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मध्‍य प्रदेश में मोहन सरकार के निर्णय और विकास की तेज होती गति

Date : 27-May-2024

मध्‍य प्रदेश में नई सरकार के गठन और उसके बाद प्रदेश को मुखिया के रूप में मिले डॉ. मोहन यादव को मुख्‍यमंत्री के पद पर रहते अभी पूरे छह माह भी नहीं बीते हैं कि एक के बाद एक उनके निर्णयों ने हर क्षेत्र में राज्‍य की गति को ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया है।  यह स्‍वभाविक है कि किसी भी राज्‍य के विकास में सबसे अहम भूमिका, शासन, प्रशासन और जनता के बीच के समन्‍वय की होती है । लोक कल्‍याणकारी राज्‍य की अवधारणा तब तक सफल नहीं होती, जब तक कि ये तीनों ही आपस में समन्‍वय के साथ कार्य करते हुए नहीं दिखते हैं । जब ये तीनों के बीच समन्‍वय होता है तो देश एवं प्रदेश की आर्थ‍िक उन्‍नति होती है और आर्थ‍िक गति आने से राज्‍य के हर नागरिक के जीवन में भौतिक सुख एवं उससे मिलनेवाले आध्‍यात्‍मिक सुख की वृद्धि‍ होती है । 

