यहां 15 किमी का ट्रैकिंग रूट आस्था और रोमांच का मेल
अनूपपुर, 24 नवंबर (हि.स.)। पवित्र नगरी अमरकंटक में ट्रैकिंग पर्यटन को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचते हैं। मैकल पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित अमरकंटक में वन क्षेत्र से आच्छादित होने कारण ट्रैकिंग को लेकर बेहतर वातावरण है। यहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोग ट्रैकिंग के लिए पहुंच रहे हैं। इसके लिए 15 किलोमीटर का ट्रैकिंग रूट विकसित किया गया है। चारों तरफ घने जंगलों से भरे हुए इस ट्रैकिंग मार्ग पर सैलानियों को प्राकृतिक सुंदरता निहारने का मौका मिलता है। धार्मिक दृष्टि से भी अमरकंटक नगर का महत्व होने कारण यहां लोगों का आना-जाना बना रहता है। सर्दियों तथा गर्मियों के मौसम में ही यहां ट्रैकिंग किया जा सकता है। हरी-भरी वादियों से घिरे होने तथा अन्य क्षेत्रों से यहां का तापमान कम होने की वजह से गर्मियों में भी लोग पहुंचते हैं। बारिश के दिनों में ट्रैकिंग रूट में घनी झाडिय़ां हो जाने के कारण ट्रैकिंग रूट बंद कर दिया जाता है।
प्रचार प्रसार के साथ ही सुविधा का अभाव, भेजा प्रस्ताव
अमरकंटक में ट्रैकिंग को लेकर स्थानीय स्तर पर ज्यादा तैयारियां नजर नहीं आती है। इसके बावजूद यहां की प्राकृतिक सुंदरता तथा मैंकल पर्वत श्रृंखला की खूबसूरती को निहारने के लिए बीते वर्ष यहां 6000 लोग ट्रेकिंग के लिए पहुंचे। वर्तमान में ट्रैकिंग के लिए स्थानीय स्तर पर ज्यादा प्रयास तथा तैयारियां नहीं है। सिर्फ बंधा सोनमुड़ा बस स्टैंड तथा क्रीड़ा परिसर के समीप ट्रैकिंग से संबंधित बोर्ड लगाए गए हैं। वन विभाग ने ट्रैकरूट विकसित करने को लेकर वरिष्ठ कार्यालय को पत्राचार किए जाने के साथ ही बजट की मांग भी की है। जिस पर अब तक विभाग से बजट नहीं मिल पाया है। प्राकृतिक सुंदरता से भरे अमरकंटक में ट्रैकिंग को लेकर सैलानियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है। जिस पर विभाग का कहना है कि ट्रैकिंग के लिए वन विभाग के चौकीदार सहित अन्य कर्मचारियों के द्वारा सैलानियों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
शंभूधारा व कबीर चबूतरा से शुरू होते हैं ट्रैकिंग रूट
अमरकंटक वन परिक्षेत्र में पहला ट्रैकिंग रूट शंभू धारा से कपिलधारा के बीच स्थित है। साढ़े 7 किलोमीटर लंबा ट्रैकिंग रूट हनुमान धारा, लक्ष्मण धारा, किहनी आमा, जामपानी, पंचधारा, दूधधारा, कपिलधारा मार्ग पर बना हुआ है। जहां ट्रेकिंग के साथ ही अमरकंटक की नैसर्गिक सुंदरता का भी सैलानियों को आनंद मिलता है। ट्रैकिंग का दूसरा रूट कबीर चबूतरा से सोनमुड़ा के बीच स्थित है, जो 8.3 किलोमीटर की दूरी का है। यह रूद्र गंगा, धोनीपानी, भ्रुगू कमंडल, सोनमुड़ा मार्ग पर स्थित है।
वन परिक्षेत्राधिकारी अमरकंटक अजेंद्र सिंह पटेल का कहना है कि बीते वर्ष यहां 6000 लोगों ने ट्रैकिंग की थी। दो स्थानों पर ट्रैकिंग के रूट निर्धारित किए गए हैं। इसे विकसित करने के लिए विभाग से बजट की मांग की गई है।
हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला