भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक और ऐतिहासिक मान्यता मिली है। मराठा सैन्य परिदृश्य को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है, जिससे यह भारत की 44वीं विश्व धरोहर संपत्ति बन गई है।
यह सम्मान भारत की ऐतिहासिक स्थापत्य उत्कृष्टता, क्षेत्रीय पहचान और सांस्कृतिक निरंतरता को वैश्विक मंच पर मान्यता प्रदान करता है। मराठा साम्राज्य की रणनीतिक सैन्य दृष्टि और स्थापत्य प्रतिभा का प्रतीक यह परिदृश्य 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच निर्मित 12 भव्य किलों का नेटवर्क है।
इन किलों में महाराष्ट्र के सालहेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग, तथा तमिलनाडु में स्थित जिंजी किला शामिल हैं।
यह निर्णय यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में लिया गया, जो पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में आयोजित किया गया था। इस प्रस्ताव को जनवरी 2024 में प्रस्तुत किया गया था, जिसके बाद अठारह महीनों की कठोर तकनीकी समीक्षा और स्थलीय निरीक्षण की प्रक्रिया पूरी की गई।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सराहना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासियों को बधाई दी और कहा कि "मराठा सैन्य परिदृश्य में भारत का गौरव, वीरता और वास्तुशिल्प प्रतिभा समाहित है।"
प्रधानमंत्री ने इन स्थलों के दौरे का आग्रह करते हुए कहा कि ये किले न केवल हमारे अतीत की वीर गाथाओं को जीवंत करते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को भी मराठा साम्राज्य के सुशासन, सैन्य पराक्रम और सांस्कृतिक आत्मबल से प्रेरित करते हैं।
यह मान्यता भारत के पर्यटन, सांस्कृतिक संरक्षण और ऐतिहासिक शोध के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने वाली है।