सावन का पवित्र महीना, जो भगवान शिव को समर्पित है, इस वर्ष 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। शिव महापुराण के अनुसार, सावन में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करने से धन, धान्य और पुत्र की प्राप्ति होती है। यह मानसिक और शारीरिक परेशानियों से मुक्ति दिलाता है और स्वर्ग की प्राप्ति में भी सहायक है।
शिव महापुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। कलियुग में कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने इस पूजा को प्रारंभ किया था। पार्थिव शिवलिंग में भगवान शिव की पूजा का आधार यह है कि भगवान हर कण में विद्यमान हैं। जब संतान की कामना से यह व्रत-अनुष्ठान किया जाता है, तो भगवान शिव इसे पूरा करते हैं।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, स्वर्ग में भगवान शंकर के 'सिर' की, पृथ्वीलोक पर 'शिवलिंग' की और पाताल में उनके 'पैरों' की पूजा का विधान है। पुराणों के मतानुसार, शिवलिंग पूजन विश्वरूपी शिव का पार्थिव पूजन है। पृथ्वी पर रहने वालों को केवल इसी अंग की आराधना करने का अधिकार है, क्योंकि वे शिव के संपूर्ण अनंत स्वरूप की आराधना एक साथ नहीं कर सकते। मंदिरों में स्थापित शिवलिंगों की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन पार्थिव लिंगार्चन का विशेष महत्व है, जिसकी विधि पुराणों, विशेषकर शिव पुराण में विस्तृत रूप से वर्णित है। शिव उपासना से कामनाओं की पूर्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग पूजा बहुत ही शुभ मानी गई है। यह मनचाहा सुख देती है। संतान प्राप्ति के लिए यह उपाय सोमवार, चतुर्दशी, महाशिवरात्रि, सावन माह या कोई भी शुभ मुहूर्त देखकर प्रारंभ किया जाता है।
पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि
पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या तालाब से मिट्टी लें। उस मिट्टी को फूल, चंदन और अन्य पूजन सामग्री से शुद्ध करें। मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें और शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें। शिवलिंग को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बनाना चाहिए। मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर पार्थिव शिवलिंग बनाएं। पार्थिव शिवलिंग 12 अंगुल से अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे अधिक ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य नहीं मिलता। शिवलिंग पर चढ़ाई हुई चीजों को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
पार्थिव शिवलिंग पूजा विधि
मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उसे किसी शुद्ध पात्र में या पाट पर स्थापित करें। इसके बाद धूप और दीप प्रज्वलित करके कपूर जलाएं। अब उस शिवलिंग पर थोड़ा सा जल अर्पित करें। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर) अर्पित करें। अंत में पुनः थोड़ा सा जल अर्पित करें।
संतान प्राप्ति के लिए विशेष विधि-विधान
संतान की कामना रखने वाले पति-पत्नी दोनों प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास रखें। भगवान शिव के प्रति पूर्ण श्रद्धा से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण गंगा की मिट्टी से करें अथवा गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग का निर्माण करें। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद इनकी गंध, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करें या किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण द्वारा संपन्न करवाएं। पार्थिव लिंग के अभिषेक का पवित्र जल दोनों पति-पत्नी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और भगवान शिव से संतान पाने के लिए प्रार्थना करें। यह प्रयोग कम से कम 21 दिनों तक पूरी श्रद्धा और भक्ति से करने पर शिव कृपा से पुत्रादि की कामना शीघ्र पूरी हो जाती है।