भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी को तीन प्रमुख विधेयकों—संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025, और केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025—की जांच के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इकतीस सदस्यीय समिति में भाजपा के 15 सांसद, एनडीए सहयोगी दलों के 11 सदस्य, विपक्ष के 4 सदस्य, और एक मनोनीत सदस्य शामिल हैं। भाजपा के प्रमुख सदस्यों में रविशंकर प्रसाद, पुरुषोत्तम रूपाला, अनुराग ठाकुर और बृजलाल शामिल हैं। वहीं, मनोनीत राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति को भी समिति में स्थान दिया गया है।
विपक्ष की ओर से सुप्रिया सुले, हरसिमरत कौर बादल, असदुद्दीन ओवैसी और निरंजन रेड्डी सदस्य हैं। हालांकि, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने समिति में शामिल होने से इनकार किया है। दोनों दलों ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक उस मूल कानूनी सिद्धांत के विपरीत हैं जिसके अनुसार “जब तक अपराध सिद्ध न हो, व्यक्ति निर्दोष माना जाता है।”
ये तीनों विधेयक मानसून सत्र के अंतिम दिन 20 अगस्त को संसद में पेश किए गए थे। इनमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर आरोप में 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे स्वतः पद से हटाया जा सकेगा। लोकसभा ने विधेयकों को आगे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव पारित किया था।
