जशप्योर और पहाड़ी बकरा एडवेंचर द्वारा हाल ही में आयोजित एक बाइक ट्रिप ने पूरे देश भर के राइडर्स को आकर्षित किया। देशभर से आए इन साहसी बाइकर्स ने जशपुर की घुमावदार सड़कों, कठिन ट्रेल्स, और हरे-भरे जंगलों का रोमांचक अनुभव लिया। इन राइडर्स को हिमालय राज्य जैसे लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के कठिन रास्तो पर बाइकिंग अनुभव प्राप्त है और उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य की अनछुई प्राकृतिक सुंदरता को एक नए नजरिये से देखा। जशपुर का अनोखा प्राकृतिक आकर्षण जैसे रानी दह जलप्रपात, सारुडीह चाय बागान, किनकेल पाठ, चुरी और मक्करभज्जा जलप्रपात एवं यहाँ के जनजातीय संस्कृति एवं खाद्य उत्पाद उनके लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने। इसके अलावा, देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर में रॉक क्लाइम्बिंग एवं कैंपिंग तथा पंड्रापाठ में स्टार गेजिंग का रोमांचक अनुभव भी उनके लिए खास था।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार ने पर्यटन को प्रोत्साहित करने और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए पिछले वर्ष से व्यापक प्रयास शुरू किए गए हैं। मुख्यमंत्री साय ने जशपुर की प्राकृतिक संपदा और रोमांचक गतिविधियों की संभावनाओं को देखते हुए इसे साहसिक खेलों के एक नए केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। उनके कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीतियों के कारण, यह क्षेत्र अब न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में एक प्रमुख साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।
साहसिक खेल और पर्यटन केवल मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि ये स्थानीय युवाओं के रोजगार का एक प्रमुख स्रोत भी बन सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में स्थानीय युवाओं एवं जनजातीय लोगो को एडवेंचर खेलों की बारीकियों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित किया जा चूका है। जशपुर के “देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर” में स्थानीय गाइडों की मदद से रॉक क्लाइम्बिंग का आयोजन हुआ, जो अब देशभर में एडवेंचर खेलों के शौकीनों के बीच चर्चा में है।
इस यात्रा के दौरान एक विशेष स्टार गेजिंग सत्र का भी आयोजन किया गया था, जिसमें प्रतिभागियों ने खुली रात के आकाश में खगोलीय पिंडों को देखा और एस्ट्रोलॉजी के बारे में जाना। जशपुर का यह हिस्सा अब राष्ट्रीय स्तर पर स्टार गेजिंग के लिए उपयुक्त स्थान के रूप में देखा जा रहा है, जो पर्यटकों को एक विशेष और अनोखा अनुभव देने की क्षमता रखता है।
बाइकर्स ने यहां के स्थानीय आदिवासी खान-पान और संस्कृति का भी आनंद लिया। जशप्योर द्वारा बनाये गए महुआ और मिलेट के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद, और आदिवासी घरों का दौरा कर उनके रहन-सहन और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में जानना, उनके लिए यादगार अनुभव रहा। अंतराष्ट्रीय पर्वतारोहण गाइड, एक्सट्रीम एडवेंचर स्पोर्ट ट्रेनर एवं जिला एडवेंचर टूरिज्म के सलाहकार के स्वप्निल राचेलवार ने कहा की यह क्षेत्र विविध सम्भावनावो से परिपूर्ण है। यहाँ के स्थानीय एवं जनजातीय लोग ऐसे खेलो में प्राकृतिक एवं मानसिक रूप से सशक्त होते हैं, और उचित मार्गदर्शन पाकर यहाँ से कई अन्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाडी एवं पेशेवर गाइड उभर कर बहार आ सकते हैं। जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार की इसी क्रमबद्ध पहल ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस क्षेत्र का विकास पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी संस्कृति के सम्मान के साथ हो। उनका सपना है कि जशपुर साहसिक खेलों के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे और इसके माध्यम से स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाया जाए। जशपुर अब एडवेंचर खेलों का छत्तीसगढ़ में एक नया केंद्र बनकर उभर चूका है। यह न केवल केंद्रीय भारत बल्कि सपूर्ण राष्ट्र में एडवेंचर खेलों का हॉटस्पॉट बनने की ओर अग्रसर है, जहाँ पर्यटक एक अलग और अनोखा अनुभव पा सकते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवान बिरसा मुण्डा जी के जन्म दिवस के अवसर पर आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग एवं आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान
