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अध्यादेश पर फंसे ओली ने प्रचण्ड को फिर दिया कम्युनिष्ट एकता का प्रस्ताव

Date : 09-Feb-2025

काठमांडू । नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी सरकार के द्वारा जारी किए गए अध्यादेश को संसद से पारित करने के लिए प्रमुख विपक्षी दल के नेता से न सिर्फ सहयोग मांगा है बल्कि एक बार फिर से कम्युनिष्ट एकता करने का पास फेंका है।

नेपाल सरकार के द्वारा पिछले महीने लाए गए अध्यादेश को संसद से पारित कराने के लिए सरकार के पास आवश्यक बहुमत नहीं पहुंच रहा है। संसद के निचले सदन में दो तिहाई की बहुमत में रही ओली सरकार के पास ऊपरी सदन राष्ट्रीय सभा में सामान्य बहुमत भी नहीं है। यदि किसी भी एक सदन से अध्यादेश को पारित नहीं किया गया तो यह अध्यादेश के जरिए लाया गया कानून अवैध हो जाएगा।

राष्ट्रीय सभा में बहुमत नहीं पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रमुख विपक्षी दल के नेता माओवादी अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल प्रचण्ड को टेलीफोन कर अध्यादेश पर समर्थन करने का आग्रह किया है। इसका खुलासा खुद प्रचंड ने किया है।

शनिवार शाम को एक बयान जारी करते हुए प्रचण्ड ने ओली के तरफ से अध्यादेश पर समर्थन करने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे उन्होंने तत्काल ही खारिज कर दिया। अपने बयान में प्रचण्ड ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी कीमत पर ओली सरकार के द्वारा लाए गए अध्यादेश का समर्थन नहीं कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि ओली संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख कर देश में शासन चलाना चाहते हैं, जिसका माओवादी सहित कोई भी विपक्षी दल समर्थन नहीं कर सकता है।

सिर्फ अध्यादेश पर समर्थन ही नहीं ओली के तरफ से प्रचंड के समक्ष कम्युनिष्ट एकता का प्रस्ताव भी रखा है। इस समय केपी ओली नेपाली कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रहे हैं। लेकिन ऐसे में ओली के तरफ से प्रचंड को वाम एकता का प्रस्ताव रखना अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है।

इस बारे में प्रचण्ड के तरफ से जारी किए गए बयान में इस बात का भी उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इस समय जब ओली संकट के हैं तब उनको वाम एकता की याद आई है। प्रचण्ड ने ओली पर आरोप लगाते हुए कहा कि वाम एकता के सबसे बड़े दुश्मन ओली खुद हैं और आज अपनी संकट टालने के लिए उनके तरफ से किए गए वाम एकता के प्रस्ताव को महज उपयोग की राजनीति बताया है।

प्रचण्ड ने कहा है कि ओली की तरफ से दिए गए एकता के प्रस्ताव की न तो कोई गंभीरता है और न ही उसमें कोई ईमानदारी है। प्रचण्ड ने दावा किया है कि वो हमेशा ही वाम एकता के पक्षधर हैं और वाम दलों के बीच एकता के लिए वो हमेशा प्रयासरत रहते हैं लेकिन उसमें ओली के लिए कोई स्थान नहीं है।

 
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