4 अक्टूबर विशेष:- राष्ट्रीय अखंडता दिवस Date : 04-Oct-2024 राष्ट्र की अखंडता का तात्पर्य विभिन्न जातियों, संप्रदायों,धर्मो, भाषाओं और क्षेत्रों की विविधता के बावजूद राष्ट्र की भावना से है। किसी भी देश की उन्नति राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता पर निर्भर करती है। हमारे संविधान में भी राष्ट्रीय एकता के बारे में बताया गया है। अखंडता शब्द 42 वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया है। भारत की वर्तमान परिस्थितियों में सभी मतभेदों को भुलाकर हमें राष्ट्रीय अखंडता को बचाना चाहिए | यह कहा भी गया है कि व्यक्ति राष्ट्रा के लिए है राष्ट्र व्यक्ति के लिए नहीं | देश के हर नागरिक का यह दायित्व है कि वह राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बनाए रखें | किसी भी देश व समाज का विकास तभी संभव है जब वहा के लोगों के अंदर देश प्रेम एकता की भावना पैदा हो | किसी भी देश की उन्नति इस बात पर निर्भर करता है कि उनके नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना किस सीमा तक विकसित है | राष्ट्र को जोड़ने के लिए हमने तिरंगा, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है | इसी तिरंगे की शान के लिए आज तक हमारे लाखों भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी | भारतीय संविधान राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए विभिन्न उपायों का प्रावधान करता है। यहाँ कुछ मुख्य तत्त्व हैं: 1. प्रीम्बल (मुखपृष्ठ): संविधान के प्रीम्बल में राष्ट्र की एकता और अखंडता को बढ़ावा दिया गया है। 2. अनुच्छेद 1 (सार्वभौमिक नागरिकता): यह अनुच्छेद देश के नागरिकों को एक सार्वभौमिक नागरिकता के रूप में संयोजित करने का उद्देश्य रखता है। 3. अनुच्छेद 51 (राज्यों की अनुसूची जातियों और उपजातियों की अनुसूची जातियों के लिए विशेष उपाधि): यह अनुच्छेद विभिन्न जातियों और उपजातियों को विशेष उपाधियों और सम्मान की पहुँच देने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारना है। 4. अनुच्छेद 244 (द्विभाषिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष प्रावधान): यह अनुच्छेद विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष प्रावधान और विभागीय व्यवस्था को विवरणित करता है।