नई दिल्ली, 12 जुलाई । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने "पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग का मापन" शीर्षक से एक तकनीकी संक्षिप्त विवरण जारी किया है। इसमें पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों विशेष रूप से आयुष प्रणालियों के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एकीकृत करने में भारत के अग्रणी प्रयासों की सराहना की गई है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ दस्तावेज़ में भारत की ओर से किए गए कई अग्रणी एआई-संचालित नवाचारों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें प्रकृति-आधारित मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करके पूर्वानुमानित निदान से लेकर आयुर्वेद ज्ञान और आधुनिक जीनोमिक्स को एक साथ लाने वाली परियोजना शामिल है। इस डिजिटल परिवर्तन का मूल आधार आयुष ग्रिड है। यह 2018 में शुरू किया गया एक व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफ़ॉर्म है जो कई नागरिक-केंद्रित पहलों जैसे कि एसएएचआई पोर्टल, नमस्ते पोर्टल और आयुष अनुसंधान पोर्टल की नींव का काम करता है। ये एआई-सक्षम प्लेटफ़ॉर्म न केवल भारत की पारंपरिक ज्ञान चिकित्सा प्रणालियों को संरक्षित और मान्य कर रहे हैं, बल्कि साक्ष्य-आधारित, डिजिटल स्वास्थ्य सेवा ढांचों के भीतर उनके वैश्विक एकीकरण को भी आगे बढ़ा रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह प्रकाशन आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी में एआई-संचालित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत शृंखला को प्रदर्शित करता है, जिसमें निदान सहायता प्रणालियां भी शामिल हैं जो नाड़ी मापन, जीभ परीक्षण और प्रकृति मूल्यांकन जैसी पारंपरिक विधियों को मशीनों के अनुप्रयोग और गहन तांत्रिका नेटवर्क के साथ एकीकृत करती हैं। ये प्रयास निदान सटीकता को बढ़ा रहे हैं और व्यक्तिगत निवारक देखभाल को सक्षम बना रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू औषधि की कार्यप्रणाली की पहचान, आयुर्वेद, पारंपरिक चीनी चिकित्सा, यूनानी चिकित्सा पद्धतियों के बीच तुलनात्मक अध्ययन और रस, गुण जैसे पारंपरिक मापदंडों का आकलन करने के लिए कृत्रिम रासायनिक सेंसरों के विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग है। ये तकनीकी समाधान पारंपरिक औषधियों को मान्य और आधुनिक बनाने में मदद कर रहे हैं।
दस्तावेज़ में ऑनलाइन परामर्श के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों को शामिल करने, आयुष चिकित्सकों के बीच डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा के साथ एकीकृत करने के लिए अंतर-प्रचालनीय प्रणालियों के विकास में भारत के व्यापक प्रयासों की भी सराहना की गई है।
यह विवरण इस विषय पर भारत के प्रस्ताव के बाद जारी किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप पारंपरिक चिकित्सा में एआई के अनुप्रयोग के लिए डब्ल्यूएचओ का पहला रोडमैप विकसित हुआ है।