इस पर स्वामीजी बड़े ही सहज भाव से समझाते हुए बोले, "इसमें सजा देने की क्या बात ? दूसरे की नकल करनेवालों की जो दशा होती है, वह बेचारे नकली दयानन्द की हो रही है | यह क्रोध करने का नहीं, शिक्षा लेने का विषय है | "
इस पर स्वामीजी बड़े ही सहज भाव से समझाते हुए बोले, "इसमें सजा देने की क्या बात ? दूसरे की नकल करनेवालों की जो दशा होती है, वह बेचारे नकली दयानन्द की हो रही है | यह क्रोध करने का नहीं, शिक्षा लेने का विषय है | "