चाणक्य नीति :- मूर्ख पुत्र किस काम का | The Voice TV

Quote :

“इतिहास के अनुसार नहीं, अपनी कल्पनाओं के अनुसार जियो।” —स्टीफन कोवे

Editor's Choice

चाणक्य नीति :- मूर्ख पुत्र किस काम का

Date : 17-Jul-2024

मूर्खश्चिरायुर्जातोपि तस्माज्जातमृतो वर: |

मृत: सचालपदु:खाय यावज्जीवं जडो दहेत ||

आचार्य यहां इस श्लोक में मूर्ख पुत्र की निरर्थकता पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि मूर्ख पुत्र का चिरायु होने से मर जाना अच्छा है, क्योंकि ऐसे पुत्र के मरने पर एक ही बार दुःख होता है, जिन्दा रहने पर वह जीवन भर जलाता रहता है |

यहां आशय है कि मूर्ख पुत्र को लम्बी उम्र मिलने से उसका शीघ्र मर जाना अच्छा है | क्योंकि मूर्ख के मर जाने पर एक ही बार कुछ समय के लिए दुःख होता है, किन्तु जीवित रहने पर वह जीवन भर माँ- बाप को दुःखी करता रहता है |

और संसार में ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि मूर्ख पुत्रों ने विरासत में पाए विशाल साम्राज्य को धूल में मिला दिया| पिता की अतुल सम्पत्ति को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया | मानव तो स्वभावत: अपनी संतान से प्रेम करता है परन्तु उसके साथ ही वह यदि वास्तविकता से भी आँखें मूंद ले तो फिर क्या हो सकता है ? आचार्य चाणक्य यहां इसी प्रवृत्ति के प्रति सचेत कर रहे हैं |      


RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload
Advertisement









Advertisement