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चाणक्य नीति:- लक्षणों से आचरण का पता लगता है

Date : 06-Mar-2024


आचार: कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम |
सम्भ्रम: स्नेहमाख्यति वपुराख्याति भोजनम् ||
 
आचार्य चाणक्य लक्षणों से प्राप्त संकेतों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है | बोली से देश का पता लगता है | आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है | 
 
अभिप्राय यह है कि उच्च वंश का व्यक्ति शालीन होगा तथा शांत और अच्छे स्वभाव का होगा ही, यह माना जाएगा और नीच वंश का आदमी उद्धटी, बातूनी और मान-मर्यादा का ख्याल न रखनेवाला होगा | इस बात से तो प्राय: सभी परिचित हैं कि व्यक्ति अपनी बोली और आचरण से पहचाना जाता है कि वह किस प्रदेश का रहनेवाला है | यों तो बोली थोड़ी-थोड़ी दूरी पर थोड़ी बदल जाती है, परन्तु काफी बड़े क्षेत्र में मुख्य स्वर (लहजा) एक ही रहता है, बोलचाल की मूल भाषा एक जैसी रहती है | इसलिए यह पहचानने में दिक्कत नहीं होती कि व्यक्ति कहाँ का रहनेवाला है | इसी प्रकार व्यक्ति के हाव-भाव और क्रियाओं से उसके मन के विचारों का पता चल जाता है कि उसका स्नेह-आचरण वास्तविक है या बनावटी, क्योंकि मन की भावनाओं के अनुरूप ही व्यक्ति कार्य करता है | मन की भावनाओं की झलक उसके कार्यों  में अवश्य मिलती है | उसके व्यवहार से ही पता चल जाता है कि उसका स्नेह दिखावटी है या असली | अधिक  देर तक कोई भी व्यक्ति अपनी भावनाओं को छिपाए नहीं रख सकता | आचार्य चाणक्य का यह कथन सही है कि व्यक्ति की देह से उसको खुराक का अनुमान लगाया जा सकता है | चाणक्य ने यहाँ सामान्यता लागू होने वाली बातें ही कहीं है और ये संकेत व्यक्ति की सामान्य झलक से ही मिल जाते हैं | 
 
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