द्वारा जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में 14 एवं 15 नवंबर को दो दिवसीय कार्यक्रम संगोष्ठी-परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम राजधानी रायपुर के साईंस
कॉलेज मैदान में आयोजित होगा।
जनजातीय गौरव दिवस जिसमें जनजातीय संस्कृति, संरक्षण, संवर्धन एवं विकास, जनजातीय विधार्थियों के करियर निर्माण संबंधी विभिन्न संभावनाएं, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में जनजातीय नायकों का योगदान, जनजातीय समुदायों के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां, भारतीय सभ्यता के मूल में जनजातीय समाज, जनजातीय ज्ञान परम्परा, जनजातीय समुदाय पर्यावरण संरक्षण वैश्विक परिपेक्ष में, जनजातीय चित्रकला के प्रायोगिक पक्ष एवं संभावना, वन अधिकार अधिनियम, क्रियान्वयन एवं चुनौतियाँ, जनजातीय क्षेत्रों में चुनौतियां और समाधान विषयों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें जनजातीय अनुसंधान क्षेत्र के विशिष्ट विषय विशेषज्ञों के साथ-साथ अन्य अनुसंधानकर्ताओं, शोधकर्ताओं, छात्रों एवं विषय पर रूची रखने वाले बुद्धिजीवियों से विचार विमर्श किया जावेगा। प्रतियोगिता से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए सुश्री पार्वती जगत, सहायक अनुसंधान अधिकारी (मो. नं. +91-7805982502) एवं श्रीमती अनिता डेकाटे, सहायक अनुसंधान अधिकारी (मो.नं. +91-9893674509) से संपर्क किया जा सकता है।
देव उठनी एकादशी पर पवित्र गंगा में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी,गंगाघाटों पर तुलसी विवाह रचाया
वाराणसी ,12 नवम्बर । श्री काशी पुराधिपति की नगरी में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी देव उठनी (हरि प्रबोधिनी ) एकादशी पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने पुण्य सलिला गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। दान पुण्य के बाद श्री हरि की आराधना कर गंगाघाटों पर भगवान शालिग्राम-तुलसी का पूरे श्रद्धा के साथ विवाह रचाया।
प्रबोधिनी एकादशी पर प्राचीन दशाश्वमेधघाट,शीतलाघाट,पंचगंगा,अस्सीघाट,भैसासुरघाट पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु कुंहरे और धुंध के बीच भोर से ही स्नान के लिए उमड़ पड़े। स्नान के बाद लोग दानपुण्य कर श्री हरि की आराधना कर रहे हैं। हरि प्रबोधिनी एकादशी से चराचर जगत के पालनहार श्री हरि भी चार मास की योग निद्रा से जाग गये। श्री हरि के योग निद्रा से जागने के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जायेगा। एकादशी पर शहर के प्रमुख चौराहों, मोहल्लों में लगे गन्ने की अस्थाई दुकानों पर लोगों ने जमकर खरीददारी की।
एकादशी पर पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ में शाम को तुलसी विवाह पूरे धूमधाम से होगा। मठ से जुड़े संतों के अनुसार शाम को गोधूलि वेला में गणेश घाट से श्रीमठ तक गाजेबाजे के साथ भगवान शालिग्राम की बारात निकाली जाएगी। मठ में रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य के सानिध्य में द्वारपूजा होगी। पूजन-अर्चन के साथ ही विधिवत शालिग्राम-तुलसी विवाह होगा। तुलसीघाट पर भी श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र के सानिध्य में तुलसी विवाह होगा।
गौरतलब हो कि कार्तिक मास में एकादशी तिथि पर तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। मान्यता है कि तुलसी का विवाह भगवान के शालीग्राम अवतार के साथ होता है। माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। लोग घरों के अलावा घाटों पर तुलसी विवाह की परंपरा को निभाते है। घरों में तुलसी के पौधे पर जल अर्पण कर शाम को दीप भी जलाएगें। इससे घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। घर में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास रहता है।
