकेज बफर जोन और आसपास के गांवों में पर्यटकों और स्थानीय समुदायों के लिए विकसित किए जाएंगे।
मांझीपाल, नागलसर, नेतानार, तीरथगढ़ और कामानार जैसे क्षेत्रों में नए आदिवासी होमस्टे प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए चक्रीय निधि से सहायता ली जाएगी। इसके अलावा, तीरथगढ़ जलप्रपात के पास कांच के पुल के निर्माण के लिए लगभग 6 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं। ग्राम पेदावाड़ में होमस्टे सह पारंपरिक हीलिंग सेंटर की स्थापना हेतु 2025-26 की राज्य योजना में 40 लाख रुपये का प्रावधान रखा गया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बस्तर पर्यटन को केवल स्थानीय सीमाओं तक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आकर्षक गंतव्य बनाना ही लक्ष्य है। इससे न केवल क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार और समृद्धि के नए अवसर मिलेंगे।