विक्रेता किसान ने उस घड़े को लेने से इसलिए इंकार कर दिया कि क्योंकि अब तो वह जमीन मैं आपको बेच चुका हूं अतः अब जो भी वस्तु अथवा पदार्थ इस जमीन से प्राप्त होता है उस पर जमीन के क्रेता अर्थात केवल आपका अधिकार है। दोनों किसानों के बीच जब किसी प्रकार की सुलह नहीं हो सकी तो वे दोनों किसान राजा के महल में अपनी समस्या का हल ढूंढने के लिए पहुंचे। जब वहां भी इस समस्या का हल नहीं निकल सका तो दोनों किसानों ने राजा से प्रार्थना की कि सोने के सिक्कों से भरे इस घड़े को राज्य के खजाने में जमा कर दिया जाए। राजा ने भी उस घड़े को राज्य के खजाने में जमा करने से इंकार कर दिया क्योंकि राज्य के खजाने में तो अभिशासन सम्बंधी नियमों के अनुपालन के अनुसार ही प्राप्त धन को जमा किया जा सकता है और अभिशासन सम्बंधी नियमों में इस प्रकार से प्राप्त धन को खजाने में जमा करने का वर्णन ही नहीं है। इस उच्च स्तर की अभिशासन प्रणाली प्राचीन भारत में लागू थी।
अभिशासन को परिभाषित करते हुए कहा जाता है कि यह एक तरीका है, जिसके अनुसार संस्थानों को अभिशासित किया जाता है। यह नियमों, व्यवहारों एवं प्रक्रियाओं की एक प्रणाली है जिसके अनुसार एक व्यवसाय को चलाया, विनियमित एवं नियंत्रित किया जाता है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि निर्णय प्रक्रिया स्वच्छ (निष्पक्ष) एवं नैतिक है। इसके माध्यम से यह जानने, संतुलित करने एवं संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है कि लम्बी अवधि के लिए हितधारकों के हित सुरक्षित रहें। हितधारकों में शामिल हैं - बैंक के संदर्भ में जमाकर्ता, एवं अन्य कम्पनियों के संदर्भ में ग्राहक, शेयरधारक, कर्मचारी, प्रबंधन, सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, आदि। निगमित अभिशासन सम्बंधी नियमों के अनुपालन की जिम्मेदारी बोर्ड के सदस्यों की मानी जाती है।
अच्छे निगमित अभिशासन के गुणों के सम्बंध में कहा जाता है कि बोर्ड द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों में निष्पक्षिता एवं पारदर्शिता होनी चाहिए। संस्था में प्रत्येक स्तर पर जवाबदेही एवं जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। बोर्ड के सदस्यों के चुनाव में पारदर्शिता हो एवं बोर्ड के सदस्य पेशेवर होने चाहिए। यदि बैंक के बोर्ड की बात की जाय तो बोर्ड के सदस्य जमाकर्ता के ट्रस्टी के रूप में कार्य करें। ऋण प्रदान करने में पारदर्शिता होनी चाहिए एवं मेरिट आधारित निर्णय होने चाहिए। केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक एवं प्रधान कार्यालय द्वारा जारी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए। अंकेक्षण प्रणाली, जागरूकता प्रणाली (विजिलन्स सिस्टम), धोखाधड़ी का पता लगाने का तंत्र (फ्राड डिटेक्शन मेकनिजम) मजबूत होना चाहिए। साथ ही, संस्थान में उच्च तकनीकी का उपयोग भी होना चाहिए।
निगमित अभिशासन के अंतर्गत बोर्ड की भूमिका के संबंध में भी कहा जाता है कि बोर्ड के सदस्यों में व्यावसायिक कुशलता होना चाहिए। बोर्ड के सदस्यों द्वारा संस्था में स्थापित प्रणाली एवं प्रक्रिया की व्याख्या करनी चाहिए। आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की व्याख्या करनी चाहिए। आंतरिक अंकेक्षण प्रणाली की समय समय पर जांच पड़ताल करनी चाहिए। समस्त व्यवसाय सबंधित नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। प्रणाली एवं प्रक्रिया की उचित समय अंतराल पर समीक्षा करनी चाहिए। निगमित अभिशासन के अंतर्गत बोर्ड स्तर की कुछ समितियों का निर्माण भी किया जाना चाहिए। जैसे, अंकेक्षण समिति, नियमों के अनुपालन की जांच करने के सम्बंध में समिति, बड़ी राशि के फ्राड की जांच करने वाली समिति, बोर्ड के सदस्यों का परिश्रमिक तय करने की समिति, जोखिम प्रबंधन समिति, आदि।
निगमित अभिशासन के सम्बंध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बनाए गए नियमों को कम्पनियों एवं बैकों में लागू किया जाना चाहिए। हालांकि प्राचीन भारत में विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में अभिशासन का उच्च स्तर रहा है, क्योंकि उस खंडकाल में कर्म एवं अर्थ के कार्य धर्म से जोड़कर किए जाते थे। परंतु, आज की परिस्थितियां भिन्न हैं, अतः वर्तमानकाल में भिन्न परिस्थितियों के बीच निगमित अभिसासन के नियमों को विभिन्न संस्थानों में लागू किया ही जाना चाहिए।
लेखक:- प्रहलाद सबनानी