कोलकाता, 26 दिसंबर । पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी शुक्रवार को राज्य सचिवालय के पास मंदिरतला स्थित नागरिक सुरक्षा कर्मियों के धरना मंच पर पहुंचे और उनके आंदोलन को समर्थन दिया। धरने पर बैठे कर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य भर में करीब 14 हजार नागरिक सुरक्षा कर्मी अपनी सेवा से जुड़ी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
भाजपा विधायक ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित होने और जोखिम भरा काम करने के बावजूद नागरिक सुरक्षा कर्मियों की वैध मांगों की लगातार अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के इतने दिनों बाद भी सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि उनकी समस्याएं सुनने नहीं आया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नागरिक सुरक्षा कर्मी किसी तरह की भीख नहीं मांग रहे हैं, बल्कि वे प्रशिक्षित जवान हैं, जो जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। उनकी मुख्य मांगों में नियमित काम की गारंटी, 60 साल तक नौकरी की सुरक्षा, भविष्य निधि और चिकित्सा सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए अधिकारी ने कहा कि मौजूदा सरकार रोजगार विरोधी है और स्थायी नौकरी देने के बजाय भत्तों की संस्कृति को बढ़ावा दे रही है, ताकि कर्मचारी सरकार पर निर्भर बने रहें। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों से महंगाई भत्ते के अंतर पर भी सोचने की अपील की और दावा किया कि यही सरकार रही तो यह अंतर और बढ़ेगा।
साल 2020 में आए अम्फान तूफान का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में प्रशिक्षित नागरिक सुरक्षा कर्मी मौजूद होने के बावजूद सरकार को कोलकाता में गिरे पेड़ हटाने के लिए ओडिशा से आपदा प्रबंधन कर्मी बुलाने पड़े। उन्होंने कहा कि ओडिशा में अस्थायी और संविदा कर्मियों को नियमित किया जा रहा है, जबकि पश्चिम बंगाल में करीब छह लाख स्थायी पद खत्म कर दिए गए हैं और रोजगार कार्यालय भी बंद कर दिए गए हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने इस साल शीतकालीन विधानसभा सत्र न होने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि आमतौर पर नवंबर या दिसंबर में यह सत्र होता है, लेकिन इस बार सरकार ने इसे नहीं बुलाया। हालांकि उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार को जनवरी के आखिर या फरवरी की शुरुआत में खर्च चलाने के लिए लेखानुदान पर चर्चा हेतु विधानसभा सत्र बुलाना ही पड़ेगा।
उन्होंने धरने पर बैठे कर्मियों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों को वह विधानसभा के अंदर और बाहर, दोनों जगह उठाएंगे और सामाजिक माध्यमों पर भी आवाज बुलंद करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की मदद से कानूनी लड़ाई के लिए आवश्यक सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।----
