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"बस्तर पंडुम 2025" में गूंजेगी 'बस्तर के राम' की कथा

Date : 01-Apr-2025

बस्तर क्षेत्र की समृद्ध कला, संस्कृति और परंपराओं के उत्सव 'बस्तर पंडुम 2025' में प्रख्यात कवि और वक्ता डॉ. कुमार विश्वास अपनी विशिष्ट शैली में "बस्तर के राम" कथा का वाचन करेंगे। आगामी 3 अप्रैल को आयोजित यह विशेष कार्यक्रम बस्तर क्षेत्र में शांति और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के नए सोपान स्थापित करेगा।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने "बस्तर पंडुम 2025" को बस्तर की आत्मा से जुड़ा सांस्कृतिक पुनर्जागरण बताते हुए कहा कि यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि बस्तर की अस्मिता, आस्था और आकांक्षाओं का उत्सव है। उन्होंने कहा कि "बस्तर के राम" जैसे कार्यक्रम बस्तर की पावन भूमि को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ते हैं और यह दर्शाते हैं कि विकास का सबसे प्रभावी मार्ग संस्कृति और परंपरा से होकर गुजरता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह उत्सव बस्तर को वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र पर एक नई पहचान देगा और जनजातीय परंपराओं को अगली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत बनाएगा

रामायण काल से जुड़ा बस्तर का ऐतिहासिक महत्व

दंडकारण्य क्षेत्र का रामायण काल में विशेष स्थान रहा है, जहां श्रीराम ने वनवास काल के दौरान कुछ समय बिताया था। इसी ऐतिहासिक संदर्भ में डॉ. कुमार विश्वास अपनी कथा "बस्तर के राम" के माध्यम से बस्तर क्षेत्र में श्रीराम के महत्व को उजागर करेंगे।

जब बस्तर पंडुम के मंच से डॉ. कुमार विश्वास की वाणी में राम कथा की गूंज बस्तर की वादियों में फैलेगी, तो यह केवल शब्दों का प्रवाह नहीं होगा, बल्कि यह शांति, एकता और पुनर्जागरण की भावना का संचार करेगा। इस आयोजन से बस्तर की समृद्ध पौराणिक विरासत को पुनः स्मरण किया जाएगा और इस धरती की आध्यात्मिक चेतना को जागृत किया जाएगा

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने "बस्तर के राम" के आयोजन पर कहा कि "बस्तर पंडुम" और "बस्तर के राम" जैसे कार्यक्रम बस्तर को भारत और विश्व से जोड़ने वाले सांस्कृतिक सेतु हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन दर्शाता है कि हिंसा का अंत संभव है और शांति का मार्ग संस्कृति से होकर गुजरता है

"बस्तर पंडुम 2025" - संस्कृति, कला और परंपराओं का महोत्सव

जनजातीय बाहुल्य बस्तर संभाग की स्थानीय कला, संस्कृति एवं जीवन शैली के संरक्षण-संवर्धन के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा "बस्तर पंडुम 2025" का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव के उद्घाटन सत्र में शाम 6 बजे "बस्तर के राम" कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जो बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित होगा।

 
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