उज्जैन, 11 नवंबर । उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में आज भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का चंदन के सूर्य, आभूषण और त्रिपुण्ड अर्पित कर बाबा महाकाल का दिव्य शृंगार किया गया। भगवान के इस दिव्य स्वरूप के हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं, कार्तिक-अगहन मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में उज्जैन में आज शाम भगवान महाकाल की कार्तिक मास की दूसरी सवारी धूमधाम से निकाली जाएगी। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जान जानेंगे। इस दौरान भगवान दो स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे।
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि परम्परा के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर सोमवार तड़के 4:00 बजे मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद पण्डे-पुजारियों ने भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से पंचामृत पूजन किया। तत्पश्चात हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर भांग चन्दन और त्रिपुण्ड अर्पित कर शृंगार किया गया। इसके बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई। चन्दन का सूर्य, आभूषण और त्रिपुण्ड अर्पित कर बाबा महाकाल का दिव्य शृंगार किया गया। भस्म अर्पित करने के बाद शेषनाग का रजत मुकुट रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई। फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।
भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्मारती के दर्शन किए और भस्मारती की व्यवस्था से लाभान्वित हुए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने "जय श्री महाकाल" का उद्घोष भी किया।
वहीं, महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि भगवान महाकाल की कार्तिक माह की दूसरी सवारी आज शाम चार बजे सभामंडप में पूजा-अर्चना के बाद शुरू होगी। सवारी में भगवान महाकाल दो स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे। भगवान महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में और रथ पर मनमहेश स्वरूप में नगर का भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी अवंतिकानाथ को सलामी देगी। इसके बाद कारवां शिप्रा तट की ओर रवाना होगा।
सवारी मे पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि शामिल रहेंगे। सवारी महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाडी होते हुए रामघाट क्षिप्रातट पहुंचेगी, जहां मॉ क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन पश्चात भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
काठमांडू। इस वर्ष 06 दिसंबर को होने वाले विवाह पंचमी महोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है। जनकपुरधाम के जानकी मंदिर में होने वाले विवाह महोत्सव में अयोध्या से बारात लाने का निमंत्रण देने के लिए जल्द ही अयोध्या में प्रदेश के मुख्यमंत्री के स्वयं जाने की तैयारी है।
शनिवार को जनकपुरधाम के जानकी मंदिर परिसर में विवाह पंचमी की तैयारी को लेकर सर्वपक्षीय बैठक बुलाई गई। इस बैठक में मधेश प्रदेश सरकार, जानकी मंदिर के महंथ, जिला प्रशासन, स्थानीय सुरक्षा अधिकारी, उद्योग व्यापार संघ, विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संघ संस्थाओं के प्रतिनिधि की उपस्थिति रही। इस बैठक में विवाह पंचमी को भव्य रूप से सफल बनाने के लिए सभी के साथ समन्वय करने के लिए कई समितियों का गठन किया गया।
जानकी मंदिर के महंथ राम तपेश्वर दास ने बताया कि इस बार विवाह पंचमी में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र पंकज, ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारी सहित अयोध्या से करीब 500 की संख्या में बारात अयोध्या से जनकपुरधाम आने की सूचना मिली है। इसमें भारत के कई जाने माने संतों के आने की बात भी कही गई है। इनमें मनीराम छावनी के उत्तराधिकारी महंथ कमल नयन दास, ऋषिकेश के महंथ डा रामेश्वर दास, दिगम्बर अखाड़ा के महंथ प्रमुख हैं।
