यह सच में एक महत्वपूर्ण और गर्व की बात है कि यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अपने विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया है। यह न केवल भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान है, बल्कि पूरे विश्व को हमारे प्राचीन ज्ञान और कला के महत्व को पहचानने का एक अवसर भी है।
श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र जैसी रचनाएं न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे हमारी दार्शनिक, सांस्कृतिक और कलात्मक धारा को भी प्रभावित करती हैं। ये रचनाएँ हमारे विचारों, जीवन के दृष्टिकोण, और अभिव्यक्ति के तरीके को आकार देती हैं।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का यह बयान कि ये रचनाएँ "साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं" वास्तव में इस ऐतिहासिक सम्मान के महत्व को सही ढंग से उजागर करता है।