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तमिल और तमिल फिल्म में अभिनेत्री पद्मभूषण बी सरोजा देवी का योगदान भुलाया नहीं सकता

Date : 14-Jul-2025

तमिल सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बी सरोजा देवी के निधन से साउथ फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित बी सरोजा देवी ने अपने सात दशक लंबे फिल्मी करियर में 200 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और भारतीय सिनेमा में एक अमिट छाप छोड़ी। उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

87 वर्षीय सराेजा देवी पिछले कुछ समय से उम्र संबधी बीमारियों से पीड़ित थीं और उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था। बी सरोजा देवी को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया था। साल 1969 में उन्हें पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें तमिलनाडु सरकार का कलाईममणि पुरस्कार और बैंगलोर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्राप्त हुई थी। उन्होंने 53वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में निर्णायक मंडल की अध्यक्षता भी की थी।

बी सरोजा देवी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत साल 1955 में महज 17 साल की उम्र में की थी। उनकी पहली फिल्म 'महाकवि कालिदास' थी। हालांकि, उन्हें असली पहचान 1958 में आई सुपरहिट तमिल फिल्म 'नादोदी मन्नान' से मिली। साल 1959 में सरोजा देवी ने हिंदी सिनेमा की ओर रुख किया। उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म 'पैगाम' थी, जिसमें उन्होंने ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के साथ स्क्रीन शेयर की। इसके बाद उन्होंने 'ससुराल', 'प्यार किया तो डरना क्या' और 'बेटी बेटे' जैसी कई यादगार हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया। उनका अभिनय, सौम्यता और स्क्रीन प्रेज़ेंस आज भी भारतीय सिनेमा की धरोहर मानी जाती है।

बी सराेजा देबी के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 7 जनवरी 1938 को बेंगलुरु में हुआ था। वह पुलिस अधिकारी भैरप्पा और रुद्रम्मा की चौथी संतान थीं। फिल्म इंडस्ट्री में सरोजा देवी को सिर्फ अदाकारा ही नहीं, बल्कि एक ट्रेंडसेटर के रूप में भी याद किया जाता है। 1960 के दशक में उन्होंने साड़ी, जूलरी और हेयरस्टाइल में नए ट्रेंड स्थापित किए थे। उनके यादगार अभिनय के लिए उन्हें 'कित्तूर चेन्नम्मा', 'बब्रुवाहन' और 'अन्ना थांगी' जैसी फिल्मों के लिए विशेष रूप से सराहा जाता है।

तमिल सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बी. सरोजा देवी का सोमवार को 87 वर्ष की उम्र में बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित उनके निवास पर निधन हो गया। सरोजा देवी ने दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग, विशेष रूप से तमिल और कन्नड़ सिनेमा के माध्यम से लाखों प्रशंसकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।

 
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