आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में भारत ने बुधवार को अपनी पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी “BIRSA 101” लॉन्च की। यह थेरेपी विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में प्रचलित सिकल सेल रोग के इलाज के लिए विकसित की गई है। इसका नाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में रखा गया है। इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने लॉन्च किया।
डॉ. सिंह ने इसे “सटीक अनुवांशिक सर्जरी” के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि यह न केवल सिकल सेल रोग का इलाज कर सकती है बल्कि भविष्य में अन्य आनुवंशिक बीमारियों के उपचार के रास्ते भी बदल सकती है।
सिकल सेल रोग क्या है?
सिकल सेल एक एकल-जीन आधारित रक्त रोग है, जिससे प्रभावित मरीजों में लगातार एनीमिया, तेज़ दर्द के दौरे, अंग क्षति और जीवन प्रत्याशा में कमी जैसी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जो पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं।
भारत की सस्ती जीन थेरेपी पहल
यह तकनीक CSIR–इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) में विकसित की गई है। वैश्विक स्तर पर सिकल सेल जीन थेरेपी की कीमत ₹20–25 करोड़ तक होती है, जबकि भारत इसे बहुत कम लागत पर उपलब्ध कराएगा। तकनीक को स्केल-अप और उत्पादन के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (पुणे) को हस्तांतरित किया गया है। यह enFnCas9 CRISPR प्लेटफॉर्म पर आधारित है।
सीरम इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक डॉ. उमेश शालीग्राम ने कहा कि उनका उद्देश्य भारतीय नवाचार को उन लोगों तक पहुँचाना है जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है।
सिकल सेल मुक्त भारत की ओर
डॉ. सिंह ने बताया कि यह कदम 2047 तक सिकल सेल रोग मुक्त भारत बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प की दिशा में निर्णायक शुरुआत है और यह जीनोमिक मेडिसिन में भारत की आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा।
