भविष्य का निर्माण करने के लिए सपने से बढ़कर कुछ नहीं है - विक्टर ह्यूगो
Editor's Choice
जाति जनगणना के वितंड़ावाद और सिरफिरी बहस के बीच महात्मा गांधी का यह लेख और भी प्रासंगिक हो जाता है जो उन्होंने 'साप्ताहिक हरिजन' में लिखा था, यह लेख 'मेरे सपनों का भारत में भी संकलित है*
Date : 06-Sep-2024
मेरे सपनों के भारत में , वर्णाश्रम और जातिपाँति - मोहनदास करमचंद गांधी