मध्यप्रदेश में राज्यपालरहे : हिन्दू पूर्वजों पर गर्व था
अपने समय चर्चित राजनेता और मध्यप्रदेश में राज्यपाल रहे कुँअर मेहमूदअली खान मध्यप्रदेश में ही धार नगरी के परमार राज परिवार में जन्में थे । वे अपना जीवन इस्लाम के नियमों के अनुसार तो जीते थे । पर उन्हें अपने पूर्वजों का हिन्दु होने पर गर्व था और कहते थे कि भारत पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान के अधिकांश मुसलमानों के पूर्वज हिन्दु थे ।
अपने पूर्वज हिन्दू होने की बात स्वीकार करने वाले कुँअर मेहमूद अली खान अकेले नहीं थे । भारतीय उपमहाद्वीप के हजारों लाखों लोगों ने इस सत्य को स्वीकार किया है । कुँअर मेहमूद अली से पहले भी अनेक प्रमुख राजनेताओं ने अपने पूर्वजों के हिन्दु होने का सत्य स्वीकारा और कुछ ने घर वापसी भी की । ऐसी घर वापसी हरेक दौर में हुई है । आर्यसमाज ने तो अभियान भी चलाया । किन्तु अनेक प्रमुख व्यक्तित्व ऐसे हुये जिन्होंने भले घर वापसी नहीं की । पर साहस के साथ अपने पूर्वजों के सत्य को स्वीकारा और विवरण दिया । इनमें भारत विभाजन का अभियान चलाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना, सुप्रसिद्ध शायर अल्लामा इकबाल, कश्मीर के चर्चित नेता शेख अब्दुल्ला, वर्तमान राजनेता गुलामनबी आजाद और सुप्रसिद्ध टीवी एंकर रूबिका लियाकत जैसी प्रमुख हस्तियाँ रहीं हैं। इनमें मोहम्मद अली जिन्ना के पूर्वज का नाम पूँजा भाई ठक्कर था । सुप्रसिद्ध शायर और पाकिस्तान की योजना का प्रारूप प्रस्तुत करने वाले इकबाल मशहूर के पूर्वज का नाम कन्हैयालाल सप्रू था । कश्मीर के प्रमुख अलगाव वादी नेता रहे शेख अब्दुल्ला के पूर्वज रघुराम कौल थे यह बात स्वयं उन्होंने अपनी जीवनी पर पुस्तक "आतिशे कश्मीर में कही है । वर्तमान चर्चित नेता ओबेसुद्दीन उबैसी के पूर्वज तुलसीराम थे । कांग्रेस नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पिछले दिनों मीडिया के समक्ष यह स्वीकार किया था कि उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे और छै सौ वर्ष पहले मतान्तरित हुये थे । भारत में चले मतान्तरण अभियान के बिबरण समय समय पर आने वाले वक्तव्यों अथवा उनके परिवार की पृष्ठभूमि पर आधारित पुस्तकों में आते रहें है । ऐसी स्वीकारोक्तियों के अतिरिक्त भारत में ऐसे उपनाम प्रचलित हैं जो हिन्दु और मुसलमान दोनों में समान हैं। जैसे चौधरी, पटेल, देशमुख, शाह, भट्ट या भट्टी ही नहीं राणा और राठौर उपनाम मुस्लिम समाज में भी होते हैं और हिन्दू समाज में भी । महाराष्ट्र में एक चर्चित नाम युसुफ पंडित भी रहा है ।
लेखक : रमेश शर्मा