भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आने वाले दशक में तेजी से विस्तार करेगा और इसका आकार वर्तमान $8 अरब से बढ़कर $45 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने दिल्ली में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल स्पेस कॉन्क्लेव (IISC) 2025 के चौथे संस्करण में दी।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में किए गए स्पेस रिफॉर्म्स ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया है। पहले स्पेस इकोनॉमी बिखरी हुई थी और इसे अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं माना जाता था, लेकिन अब इसका आकार $8 अरब है और अगले 10 वर्षों में यह $44–45 अरब तक पहुंच सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में 70 प्रतिशत स्पेस-आधारित एप्लिकेशन आम लोगों के जीवन को सरल बनाने पर केंद्रित हैं, जो अन्य देशों से अलग है।
IISC 2025 का आयोजन इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) ने ISRO और IN-SPACe के सहयोग से किया। कार्यक्रम में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को सम्मानित किया गया, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि ISS पर भारतीयों की मौजूदगी नई पीढ़ी में सपनों को जगाती है और भारत के लिए आसमान कभी सीमा नहीं था।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. भट्ट ने बताया कि कई देशों की व्यापारिक एजेंसियां भारत के स्पेस सेक्टर में रुचि दिखा रही हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष में कई रॉकेट और मल्टी-सेंसर सैटेलाइट लॉन्च होंगे, जो भारतीय स्पेस इकोसिस्टम की तेजी को दर्शाते हैं।
दो दिवसीय इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत के नेताओं, वैश्विक एजेंसियों, इनोवेटर्स और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाना है।
