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मायावती ने आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी और जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है.

Date : 08-May-2024

 

बसपा प्रमुख मायावती ने आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय समन्वयक की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है. पिछले साल 10 दिसंबर को मायावती ने 28 साल के आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. लंदन से एमबीए करने वाले आकाश की 7 साल पहले सियासी लॉन्चिंग हुई थी. आकाश हाल ही में तब चर्चा में आए थे, जब उनके खिलाफ यूपी के सीतापुर में आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया. आकाश ने यूपी की बीजेपी सरकार की तुलना तालिबान से की थी.

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तीसरे चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद मंगलवार रात बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद (29 साल) को अपने उत्तराधिकारी और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी से हटा दिया है. बमुश्किल पांच महीने पहले ही मायावती ने आकाश... आनंद को ये दोनों जिम्मेदारियां सौंपी थी. खुद मायावती ने आकाश को आगे बढ़ाया. सात साल तक राजनीति के गुर सिखाए और इस लोकसभा चुनाव में बड़े नेता के तौर पर लॉन्च किया था. अब अचानक आकाश आनंद पर एक्शन होने से सियासी गलियारों में चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. हालांकि, मायावती ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने यह निर्णय पार्टी और मूवमेंट के हित में और आकाश में पूर्ण परिपक्वता आने तक इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया है. जानिए 7 साल पहले सियासत में कदम ... सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मायावती ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया? इसके पीछे मुख्य वजह आकाश आनंद के आक्रमक तेवरों को भी माना जा रहा है. चूंकि, बसपा प्रमुख... मायावती के बारे में कहा जाता है कि वे किसी भी विरोधी दल के नेता के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने से परहेज करती हैं. वे सधी हुई भाषा में अपनी बात रखती और मुद्दों को लेकर विरोधी खेमे की घेराबंदी करती हैं. इसके उलट पहली बार लोकसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए मैदान में उतरे आकाश आनंद के आक्रामक तेवर और विरोधी दलों के खिलाफ टिप्पणियां चर्चा में गईं. आकाश के जोशीले अंदाज के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगे. इस बीच, 28 अप्रैल को आकाश आनंद समेत चार अन्य लोगों के खिलाफ सीतापुर में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया. आकाश पर आरोप है कि उन्होंने चुनावी भाषण के दौरान भड़काऊ और हिंसा उकसाने वाली टिप्पणियां की हैं. आकाश के भाषण पर जिला प्रशासन ने स्वत: संज्ञान लिया और कार्रवाई की. नए-नए राजनीति में आए आकाश आनंद के खिलाफ यह पहला आपराधिक मामला लिखा गया है

क्या था आकाश आनंद का आखिरी भाषण?

 

आकाश आनंद अप्रैल के आखिरी सप्ताह में सीतापुर में बसपा उम्मीदवार महेंद्र यादव के समर्थन में चुनावी जनसभा करने पहुंचे उन्होंने यहां यूपी की बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया और बेहद आक्रामक तरीके से हमला किया. आकाश ने अपने भाषण में आतंकवादी, तालिबानी, अफगानिस्तान, गद्दार... जैसे विवादित शब्दों का इस्तेमाल किया. माना जा रहा है कि यही भाषण उनके करियर पर ब्रेक लगा गया है. आकाश को इसी साल मार्च में गृह मंत्रालय ने Y कैटेगिरी की सुरक्षा दी है. 

मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार भी राजनीति में सक्रिय हैं. वे पार्टी के उपाध्यक्ष हैं. उनके बेटे आकाश आनंद ने शुरुआती दिनों में दिल्ली में पढ़ाई की. उसके बाद लंदन चले गए और वहां एमबीए की डिग्री हासिल की. वे 2017 में भारत लौट आए. आकाश 2017 में तब सुर्खियों में आए, जब मायावती ने सहारनपुर की चुनावी रैली में आकाश को पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलवाया था. मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से आकाश का परिचय लंदन से एमबीए ग्रेजुएट के रूप में कराया था और बताया था कि आकाश पार्टी मामलों में भी शामिल होंगे. उसके बाद आकाश ने धीरे-धीरे राजनीति में कदम आगे बढ़ाए. पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं से संवाद बढ़ाया. मायावती से जब आकाश के बारे में पूछा जाता तो वो यही कहती रहीं कि उसे राजनीति के लिए तैयार किया जा रहा है. मायावती ने आकाश को जनवरी 2019 में औपचारिक रूप से बसपा में शामिल करने का ऐलान किया. 

 

मायावती ने खुद किया आकाश आनंद को हटाने का ऐलान                             

 

मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सिलसिलेवार तीन पोस्ट किए हैं. उन्होंने लिखा,  बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आत्म-सम्मान, स्वाभिमान और सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेंट है जिसके लिए कांशीराम जी और मैंने खुद भी अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की है और इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है. इसी क्रम में पार्टी में अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही आकाश आनंद ... को नेशनल कोॉर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, लेकिन पार्टी और मूवमेंट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है. जबकि उनके पिता आनंद कुमार पार्टी और मूवमेंट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे. बसपा का नेतृत्व पार्टी और मूवमेंट के हित में और बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के कारवां को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का त्याग और कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटने वाला है.

 
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