केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्यातकों के लिए एक नई ऋण गारंटी योजना को मंज़ूरी दे दी है, जिसके तहत एमएसएमई सहित सभी निर्यातकों को 100 प्रतिशत ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी। इस पहल के माध्यम से लगभग 20,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित होगा, जिससे तरलता में सुधार होगा और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बल मिलेगा।
नई दिल्ली में कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य भारत के एक ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य को साकार करने में सहायता करना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को मज़बूती देना है।
मंत्रिमंडल ने एक अन्य निर्णय में सीज़ियम, ग्रेफाइट, रुबिडियम और ज़िरकोनियम जैसे मुख्य खनिजों पर रॉयल्टी दरों में संशोधन को भी मंजूरी दी है। श्री वैष्णव ने बताया कि यह कदम खनिज ब्लॉकों की नीलामी को बढ़ावा देगा और लिथियम, टंगस्टन तथा नियोबियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा। इससे आयात पर निर्भरता घटेगी, आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
इसके साथ ही, कैबिनेट ने 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय वाले “निर्यात संवर्धन मिशन (EPM)” को भी मंजूरी प्रदान की है। यह मिशन केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित एक प्रमुख पहल है, जिसका लक्ष्य एमएसएमई, पहली बार निर्यातकों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को सशक्त बनाना है।
श्री वैष्णव ने बताया कि EPM वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक लागू रहेगा और यह एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित ढांचा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह मिशन कई बिखरी हुई योजनाओं को एकीकृत कर एक परिणाम-आधारित, अनुकूली और कुशल प्रणाली की स्थापना करेगा, जो वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों और निर्यातकों की बदलती जरूरतों का तेजी से समाधान कर सकेगी।
