रुद्रप्रयाग। मानसून में संतुलित बारिश, प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण और जीव-जंतुओं के सुपोषण के लिए केदारनाथ में छह दिवसीय सोम यज्ञ में वेदाचार्य आहुतियां दे रहे हैं। इस अनुष्ठान के वैज्ञानिक प्रभाव का अध्ययन भी किया जा रहा है, जिसके आधार पर जलवायु परिवर्तन सहित अन्य बिदुओं का अध्ययन भी किया जाएगा।
केदारनाथ धाम में बीते शनिवार से अक्षय कृषि परिवार और महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के संयुक्त सहयोग से छह दिवसीय सौमिक सुवृष्टि सोमयोग शुरू हुआ। बाबा केदार, क्षेत्रपाल भैरवनाथ की पूजा-अर्चना और आदिगुरु शंकराचार्य को स्मरण करते हुए सोम यज्ञ का विधि-विधान से शुभारंभ किया गया। इस यज्ञ की संकल्प पूजा डा. गजानन और कल्याणी डांगे के हाथों हुई। दक्षिण भारत और मुंबई से पहुंचे अग्निहोत्री ब्राह्मण शौनक अग्निहोत्री और रेवा काले द्वारा सभी वैदिक परंपराओं के तहत वेद-मंत्रोच्चार के साथ हवन कुंड में हजारों आहुतियां दी जा रही हैं।
आहुतियां दी जा रही हैं। इस अनुष्ठान में आईआईटी दिल्ली, भारतीय मौसम विभाग के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और भारतीय कृषि मंत्रालय के वैज्ञानिक भी प्रतिभाग कर रहे हैं। सोमयज्ञ में धार्मिक परंपराओं के साथ वैज्ञानिक आधार का भी अध्ययक्ष किया जा रहा है। सोम यज्ञ के दूसरे दिन केदारनाथ धाम में केदारसभा के पदाधिकारी और अन्य तीर्थपुरोहित शामिल हुये। इस मौके पर आयोजकों ने सभी अतिथियों को सम्मानित किया। क्या होता है सोम यज्ञ रुद्रप्रयाग। अक्षय कृषि परिवार के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. गजानन डांगे बताते हैं कि सोमयज्ञ एक ऐसा यज्ञ है जो केवल मानव कल्याण के लिए ही नहीं होता। बल्कि समस्त सृष्टि के सजीव जीव-जंतुओं के पोषण, सृष्टिचक्र के संतुलन के लिए किया जाता है।
इस यज्ञ में मानसून सीजन में संतुलित वर्षा, वातावरणीय संतुलन और अच्छी फसल की कामना के लिए आहुतियां दी जाती हैं। उन्हाेंने बताया कि प्राचीन समय में मानसून से पूर्व सुख-समृद्धि के लिए भगवान आशुतोष के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सोमयज्ञ आयोजित किये जाते थे। 11 ज्योतिर्लिंगों में हो चुके सोम यज्ञ रुद्रप्रयाग। इस वर्ष फरवरी में ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम में सोम यज्ञ का आयोजन किया गया। वहीं, मार्च में भिमाशंकर, त्रिंबकेश्वर, घृष्णेश्वर, मल्लिकार्जुन और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में यह अनुष्ठान किया गया। अप्रैल में सोमनाथ और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में सोम यज्ञ अनुष्ठान संपन्न हुये। मई में नागेश्वर, बैद्यनाथ और काशी विश्वनाथ में सौमिक सुवृष्टि सोमयाेग का भव्य आयोजन किया गया।