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" कृतज्ञता एक ऐसा फूल है जो महान आत्माओं में खिलता है " - पोप फ्रांसिस

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सावन माह और कांवड़ का इतिहास

Date : 23-Jul-2024

 बिजनौर । कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव पर चढ़ाने की परंपरा, कांवड़ यात्रा कहलाती है। कांवड़ का मूल शब्द कांवर है, जिसका सीधा अर्थ कंधे से है। सावन में शिव भक्त अपने कंधे पर पवित्र जल का कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए प्रसिद्ध शिवलिंगों तक पहुंचते हैं। कांवर ले जाने के पीछे अपना-अपना संकल्प होता है। कुछ लोग खड़ी कांवर का संकल्प लेकर चलते हैं, वह पूरी यात्रा में जमीन पर कांवर नहीं रखते। जिसका उद्देश्य अनुशासन, सात्विकता और वैराग्य के साथ ईश्वरीय शक्ति से जुड़ना है।

ऐसा माना जाता है कि कांवड़ यात्रा से संकल्प शक्ति के साथ आत्मविश्वास जागृत होता है। शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, कांवर उठाने वाले कांवरिया कहलाते हैं, जो एक बांस की डण्डी और उससे जुड़े दो पात्र में पवित्र जल भरकर शिव का जयघोष करते हुए पैदल अपने घर से शिवजी को जल चढ़ाने अपनी मान्यताओं के अनुसार निकलते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार जब कांवड़ से जुड़े दोनों पात्र जिन्हें ब्रह्मघट और विष्णुघट कहा जाता है, पवित्र जल से भर लिए जाते हैं, तो उन्हें एक बांस की डण्डी के सहारे सजा-धजा कर और पूजित कर, स्थापित कर दिया जाता है। धर्मशास्त्र अनुसार रूद्र अर्थात् शिव बांस में समाहित हैं। कांवड़िया कांवड़ के माध्यम से साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, शिव, तीनों की कृपा एक साथ प्राप्त करते हैं।

अनन्त फलदायी - कांवड़ यात्रा शिव भक्ति का एक रास्ता तो है ही साथ ही व्यक्तिगत विकास में भी सहायक है। यही वजह है कि श्रावण में लाखों श्रद्धालु कांवड़ में पवित्र जल लेकर एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान जाकर शिवलिंगों का जलाभिषेक करते हैं। ‘कांवड़’ उठाने वाला, कांवड़िया, शिवयोगी के समान रहता है जो मन, वाणी, कर्म से किसी भी प्राणी का अहित नहीं करते, सब में एकमात्र सदाशिव का ही दर्शन करता है।

महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवर यात्रा है, जिसे शिव को प्रसन्न करने का सहज मार्ग माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जलाभिषेक से प्रसन्न होकर शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भक्त जिह्वा से ‘हर हर महादेव बोल बम’ का जयकारा लगाते हुए कांवड़ उठाकर शिव को जल अर्पित करने के लिए बेताब रहते हैं क्योंकि शिव का अर्थ है कल्याण, अतः भक्त भगवान शिव को जल अर्पित कर न सिर्फ अपना कल्याण बल्कि घर-परिवार के लिए सुख-शांति का आशीर्वाद लेकर आते हैं।

 
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