बारात आने से पहले जनकपुरधाम से जानकी मंदिर के महंथ तिलक चढ़ाने के लिए अयोध्या जाने वाले हैं। महंथ राम तपेश्वर दास ने कहा कि 16 नवंबर को अयोध्या में तिलक चढ़ाया जाएगा। तिलक लेकर जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंथ राम रोशन दास अयोध्या जाएंगे जिनके साथ विश्व हिंदू परिषद नेपाल से जुड़े दर्जनों संत भी सहभागी होने वाले हैं। इस पूरे विवाह पंचमी कार्यक्रम में नेपाल सरकार, मधेश प्रदेश सरकार, जनकपुरधाम उप महानगरपालिका संयुक्त रूप से आयोजक है जबकि विश्व हिंदू परिषद नेपाल पूरे कार्यक्रम का समन्वय कर रहा है।
जनकपुर में आने वाले बारात को निमंत्रण देने के लिए मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे जाने का निर्णय किया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह ने कहा कि बारात को निमंत्रण देने जाना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास से समन्वय कर एक दो दिनों में ही अयोध्या जाने की तारीख तय हो जाएगी।
अयोध्या के कारसेवकपुरम से 26 नवंबर को सुबह 8 बजे बारात जनकपुर के लिए प्रस्थान करेगी। बारात आने वाले मार्ग, रात्रि विश्रम का समय एवं वहां होने वाले अन्य कार्यक्रम भी तय कर लिए गए हैं। पहला दिन अयोध्या से चली बारात गोसाईकुंड, आंबेडकर नगर, बसखारी होते हुए आजमगढ़ में रात्रि विश्राम करेगी।इसी तरह दूसरे दिन मऊ, रसड़ा होते हुए बिहार के बक्सर में रात्रि विश्राम करेगी। तीसरे दिन बक्सर से आरा, बिहटा,दानापुर होते हुए रात्रि विश्राम पाटलिपुत्र में होने का कार्यक्रम तय है।
चौथे दिन हाजीपुर, वैशाली होते हुए कांटी के रात्रि विश्राम का कार्यक्रम है। पांचवे दिन यह बारात रूनी सैदपुर होते हुए सीतामढ़ी के पुनौराधाम में रात्रि विश्राम होने वाला है। छठे दिन बेनी पट्टी, बासोपट्टी होते हुए मधवापुर मटिहानी में रात्रि विश्राम होगा। आठवें दिन बारात मटिहानी से नेपाल में प्रवेश करते हुए जलेश्वर, पिपरा होते हुए मिथिला नगर की परिक्रमा कराई जाएगी। इसी दिन रात्रि विश्राम जनकपुरधाम में होगा। नौवे दिन जानकी मंदिर में तिलकोत्सव का कार्यक्रम आयोजन किया जाएगा। दसवें दिन जनकपुरधाम का भ्रमण और गंगासागर में पूजा तथा मटकोर का कार्यक्रम होगा।
ग्यारहवें दिन 6 दिसंबर को विवाह का मूल समारोह का आयोजन रंगभूमि में किया जाएगा जबकि रात्रिकालीन विवाह महोत्सव जानकी मंदिर के प्रांगण में किया जाएगा। बारहवें दिन राम कलेवा और बारात के सम्मान में भोज का कार्यक्रम होना तय हुआ है। तेरहवें दिन बारात की जनकपुरधाम से औपचारिक विदाई होगी। यह बारात जनकपुर से बीरगंज में रात्रिविश्रम करने के पश्चात वहां से मोतिहारी, गोपालगंज, कुशीनगर, गोरखपुर होते हुए अयोध्या वापस पहुंचेगी।
प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली बार परिक्रमा - अयोध्या में उमड़ा श्रद्धालुओं का सागर
अयोध्या, 10 नवंबर । कार्तिक मास की नवमी तिथि पर लाखों श्रद्धालु 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहली बार 14 कोसी परिक्रमा करने को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। यही वजह है कि लगभग बीस लाख से अधिक श्रद्धालु परिक्रमा कर रहे हैं।
मुहूर्त के अनुसार शनिवार शाम 6 बजकर 32 मिनट पहले परिक्रमा आरंभ कर दी गई थी। अगले दिन मुहूर्त अनुसार रविवार दोपहर बाद 4:44 बजे तक यह परिक्रमा चलेगी।परिक्रमा क्षेत्र में लाखों श्रद्धालु रामनाम संकीर्तन और लोक गीतों के साथ परिक्रमा कर रहे हैं।
बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। परिक्रमा मार्गों पर बड़ी संख्या में पुरुष व महिला पुलिस कर्मियों के साथ सादी वर्दी में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। इसके साथ ही ड्रोन से पूरे मेले की निगरानी की जा रही है। परिक्रमा एटीएस की निगरानी में शुरू हुई है और खास भीड़भाड़ वाले स्थान परिक्रमा पथ पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं।
