बस्तर में वन आवरण घनत्व में उल्लेखनीय वृद्धि
हाल ही में प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, बस्तर में वन आवरण घनत्व में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। यह उपलब्धि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और वन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा किए गए सतत प्रयासों का परिणाम है। यह वृद्धि राज्य की पर्यावरण संरक्षण नीति और सतत वन प्रबंधन की सफलता को दर्शाती है, जिससे जैव विविधता संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और जलवायु सुधार को भी बढ़ावा मिलेगा।
वन घनत्व में सुधार: आंकड़ों पर एक नज़र
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई), देहरादून द्वारा उपग्रह-आधारित एलआईएसएस-3 सेंसर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बस्तर के कई क्षेत्रों में वन आवरण की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है:
- 152 वर्ग किमी वन क्षेत्र मध्यम घने वन से बहुत घने वन में परिवर्तित हुआ है।
- 93 वर्ग किमी भूमि गैर-वन से खुले वन में बदल गई है।
- 156 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से मध्यम घने वन में परिवर्तित हुआ है।
- 19 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से सघन वन में बदला है।
- 18 वर्ग किमी क्षेत्र छोटे झाड़-झाड़ियों से खुले वन में अपग्रेड हुआ है।
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान और बीजापुर में वन आवरण वृद्धि
इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में भी वन घनत्व में सकारात्मक परिवर्तन दर्ज किए गए हैं:
- 23 वर्ग किमी क्षेत्र मध्यम घने वन से बहुत घने वन में परिवर्तित हुआ।
- 16 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से मध्यम घने वन में बदल गया।
बीजापुर वन प्रभाग ने वन घनत्व में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है:
- 68 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से मध्यम घने वन में परिवर्तित हुआ।
- 56 वर्ग किमी क्षेत्र मध्यम घने वन से बहुत घने वन में बदल गया।
वन विभाग की भूमिका और सामुदायिक सहयोग
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री वी. श्रीनिवास राव ने इस उपलब्धि को वन विभाग के वैज्ञानिक और सक्रिय संरक्षण प्रयासों का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक भागीदारी और रणनीतिक संरक्षण उपायों ने बस्तर के हरित परिदृश्य को और अधिक सुदृढ़ किया है।
वन आवरण में यह सुधार निम्नलिखित प्रयासों के कारण संभव हुआ:
- निरंतर निगरानी और वैज्ञानिक प्रबंधन।
- जल एवं मृदा संरक्षण उपायों का क्रियान्वयन।
- आक्रामक खरपतवार हटाने के अभियान।
- वन-अग्नि रोकथाम रणनीतियों का पालन।
- सामुदायिक वनीकरण अभियानों की प्रभावी योजना।
संयुक्त वन प्रबंधन समितियों और बस्तर के आदिवासी समुदायों की सक्रिय भागीदारी ने भी इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह वृद्धि छत्तीसगढ़ के पर्यावरणीय स्थायित्व और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
