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जयंती विशेष:- महाराजा अग्रसेन ने दिया "एक ईंट और एक रुपया" का विचार

Date : 03-Oct-2024

अग्रसेन जयंती एक महान राजा अग्रसेन महाराज के जन्मदिन का उत्सव है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अग्रसेन जयंती अश्विन महीने के चौथे दिन मनाई जाती है। महाराजा अग्रसेन जयंती वैसे तो पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अग्रसेन जयंती पर विशेष आयोजन किया जाता है।

महाराजा अग्रसेन प्रतापनगर के राजा वल्लभ के पुत्र थे। वे  अग्रोहा, हिसार के महान राजा थे। महाराजा अग्रसेन अपने आदर्शों और समाज कल्याण के लिए वैश्य समाज में प्रमुख रूप से जाने जाते हैं लेकिन अपने सामाजिक कार्यों के कारण वे केवल एक समाज या समुदाय तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उनकी करुणा, दयालुता और दूरदर्शी सोच के साथसाथ लोगों को जोड़कर रखने की क्षमता के कारण हर समुदाय के लोगों के लिए  महान हैं महाराजा अग्रसेन समानता के प्रति समर्पण और पुरानी संकीर्ण विचारधारा के प्रति अपने दृढ़ विरोध के लिए भी प्रसिद्ध थे।

अग्रसेन जयंती का महत्व

महाराजा अग्रसेन ने गरीब और जरुतमंद लोगों के लिए मुफ़्त  शिक्षा, अस्पताल, सामुदायिक भवन जैसे अनेक  कल्याणकारी कार्य भी शुरू किए थे, जिनके कारण वे आज भी महान और दयालु राजा माने जाते हैं। महाराज अग्रसेन के बारे में कहा जाता है कि उनका शासन केवल युद्धों तक सीमित नहीं था बल्कि समाज कल्याण ही उनकी प्राथमिकता थी। आज भी अग्रसेन जयंती पर देश भर में उनकी जयंती के उपलक्ष्य में कई सामाजिक, धार्मिक कार्यों का आयोजन किया जाता है। देश में अग्रसेन जी के नाम पर आज भी कई अस्पताल, विद्यालय ,महाविद्यालयों का संचालन एवं  गरीब लड़कियों का विवाह, मुफ्त भोजन की व्यवस्था जैसी कई कल्याणकारी कार्यक्रम  चलाई जा रही हैं।

महाराजा अग्रसेन ने दिया "एक ईंट और एक रुपया" का विचार

महाराजा अग्रसेन ने "एक ईंट और एक रुपया" का नया विचार सुझाया, जिसके तहत अग्रोहा में पहले से रहने वाला प्रत्येक परिवार पड़ोस में रहने वाले प्रत्येक नए परिवार को एक ईंट और एक रुपया प्रदान करेगा। इस तरह के कार्य ने नए लोगों को अपना घर बनाने और अपना कारोबार शुरू करने में सक्षम बनाया। जिससे कई लोगों को अपना घर और कारोबार चलाने में एक बड़ी मदद मिली। 'एक ईंट और एक रुपया' विचार ने लोगों को समाज के रूप में एकजुट किया।

 

 
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