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कूनों राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता नाभा की मौत, एक सप्ताह पहले हुई थी घायल

Date : 12-Jul-2025

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया से लाई गई मादा चीता नाभा की शनिवार को मौत हो गई है। वह एक सप्ताह पहले घायल हालत में मिली थी। कूनो प्रबंधन ने इसकी जानकारी मीडिया से साझा की है। नाभा की मौत के बाद कूनों उद्यान में चीतों की संख्या घटकर 26 रह गई है।

सिंह परियोजना के फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि कूनो नेशनल पार्क की 8 वर्षीय नामीबियाई मादा चीता नाभा की शनिवार सुबह मृत्यु हो गई। वह एक सप्ताह पहले सॉफ्ट रिलीज बोमा के अंदर घायल अवस्था में पाई गई थी। संभवत: वह शिकार के प्रयास के दौरान घायल हुई थी। अन्य चोटों के साथ उसके दोनों बाएं आगे एवं पिछले पैरों में फ्रैक्चर पाया गया था। एक हफ्ते से उसका इलाज चल रहा था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। आज उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की जानकारी मिल पाएगी।

वन विभाग के मुताबिक, चीता नाभा के शरीर पर गहरे घाव और खरोंच के निशान थे। अधिकारियों ने किसी अन्य चीते से आपसी संघर्ष होने की आशंका जताई है। यह भी संभव है कि शिकार के दौरान वह घायल हुई हो। फिलहाल, फॉरेस्ट मेडिकल टीम को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। अधिकारियों का कहना है कि कूनाे नेशनल पार्क में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और सीमित जगह के चलते चीतों के बीच आपसी संघर्ष के मामले बढ़े हैं।

नाभा की मौत के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान में फिलहाल 26 चीते जीवित हैं, जिनमें 9 वयस्क चीते (6 मादा और 3 नर) और भारत में जन्में 17 शावक शामिल हैं। क्षेत्रीय निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि सभी चीते स्वस्थ हैं और अच्छा कर रहे हैं। इन 26 चीतों में से 16 चीते जंगल में विचरण कर रहे हैं, जिनका व्यवहार और अनुकूलन संतोषजनक बताया गया है। 2 मादा चीते वीरा और निरवा अपने हाल ही में जन्मे शावकों के साथ स्वस्थ हैं और स्वाभाविक व्यवहार प्रदर्शित कर रही हैं। इसके अलावा गांधीसागर में भेजे गए दो नर चीते भी अच्छी स्थिति में हैं और उनकी निगरानी की जा रही है।

गौरतलब है कि भारत से कई सालों पहले चीते विलुप्त हो गए थे। करीब 70 साल के बाद केन्द्र सरकार ने चीतों की पुनरुत्थान योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिन के मौके पर 17 सितंबर, 2022 को 8 चीते नामीबिया से लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए थे। इसके बाद 18 फरवरी, 2023 को 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया गया। इन 20 चीतों के साथ धीरे-धीरे इन चीतों का कुनबा तो बढ़ा, लेकिन कई चीतों की मौत भी हुई थी।

 
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