प्रेरक प्रसंग:- घर का ब्राम्हण बैल बराबर | The Voice TV

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"जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते " – स्वामी विवेकानंद

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प्रेरक प्रसंग:- घर का ब्राम्हण बैल बराबर

Date : 16-Jul-2024

 एक बार गोस्वामी तुलसीदास काशी में विद्वानों के मध्य बैठकर भगवत चर्चा कर रहे थे कि दो देहाती कौतूहलवश वहाँ आ गये | वे दोनों गोस्वामीजी  के ही ग्राम के थे और गंगा-स्नान करने काशी गए थे | दोनों ने तुलसीदासजी को पहचाना और उनमें से एक देहाती, दूसरे से बोला, "अरे भैया, यह तुलसिया अपने संग खेला करता था | आज तिलक लगा लिया तो इसकी काफी पूछताछ हो रही है |" दूसरे ने भी हामी भरते हुए कहा, "हाँ भैया, यह तो पक्का बहुरुपिया है | कैसे ढोंग कर रहा है यह! "

तुलसीदासजी ने उन्हें देखा, तो वे उनके पास चले आये | तब उनमें से एक बोले, "अरे तुलसिया, तूने यह क्या भेस बना रखा है ? तू सबको धोखे में डाल सकता है, पर हम लोग तेरे धोखे में नहीं आएँगे |"

तुलसीदासजी उन दोनों के गँवारपन पर मन ही मन मुसकुरा उठे और उनके मुँह से यह दोहा निकला -

तुलसी वहां न जाइए, जन्मभूमि के ठाम |

गुण- अवगुण चीन्हें नहीं, लेत पुराणों नाम ||

उन्होंने जब दोनों को इस दोहे का अर्थ समझाया, तब कहीं उन्हें विश्वास हुआ कि 'तुलसिया' कोई महात्मा बन गया है |   

 
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