मध्‍य प्रदेश में आज जो नई भाजपा की मोहन सरकार में दृष्‍य उभरा है, वह राज्‍य के नागरिक की जेब से जुड़ा हुआ है, बाजार से आप कोई वस्‍तु एक उपभोक्‍ता के रूप में तभी खरीदते हैं, जब आपकी पॉकेट इसकी अनुमति देती है। यदि आपका कोई आर्थ‍िक संग्रह नहीं या आपकी आय पर्याप्‍त नहीं है तब आप चाहकर भी कोई वस्‍तु स्‍वयं के लिए और अपने परिवार जन, कुटुम्‍ब, बन्‍धु-बान्‍धवों के लिए नहीं खरीद पाते हैं, किंतु इस संदर्भ में मध्‍य प्रदेश में जो खुशी की बात वर्तमान में है, वह यह है कि राज्‍य में निवास कर रहे लोग खुलकर बाजार से खरीदारी कर रहे हैं और प्रदेश की सकल घरेलू आय (जीडीपी) बढ़ाने में  अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं । 
स्‍वभाविक है यदि राज्‍य में सरकार की सोच एवं कार्य लोककल्‍याणकारी नहीं होते तथा रोजगार के पर्याप्‍त अवसर मुहैया कराने के साथ लगातार नवाचार करने में यदि भाजपा की मोहन सरकार कहीं कमजोर होती तो आज यह दृष्‍य उभरकर कभी सामने नहीं आता। यही कारण है कि देश में आज मध्‍य प्रदेश अपनी बड़ी आबादी के बाद भी उच्च पूंजीगत व्यय में या कहना होगा कि लक्जरी वस्तुओं की अधिक खपत के कारण राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी) संग्रह में, कहीं अधिक वृद्धि करने में भारत के सभी राज्‍यों में सबसे आगे रहने में कामयाब हुआ है । 
भारत में विनिर्माण के लिए पीएलआई, राज्य प्रोत्साहन, विदेशी व्यापार नीति के तहत लाभ जीएसटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट कानूनों सहित अधिकांश करों पर ग्राहकों को पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से सलाह दे रहे केपीएमजी संस्‍थान के राष्ट्रीय प्रमुख अभिषेक जैन की इस संबंध में कही बातों पर हमें गौर करना चाहिए, वे कहते है कि किसी राज्य के जीएसटी की वृद्धि और गिरावट का सटीक कारण बताना कठिन है, कर संग्रह दरों को प्रभावित करने के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। चूंकि जीएसटी एक उपभोग-आधारित कर है, इसलिए एसजीएसटी दरें उपभोग पैटर्न में बदलाव से प्रभावित हो सकती हैं। उच्च आर्थिक क्रय शक्ति वाले राज्य और जनसंख्या आमतौर पर एसजीएसटी संग्रह को प्रभावित करने वाले कारक हैं। कई अन्य कारक भी एसजीएसटी में योगदान दे सकते हैं, जैसे सरकारी नीतियों या विनियमों में बदलाव जो राज्य में निवेश को गति देता है। अन्‍य प्रकार के सरकारों के सफल आर्थ‍िक प्रयास अधिकांशत:  जीएसटी की वृद्धि के कारण बनते हैं। 
इस दिशा में कहना होगा कि यह मोहन सरकार की आर्थ‍िक क्षेत्र में सकारात्‍मक और सही निर्णयों का ही प्रतिफल है जोकि मध्य प्रदेश ने वित्त वर्ष 24 में साल-दर-साल सबसे अधिक एसजीएसटी संग्रह में सफलता हासिल की है। पिछले वित्तीय वर्ष में दर्ज की गई 15.93 प्रतिशत की वृद्धि जहां मप्र ने अपने खाते में दर्ज की थी, वहीं, अभी उसने 19.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर न सिर्फ अपने ही रिकार्ड को तोड़ा है, बल्‍कि उत्‍तर प्रदेश जैसे विशाल जनसंख्‍यावाले राज्‍य जहां माल की खपत भी स्‍वभाविक तौर पर अधिक हैै, उसे भी पीछे छोड़ दिया है। 
आंकड़ों को देखें तो मध्य प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर वित्त वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश में 18.88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के राज में यूपी ने भी बीते एक वर्ष में एकदम से लगभग चार पायदान की छलांग लगाई है।  18.58 प्रतिशत की वृद्धि के साथ तेलंगाना अगले क्रम में है। सूची में चौथे स्थान पर महाराष्ट्र है, जिसका वास्तविक रूप से ₹1 लाख करोड़ का सबसे अधिक एसजीएसटी संग्रह रहा है और वित्त वर्ष 24 में 17.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दिखी है। दूसरी ओर गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, हरियाणा और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में 15 प्रतिशत से कम वृद्धि दर्ज  होते दिख रही है।
इसके साथ मध्य प्रदेश ने वित्त वर्ष 24 में अपने पूंजीगत व्यय में 97 प्रतिशत की वृद्धि की है, जो आंशिक रूप से एसजीएसटी संग्रह में उछाल आगे ले जाने में सहायक रहा है। राज्य में बड़ी आबादी को रोजगार पाने एवं उन्‍हें मिलनेवाले वेतन में बढ़ोत्‍तरी को भी इससे जोड़कर देखा जा सकता है,  प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति और परिवार की क्रय क्षमता इसके कारण से बढ़ जाती है । इससे किसी भी राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था को बहुत मदद मिलती है। मध्‍य प्रदेश के शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्र ने भी इस बार कर संग्रह में एक बड़ी भूमिका निभाई है। जोकि यह  समझता है कि राज्‍य में न सिर्फ शहरों में बल्‍कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्‍यक्‍ति आय में लगातार अच्‍छी वृद्ध‍ि हो रही है। इसके साथ ही पिछले दिनों मध्‍य प्रदेश ने वाहन खरीदी में भी अपना एक नया रिकार्ड बनाया, यह भी आज प्रत्‍येक परिवार की आर्थ‍िक समृद्धि‍ को दर्शा रहा है। 
वस्‍तुत: इस मामले में आज ''बिजनेसलाइन''  द्वारा देश के शीर्ष 15 राज्‍यों का तुलनात्‍मक अध्‍ययन एवं उसकी रिपोर्ट मध्‍य प्रदेश के संदर्भ में एक उत्‍साह जगा रही है। यदि इसी तरह से मध्‍य प्रदेश आगे बढ़ता रहा तो जैसा अभी कुछ दिन पहले मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक सभा के दौरान कहा था कि भाजपा की सरकार मप्र को देश का सबसे विकसित राज्‍य बनाएगी और इसके लिए हम संकल्‍पित हैं, तो कहना होगा कि उनका यह संकल्‍प साकार होने की दिशा में जरूर सफलता से आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है।
 
 
 
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