रविवार से शुरू हुए कार्तिक परिक्रमा मेले में इस बार भारी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा के लिए उमड़े हैं। प्रशासन ने जगह-जगह पर खोया-पाया कैम्प लगाए हैं।
क्या है धार्मिक मान्यताधार्मिक मान्यता है कि 14 कोसी परिक्रमा यानी 42 किलोमीटर की परिक्रमा को पूरा करने पर सात जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है। अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक परिक्रमा का आयोजन आज भी अपनी परंपरा के मुताबिक होता है।
यहां से उठी है 14 कोसी परिक्रमा मार्गनाका हनुमान गढ़ी, नयाघाट, हनुमान गुफा, दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय चौराहा, श्री सीताराम आरोग्य निकेतन, रामायणम् आश्रम, श्री रामाज्ञाश्रम, कारसेवक पुरम, श्री सीताराम आश्रम, धूनीवाले बाबा, श्रीरामजन्मभूमि कार्यशाला राम-घाट चौराहा, मानस भवन, श्री हरिधाम महादेवा मंदिर आदि 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के प्रमुख स्थल हैं।
कंट्रोल रूम में दे सकते हैं सूचना14 कोसी परिक्रमा मेला से जुड़ी किसी भी प्रकार की सूचना-जानकारी कंट्रोल रूम में दी/ली जा सकती है। कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर 9120989195 व 05278-232043, 232044, 46, 47 है। साथ ही मेला सहायक कौशल किशोर श्रीवास्तव से मोबाइल नंबर 9454402642 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
जगह-जगह हैं सेवा शिविरपूरे परिक्रमा पथ पर संगठनों के शिविर हैं ।चाय-नाश्ते के साथ अल्पाहार की व्यवस्था है। श्रद्धालु परिक्रमा में इन व्यवस्था का लाभ ले रहे हैं।
पुष्कर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अजमेर में स्थित है। यह पुष्कर से 30 मिनट की दूरी पर है और कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, जयपुर, भोपाल और बैंगलोर जैसे महानगरों से जुड़ा हुआ है। अजमेर स्टेशन से, कई स्थानीय कैब और बसें हैं जो आपको तीर्थ नगरी पुष्कर तक ले जा सकती हैं। ट्रेन में यात्रा का किराया भी फ्लाइट से कम है। फिर से ट्रेन की यात्रा में, पर्यटक पूरी यात्रा के दौरान खूबसूरत नज़ारे भी देख सकते हैं। इसलिए अगर किसी यात्री को पुष्कर पहुँचने की जल्दी है, तो वे यात्रा के लिए रेलवे का विकल्प चुन सकते हैं।
पटना, 08 नवम्बर । देश-दुनिया में लोक आस्था के छठ महापर्व का चौथे दिन आज सुबह छठवर्तियों के उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया। इसके बाद सभी छठ व्रतियों ने व्रत का पारण किया।
मान्यता है कि सूर्योदय के समय अर्घ्य देने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य, संतान प्राप्ति की मनोकामना और संतान की रक्षा का वरदान मिलता है।
छठ महापर्व के आखिरी दिन सूर्योदय के दौरान अर्घ्य देते समय मंत्र-ओम एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय माम् भक्तया गृहाणाघ्र्यम् दिवाकर का जाप किया गया। महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ था। पहले दिन व्रतियों ने यहां गंगा स्नान के साथ सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दिया। इसके बाद पूरी पवित्रता के साथ अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी आदि का भोग लगाकर प्रसाद तैयार किया। बुधवार को खरना पूजन के दिन व्रतियों ने पूरे दिन उपवास कर शाम में भगवान का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। गुरुवार को व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
आज उदीयमान सूर्य को नदी-तालाब या अन्य जल स्रोतों के बीच खड़े होकर अर्घ्य देने के साथ ही छठ का चार दिवसीय अुनष्ठान पूरा हो गया। छठ व्रतियों ने अनुष्ठान के समापन की पूर्व संध्या पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दिन षष्ठी तिथि को छठी मैया का पूजन विधि-विधान के साथ हुआ। सात नवंबर को धृति व रवि योग का संयोग बना रहा। व्रतियों ने जल में खड़े होकर पवित्रता के साथ फल, मिष्ठान, नारियल, पान-सुपारी, फूल, अर्कपात से भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना की। आज सुबह कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय पर्व संपन्न हुआ। अर्घ्य व पूजन करने के बाद व्रतियों ने घाट पर पारण कर पर्व का समापन किया।
