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भारत का सबसे प्राचीन मंदिर: मुंडेश्वरी देवी मंदिर

Date : 28-Oct-2025


भारत को प्राचीन मंदिरों और समृद्ध संस्कृति वाले देश के रूप में जाना जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व अद्वितीय हैं। इनमें से एक मंदिर, जिसे दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है, वह है मुंडेश्वरी देवी मंदिर

मुंडेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास

मुंडेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण 108 ईस्वी में हुआ था और यह बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में स्थित है। मंदिर पवरा पहाड़ी की चोटी पर, 608 फीट की ऊँचाई पर बना हुआ है। इतिहासकारों के अनुसार, मंदिर की स्थापना हुविश्क के शासनकाल में हुई थी। यहां भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है।

पुरातात्विक प्रमाणों और शिलालेखों के अनुसार, इस मंदिर में पिछले लगभग 2,000 वर्षों से लगातार पूजा अनुष्ठान संपन्न हो रहे हैं। मंदिर परिसर से गणेश, विष्णु, सूर्य और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं। 1968 में पुरातत्व विभाग ने यहां से मिलीं 97 दुर्लभ मूर्तियों को 'पटना संग्रहालय' और तीन को 'कोलकाता संग्रहालय' में सुरक्षित किया।

स्थापत्य और धार्मिक महत्व

मुंडेश्वरी देवी मंदिर की अष्टकोणीय वास्तुकला इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। मंदिर पूरी तरह पत्थर से निर्मित है और इसमें नागर शैली की नक्काशी देखने को मिलती है। मंदिर के मध्य में चारमुखी शिवलिंग स्थापित है, जो भगवान शिव की सर्वव्यापी प्रकृति का प्रतीक है।

मंदिर में पुरुष और स्त्री ऊर्जा का संगम दिखता है, क्योंकि यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है। मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान भी संपन्न होते हैं, जिससे इसका रहस्यवाद और आध्यात्मिक महत्त्व बढ़ जाता है।

त्योहार और श्रद्धालु

मुंडेश्वरी देवी मंदिर हर साल रामनवमी और नवरात्रि जैसे प्रमुख त्योहारों पर श्रद्धालुओं से भर जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आते हैं और मंदिर के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्त्व का अनुभव करते हैं।

भारत के प्राचीन मंदिरों में स्थान

मुंडेश्वरी देवी मंदिर को भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में शामिल किया जाता है। हालांकि, दुनिया में सबसे प्राचीन पूजा स्थल के रूप में इसे निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, क्योंकि मक्का स्थित काबा का इतिहास इससे भी पुराना माना जाता है। भारत में प्राचीन शक्ति पीठ, ज्योतिर्लिंग और अन्य मंदिरों जैसे हिंगलाज माता, ज्वालादेवी, कामाख्यादेवी और अमरनाथ लगभग 5,000 वर्ष पुराने बताए जाते हैं।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि

भारत में मंदिरों का इतिहास ऋग्वेद काल से जुड़ा है। प्राचीन काल में मंदिर न केवल पूजा स्थल थे, बल्कि ऊर्जा और प्रार्थना के केंद्र भी थे। मध्यकाल में कई मंदिर मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त कर दिए गए, जिससे भारत के कई प्राचीन मंदिरों का अस्तित्व नष्ट हो गया। आज जिन मंदिरों का अस्तित्व बचा है, वे इतिहास और संस्कृति के जीवंत प्रतीक बने हुए हैं।

मुंडेश्वरी देवी मंदिर केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत उदाहरण है। इसकी अष्टकोणीय वास्तुकला, हजारों वर्षों से चल रही पूजा परंपरा और रहस्यवादी अनुष्ठान इसे भारत के धार्मिक और स्थापत्य इतिहास में विशेष स्थान दिलाते हैं।

इस मंदिर का भ्रमण न केवल भक्तों के लिए, बल्कि इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव है।

 
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