विंध्यधाम, मीरजापुर
गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन मां विंध्यवासिनी की नगरी साधना और भक्ति से सराबोर रही। गुरुवार से शुरू हुए इस विशेष पर्व के तहत शुक्रवार को भी देशभर से आए साधक त्रिकोण शक्तिपीठों — विंध्यवासिनी, अष्टभुजा और कालीखोह — में कठिन साधना में लीन दिखे। वहीं दूसरी ओर, बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए विंध्यधाम पहुंचे, जिससे मंदिर परिसर में सुबह से ही दर्शन के लिए लंबी कतारें लग गईं।
त्रिकोण परिक्रमा पथ पर आध्यात्मिक वातावरण
त्रिकोण परिक्रमा पथ साधकों के मंत्रोच्चारण से गूंज उठा। कालीखोह के गर्भगृह में साधक विशेष रूप से मां काली की आराधना कर रहे हैं, जबकि अष्टभुजा पहाड़ी पर भक्तों ने कठिन चढ़ाई कर मां के स्वरूप के दर्शन किए।
साधना और अनुशासन का अद्भुत संगम
गुप्त नवरात्र के दौरान साधक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए रात्रि जागरण, हवन, दुर्गासप्तशती पाठ और काली साधना जैसे अनुष्ठानों में जुटे हैं। घाटों और मंदिरों के आसपास कई साधक मौन व्रत में लीन दिखाई दिए।
दस महाविद्याओं की उपासना
इस विशेष काल में साधक देवी की दस महाविद्याओं — काली, तारा, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला — की आराधना कर सिद्धियों की प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं।
प्रशासन की सतर्कता और सुविधाएं
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण, पेयजल, चिकित्सा और प्रकाश व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए हैं। नगर पालिका की ओर से सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
विंध्यधाम इन दिनों गुप्त नवरात्र की रहस्यमयी साधना और जनसहभागिता से अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना हुआ है।