नडियाद । गुजरात के खेड़ा जिले के नडियाद के समीप वडताल धाम में गुरुवार, 07 से 15 नवंबर तक स्वामीनारायण सम्प्रदाय का द्विशताब्दी महोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान यहां विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समारोह का आयोजन किया जाएगा। आयोजन में देश-विदेश के 25 लाख से अधिक हरिभक्तों के यहां उमड़ने की संभावना है। इसे लेकर वडताल धाम में पिछले 6 महीने से अधिक समय से दिन-रात हजारों हरिभक्त तैयारी में जुटे हैं।
विक्रम संवत 1881 के कार्तिक शुक्ल द्वादशी के दिन वडताल धाम में सहजानंद स्वामी यानी स्वामीनारायण भगवान ने स्वहस्ते गर्भगृह में श्री लक्ष्मीनारायण देव, श्रीहरिकृष्ण महाराज, श्रीराधाकृष्ण देव आदि भगवान स्वरूप मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की थी। इसके अब संवत 2081 में दो सौ साल पूर्ण हो रहे हैं। इस अवसर पर स्वामीनारायण संप्रदाय के वर्तमान आचार्य राकेश प्रसाद महाराज के सानिध्य में श्री लक्ष्मीनारायण देव द्विशताब्दी महोत्सव मनाया जा रहा है। यह 07 से 15 नवंबर तक चलेगा। इस महोत्सव में देश-विदेश के 25 लाख से अधिक हरिभक्त शामिल होंगे। राज्य के कोने-कोने से भी श्रद्धालुओं का यहां पहुंचना जारी है। यह सभी हरिभक्त महोत्सव के सुचारू रूप से संचालन के लिए साफ-सफाई से लेकर छोटी-बड़ी सभी सेवाओं में दिल-जान से जुट गए हैं।
वडतालधाम में 800 बीघा यानी 1.95 करोड़ वर्ग मीटर जमीन में महोत्सव की सम्पूर्ण तैयारी की गई है। महोत्सव के लिए प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक, फिल्म अभिनेता समेत सामान्य लोगों को आमंत्रण भेजा गया है। इसके अलावा यूरोप, पूर्वी अफ्रीका, कनाडा, सिंगापुर, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया, लंदन, न्यूजीलेंड, दुबई आदि स्थानों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। महोत्सव में 9 दिनों के दौरान करीब 25 लाख हरिभक्तों के आने की संभावना आयोजकों ने जतायी है।
कार्यक्रम विवरण-
सात नवंबर को सुबह 8 बजे से वलेटवा चौराहे से महोत्सव परिसर तक पोथीयात्रा निकाली जागएी। इसके बाद 10.30 बजे सभामंडप में 200 शंखनाद, 11 बजे महोत्सव का उद्घाटन किया जाएगा। स्वागत नृत्य के बाद दीप प्राकट्य होगा। इसके बाद ठाकोरजी, पोथीजी, आचार्य समेत वक्ताओं का पूजन होगा। दिन के 3 बजे से महापूजा का आरंभ किया जाएगा। 08 नवंबर को महोत्सव परिसर में जनमंगल अनुष्ठान शुरू होगा। शाम 5.30 बजे घनश्याम प्रागटयोत्सव महोत्सव का आयोजन होगा। 9 नवंबर को सुबह 5.30 बजे नंद संतों की धर्मशाला में सर्वशाखाा वेद परायण शुरू होगा। दिन के 12 से दोपहर 3 बजे तक महिला मंच आयोजित होगा। शाम 5 बजे मंदिर परिसर में श्रीसुक्तम अनुष्ठान की पूर्णाहुति होगी। 10 नवंबर को सुबह 8 बजे मंदिर परिसर में श्रीसुक्तम अनुष्ठान होमात्मक शुरू होगा। सुबह 10 बजे आलौकिक अक्षरभुवन कुम्भी शाीला पूजन होगा। शाम 5.30 बजे पुस्तक प्रकाशन होगा। 11 नवंबर को शाम 4 बजे महोत्सव परिसर में वडताल आगमन उत्सव होगा। जेतपुर श्रीहरि गादी पट्टाभिषेक होगा। 12 नवंबर को सुबह 07 से 10 बजे तक धर्मशाला संत दीक्षा आयोजन होगा। शाम 4 बजे से गोमतीजी से मंदिर यजमानों की जलयात्रा निकाली जाएगी। इसी दिन 12 बजे मंदिर परिसर में श्री धर्मदेव जन्मोत्सव आयोजित होगा। 13 नवंबर को पाटोत्सव अभिषेक के बाद सुबह 10.30 बजे नूतन संत निवास उद्घाटन होगा। अन्नकूट दर्शन और शाम वडताल पुष्पदोलत्सव और सर्व शाखा वेदा पारायण पूर्णाहुति कार्यक्रम आयोजित होगा। 14 नवंबर को शाम 5.30 बजे से वडताल प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव परिसर में होगा। अंतिम दिन 15 नवंबर को शाम 6 बजे भक्तिमाता का जन्मोत्सव मंदिर परिसर में होगा। इसी दिन सुबह 11.30 बजे चातुर्मास पूनम का उद्यापन किया जाएगा।