सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को निर्देश दिया है कि वे पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करें। न्यायालय ने यह निर्देश दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनज़र दिया है, जिसके लिए पराली जलाने को एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि वह अगले सप्ताह इस मुद्दे पर फिर से सुनवाई करेगी। अदालत वर्तमान में 1985 में वायु प्रदूषण को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पराली जलाने का मुद्दा भी जुड़ा हुआ है।
सुनवाई के दौरान एक वकील ने अदालत को बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू किया है, लेकिन स्थिति चौथे चरण की मांग कर रही है, क्योंकि कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 से ऊपर पहुंच गया है। वकील ने यह भी उल्लेख किया कि सर्वोच्च न्यायालय परिसर सहित कई स्थानों पर निर्माण कार्य अभी भी जारी हैं।
एक अन्य वकील ने वायु निगरानी स्टेशनों पर गलत आंकड़ों के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया। इससे पहले सीएक्यूएम ने हरियाणा के फतेहाबाद ज़िले में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में लापरवाही बरतने पर वहां के उपायुक्त को नोटिस जारी किया था।
आयोग के अनुसार, 1 से 9 नवंबर के बीच ज़िले में पराली जलाने की 48 घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें से 28 केवल 8 और 9 नवंबर को हुईं। सीएक्यूएम ने कहा कि इन घटनाओं की बढ़ती संख्या राज्य की कार्य योजनाओं के कमजोर क्रियान्वयन और निगरानी की कमी को दर्शाती है।
