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गुलज़ार: शब्दों के माहाकवि (जन्मदिन स्पेशल)

Date : 18-Aug-2023

गुलज़ार, जिनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कलरा है, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्होंने अपनी अनूठी रचनाओं और अद्भुत शैली के लिए प्रसिद्धी प्राप्त की है, जिससे उन्हें सदाबहार कलमकार के रूप में याद किया जाता है। उनका जन्मदिन एक विशेष उपलक्ष्य महत्वपूर्ण दिन है, जो हर साल 18 अगस्त को मनाया जाता है।

गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त, 1934 को हुआ था। उनका बचपन सासन के रंगीन सफर से भरा हुआ था और इसने उनकी रचनाओं को विशेष रूप से प्रभावित किया। उन्होंने अपने शौक से कविता लिखना शुरू किया और उनकी पहली किताब "आख़िर-ए-शब्बा" वर्ष 1956 में प्रकाशित हुई।

गुलज़ार ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया, उन्होंने कई मामूले विचारों को अपनी रचनाओं में समाहित किया, जैसे कि प्रेम, जीवन, विचार, और रिश्तों की महत्वपूर्णता। उनकी कविताओं में एक अद्भुत साहित्यिक और भावनात्मक गहराई होती है, जिससे उन्होंने पाठकों के दिलों में स्थान बनाया।

गुलज़ार का संवाददाता, गीतकार, निर्देशक, और उत्कृष्ट कवियों में से एक रूप में उनका कौशल उच्च मानक प्राप्त कर चुका है। उन्होंने भारतीय सिनेमा के कई प्रसिद्ध और अद्वितीय गीत लिखे हैं, जिन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई है।

उनके द्वारा लिखे गए गानों में से कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं - "तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी", "तेरे बिना जीना वांदा", "जैसे को तैसा" और "छोटी सी आशा"

गुलज़ार का साहित्यिक योगदान उनकी सोच और भावनाओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता का परिणाम है, जिसने उन्हें एक अद्वितीय स्थान प्राप्त करवाया है। उनकी कला का यह नवाजिश आज भी हमें प्रेरित करता है और उनकी साहित्यिक महत्वपूर्णता को स्वीकारता है।

इस खास मौके पर, हम गुलज़ार की महत्वपूर्ण जन्मजयंती की खुशियों में शामिल होते हैं और उनके योगदान को सलामी देते हैं, जो हमें साहित्य और कला के प्रति नए दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। गुलज़ार की रचनाओं और उनके साहित्यिक योगदान को समझने से हम उनके मूल्यवान उपहार का आनंद उठा सकते हैं, जिनसे हमें सदैव प्रेरित होने का मौका मिलता है।

 
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