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“इतिहास के अनुसार नहीं, अपनी कल्पनाओं के अनुसार जियो।” —स्टीफन कोवे

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चाणक्य नीति:- इनसे सदा बचें

Date : 24-Jul-2024

 कुग्रामवास: कुलहीन सेवा, कुभोजन क्रोधमुखी च भार्या |

पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या, विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम ||

आचार्य चाणक्य यहां उन चीजों के बारे में उल्लेख कर रहे हैं जिनसे व्यक्ति को सदैव हानि ही होती है | उनका कहना है कि दुष्टों के गाँव में रहना, कुलहीन की सेवा, कुभोजन, कर्कशा पत्नी, मूर्ख पुत्र तथा विधवा पुत्री, ये सब व्यक्ति को बिना आग के जला डालते हैं | 

 

आशय, यह है कि ये सब बातें व्यक्ति को भारी दुःख देती हैं -यदि दुष्टों (लम्पटों) के बीच में रहना पड़े, नीच खानदान वाले की सेवा करनी पड़े, घर में झगड़ालू कर्कशा पत्नी हो, पुत्र मुर्ख हो, पढ़े-लिखे नहीं, बेटी विधवा हो जाए -ये सारे दुःख बिना आग के ही व्यक्ति को अंदर-ही-अंदर से जला डालते हैं |    


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