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नवीनीकरण से पहले कानूनी विवाद में फंसा शाहरुख खान का बंगला 'मन्नत', सुनवाई 23 अप्रैल को

Date : 11-Mar-2025

शाहरुख अपने मुंबई स्थित बांद्रा के बंगले 'मन्नत' में कुछ बदलाव करना चाहते थे, लेकिन इससे पहले ही उनके सामने एक कानूनी अड़चन आ गई है। मुंबई के एक सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने शाहरुख पर कुछ आरोप लगाए हैं, जिसके चलते 'मन्नत' का नवीनीकरण शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गया है। महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) के समक्ष इस मामले की सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने शाहरुख और महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण पर तटीय विनियमन क्षेत्र की अनुमति के बिना 'मन्नत' में बदलाव करने का आरोप लगाया है। संतोष का दावा है कि बंगले के नवीनीकरण के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया और शाहरुख ने इसके लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली।

बांद्रा के पॉश इलाके में स्थित शाहरुख खान की आलीशान हवेली 'मन्नत' किसी टूरिस्ट अट्रैक्शन से कम नहीं है। प्रशंसक अक्सर यहां आकर तस्वीरें खिंचवाते हैं और इस आइकॉनिक बंगले की झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। हालांकि, शाहरुख और गौरी खान ने अपने इस ड्रीम होम को और भी भव्य बनाने का फैसला किया था, लेकिन इससे पहले ही यह कानूनी विवादों में घिर गया है। शाहरुख की लोकप्रियता और स्टारडम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 'मन्नत' की कीमत करीब 200 करोड़ रुपये बताई जाती है।

दरअसल, शाहरुख खान का महलनुमा बंगला 'मन्नत' ग्रेड III धरोहर संरचना की सूची में शामिल है। ऐसे में इसमें किसी भी तरह का बदलाव करने के लिए उचित अनुमति लेना अनिवार्य होता है। आरोप लगाया गया है कि शाहरुख ने जन आवास के लिए बने 12 वन-बीएचके फ्लैट्स को एक बड़े घर में तब्दील कर दिया है। इस मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर से उनके दावों के समर्थन में सबूत प्रस्तुत करने को कहा है।

23 अप्रैल को होगी अगली सुनवाईन्यायिक सदस्य दिनेश कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य विजय कुलकर्णी ने कहा कि यदि शाहरुख खान या महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) के कोई नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो संतोष दौंडकर को 4 सप्ताह के भीतर सबूत प्रस्तुत करने होंगे। यदि वह ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो अपील खारिज की जा सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 23 अप्रैल को होगी।

 
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