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शास्त्रीय गायन की रानी हैं बेगम परवीन सुल्ताना

Date : 10-Jul-2023

 बेगम परवीन सुल्ताना पटियाला घराने की एक प्रसिद्ध असमिया हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका हैं। वह भारत की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिकाओं में से एक हैं और उन्हें शास्त्रीय गायन की रानी के रूप में जाना जाता है। परवीन सुल्ताना को वर्ष 1976 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 23 साल की उम्र में यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला हैं।

परवीन सुल्ताना का जन्म 10 जुलाई 1950 में असम के नागांव शहर के ढाकापट्टी में इकरामुल माजिद और मारूफा माजिद के घर हुआ था। उनके पिता, स्वर्गीय इकरामुल माजिद उनके पहले गुरु थे और उन्होंने उन्हें गायन सिखाया। परवीन सुल्ताना को शुरुआती तालीम भी अपने दादा मोहम्मद नजीफ खान से मिली। बाद में वह स्वर्गीय पंडित चिन्मय लाहिड़ी के मार्गदर्शन में संगीत सीखने के लिए कोलकाता चली गईं और वर्ष 1973 से वह पटियाला घराने के उस्ताद दिलशाद खान की शिष्या बन गईं। परवीन सुल्ताना की शादी उस्ताद दिलशाद खान से हुई और उनकी एक बेटी है।

परवीन सुल्ताना ने अपना पहला स्टेज प्रदर्शन वर्ष 1962 में दिया था, जब वह केवल 12 वर्ष की थीं और 1965 से संगीत रिकॉर्ड कर रही हैं। उन्होंने गदर, कुदरत, दो बूंद पानी और पाकीज़ा जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए गाया है।

हाल ही में उन्होंने विक्रम भट्ट की फिल्म 1920 का थीम सॉन्ग गाया है। परवीन सुल्ताना ने एचएमवी, पॉलीडोर, म्यूजिक इंडिया, भारत रिकॉर्ड्स, औविडिस, मैग्नासाउंड, सोनोडिस्क और एमिगो के लिए संगीत रिकॉर्ड किया है। परवीन सुल्ताना ने आर डी बर्मन, नौशाद, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और शकर जयकिशन जैसे कई संगीतकारों के साथ काम किया है। परवीन सुल्ताना ने अपने पति के साथ अमेरिका, फ्रांस, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, अफगानिस्तान सहित देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों में दौरा और प्रदर्शन किया है। उन्होंने मुंबई में ''गन रंगा संगीत सभा'' नाम से एक संस्थान शुरू किया है। वह फिलहाल मुंबई में रहती हैं।

सुल्ताना को वर्ष 1986 में मियां तानसेन पुरस्कार, वर्ष 1994 में असम सरकार ने संगीत साम्राज्ञी पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा वर्ष 1981 में ''हमें तुमसे प्यार कितना'' गीत के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक पुरस्कार। उन्हें वर्ष 1999 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1972 में क्लियोपेट्रा ऑफ़ म्यूज़िक पुरस्कार और असम सरकार से श्रीमंत शंकरदेव पुरस्कार भी मिला।

 
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