बीजिंग, 5 नवंबर । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को यहां रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में द्विपक्षीय रणनीतिक साझीदारी' को और मजबूत करने पर जोर दिया।
चीन की संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने यह जानकारी दी। एजेंसी के मुताबिक वार्ता के दाैरान राष्ट्रपति शी ने कहा, “चीन और रूस के बीच सहयोग केवल दोनों राष्ट्रों के हित में ही नहीं है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी यह आवश्यक है।”
महलांगोंग रेसिडेंस में आयोजित इस बैठक में राष्ट्रपति शी ने रूसी प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों ने आर्थिक, सैन्य और तकनीकी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति हासिल की है।
उन्हाेंने कहा, “हमारी साझीदारी को ‘नए युग की रणनीतिक साझीदारी’ के रूप में परिभाषित किया गया है, जो अमेरिकी एकतरफावाद और प्रतिबंधों के खिलाफ एक मजबूत ढाल है। ”
शी ने दाेनाें देशाे के बीच ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी गहन सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर मिशुस्तिन ने राष्ट्रपति शी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा, “रूस चीन को अपने सबसे विश्वसनीय साझीदार के रूप में देखता है। यूक्रेन संकट और पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, हमारा व्यापार 2024 में 240 अरब डॉलर से अधिक पहुंच गया, जो हमारी साझीदारी की मजबूती का प्रमाण है।”
उन्होंने साइबेरिया से तेल पाइपलाइन विस्तार और आर्कटिक क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं पर चर्चा की, जो दोनों देशों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगी। इसके अलावा, दाेनाें नेताओं के बीच कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और नवीकरणीय ऊर्जा में तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी।
यह बैठक 2025 के 'चीन-रूस वर्ष' के तहत हुई, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक यह बैठक ब्रिक्स समूह और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे मंचों पर दोनों देशों की भूमिका को मजबूत करेगी।
इस बैठक के बारे में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, “यह बैठक वैश्विक बहुध्रुवीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां चीन और रूस संयुक्त रूप से विकासशील देशों की आवाज बुलंद करेंगे।”
बैठक के समाप्त हाेने पर राष्ट्रपति शी ने कहा, “हम एक-दूसरे के विकास को 'अवसर' के रूप में देखें और साझा भविष्य का निर्माण करें। यह मुलाकात न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति को भी मजबूत करेगी।"
