छह बार की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता गायिका केएस चित्रा ने भारतीय फिल्म पार्श्व उद्योग में अपनी पहचान बनाई है। ‘दक्षिण भारत की कोकिला’ के रूप में जानी जाने वाली केएस चित्रा ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, उड़िया, हिंदी, असमिया और बंगाली फिल्मों में अपनी आवाज दी है।
27 जुलाई, 1963 को केरल के तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) में संगीतकारों के एक परिवार में जन्मी चित्रा की प्रतिभा को उनके पिता स्वर्गीय कृष्णन नायर ने कम उम्र से ही पहचान लिया था। उनके पिता ने ही उनके संगीत को बढ़ावा दिया और इसलिए वह चित्रा के पहले गुरु (शिक्षक) भी थे। 1978 से 1984 तक केंद्र सरकार से राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति के लिए चुने जाने के बाद चित्रा ने डॉ. के. ओमानकुट्टी से कर्नाटक संगीत में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्हें 1979 में एमजी राधाकृष्णन ने मलयालम पार्श्व गायन से परिचित कराया। उन्होंने फिल्म संगीतकार इलैयाराजा के मार्गदर्शन में तमिल फिल्म उद्योग से संगीत के सफ़र की शुरुआत की। उनका विवाह एक इंजीनियर और व्यवसायी विजयशंकर से हुआ। उनकी इकलौती बेटी नंदना का जन्म 2002 को चेन्नई में हुआ था, लेकिन 14 अप्रैल, 2011 को दुबई में एक स्विमिंग पूल की दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
चित्रा को 1997 में तमिलनाडु सरकार से कलाईमनी उपाधि, 2004 में केजे येसुदास लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, 2002 में दक्षिण भारतीय नादिगर संगम से कलईसेल्वम उपाधि और 2003 में लंदन में ग्लोबल मलयाली काउंसिल से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें एमटीवी वीडियो म्यूजिक अवार्ड, स्क्रीन-वीडियोकॉन अवार्ड, फिल्म फैन्स एसोसिएशन अवार्ड्स और सिनेमा एक्सप्रेस अवार्ड्स जैसे कई मुख्यधारा पुरस्कार भी मिले। उनके नाम हिंदी में निजी एल्बम पिया बसंती और सनसेट पॉइंट हैं। मास्टरियो गुलाम अली और आशा भोसले के साथ उनका पहला ग़ज़ल एल्बम रिलीज़ के लिए तैयार किया। चित्रा को 2005 में भारत सरकार ने प्रतिष्ठित पद्मश्री उपाधि से सम्मानित किया है।
