गणेश उत्सव पूरे भारत मे बहुत हर्ष और उलास के साथ मनाया जाता है गणेश चतुर्थी से प्रारभ होकर यह उत्सव आनंत चतुर्थी तक गणेश जी की प्रतिमा के साथ विसर्जन के साथ समाप्त होता है |
विसर्जन क्यो किया जाता है ?
गणेश चतुर्थी को मनाने वाले सभी श्रद्धालु इस दिन स्थापित की गई गणपती जी की प्रतिमा को 11 वे दिन अनंत अनंत चतुर्दशी को विसर्जन करने की मान्यता है लेकिन वर्तमान में विसर्जन को लेकर विलंभ किया जाता है | धार्मिक ग्राथों के अनुसार जब वेद व्यास जी ने बिना रुके गणेश जी को महाभारत की कथा 10 दिन तक सुनाई और गणेश जी उसे लिखते रहे तब उन्होने अपने नेत्र बंद कर लिए थे और जब 10 दिन के बाद आंखे खोली तो पाया की गणेश जी की तापमान बहुत अधिक हो गया था फिर उसी समय वेद व्याश जी ने गणेश जी को निकट स्थित एक कुंड मे स्नान करवाया जिसे उनके शरीर का तापमान कम हुआ इसलिए गणपती स्थाप्ना के अगले 10 दिन तक पूजा की जाती है और फिर 11 वे दिन जल मे गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है |
गणेश विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है की यह शरीर मिट्टी का बना है और अंत मे मिट्टी मे ही मिल जाना है | आधुनिक भारत मे लोकमान्य तिलक ने 126 वर्ष पहले शुरू की थी यह परंपरा ब्रिटिश काल मे सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव समूहिक रूप से मनाने पर रोक थी ऐसे मे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 मे शर्वजनिक तौर पर गणेश उत्सव मनाने की शुरुआत की थी | गणेश विसर्जन भद्रपद माह के शुल्क पक्ष की चतुर्दशी तिथि को करते है उस दिन अनंत चतुर्दशी होती है जिन लोगो के घरो पर 10 दिनो के लिए बब्पा विराजते है वे गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी को करते है लोग गणपती बब्पा को खुशी खुशी विदा करते है और अगले साल फिर आने को कहते है |
गणेश विसर्जन का नियम विसर्जन के लिए गणपती को ले जाते समय एक बात का वेशेष ध्यान रखे की उनका मुख घर की ओर होना चाहिए माना जाता है की घर की तरफ पीठ रखने से गणेश जी नाराज हो जाते है |गणेश विसर्जन से पहले गणपती बब्पा से जीवन मे सुख स्मृधी के लिए प्राथना करे और उनसे जाने अनजाने मे हुई गलती के लिए क्षमा मांगे | वीसार्जन से पहले प्रभु की आरती करनी चाहिए और प्रिय चीज़ों का भोग लगाना चाहिए |गणपती बब्पा को शुभ मुहर्त मे विदा करना चाहिए | पुजा के दौरान अर्पित की गई चीज़ों को प्रभु के संग ही विसर्जित कर देनी चाहिए |
विसर्जन के दौरान होने वाली समस्या
ध्वनि-यंत्र से विसर्जन के दौरान ज्यादातर मानव और जीव-जन्तुओं को परेशानी होती है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है। जैसे की बड़े बुजुर्ग को परेशानी होती है, जीव जन्तुओ को परेशानी होती है, फाटके और तेज ध्वनि से छोटे बच्चो के अस्वस्थ व्यक्तियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है | फाटके से वातावरण खराब एवं प्रदूषित होता है जिसे बहुत सारी समस्यायों का सामना करना पड़ता है |
समस्या के समाधान हेतू प्रशासन को तेज ध्वनि पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और फाटके से प्रदूषण फैलने पर रोक लगाना चाहिए |
वर्तमान समय में गणेश जी को घर पर ही विसर्जन करने का प्रचलन तेज गति से फ़ैल रहा है लेकिन गणेश जी को हिन्दू रीति- रिवाज के साथ विसर्जन किया जाना चाहिए |