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केरल की संस्कृति

Date : 19-Apr-2024

सांस्कृतिक विविधताओं की भूमि केरल एक समग्र सांस्कृतिक समाहार है जिसमें विभिन्न धर्मों, समुदायों, क्षेत्रीय संस्कृतियों और भाषाई विविधताओं का समावेश है। केरल की संस्कृति की तुलना विभिन्न रंगों के मनकों और धागों वाली माला से की जा सकती है जिसके मनके मलयालम भाषा के जरिए गुंथे हैं। केरल की सांस्कृतिक विविधता का निर्माण अरब सागर और पश्चिमी घाटों के बीच इसकी भौगोलिक अवस्थिति के कारण हुआ है। भरपूर वर्षावन से परिपूर्ण इसकी विशिष्ट भौगोलिक अवस्थिति, विदेशों के साथ इसके प्राचीन व्यापारिक संबंध, विभिन्न कालों के दौरान प्रवासी समुदायों के राज्य में आगमन, कृषि की परंपरा, पाककला और इसकी कला, साहित्य और विज्ञान की परंपराओं से केरल का निर्माण हुआ है।

यद्यपि केरल प्राचीन काल से ही एक विशिष्ट सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में रहा है, इसका राजनैतिक एकीकरण केरल राज्य का गठन होने के बाद हुआ। ब्रिटिश शासन के तहत त्रावणकोर और कोच्ची राज्यों, और मद्रास प्रेसिडेंसी के मलबार जिला के बीच विभाजित यह भूमि 1 नवंबर 1956 को एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। केरल के पूरब और दक्षिण में तमिलनाडु; उत्तर और उत्तर-पूर्व में कर्नाटक; और पश्चिम में अरब सागर है। अरब सागर में स्थित केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप और पुदुच्चेरी राज्य का हिस्सा मय्यषि भाषाई और सांस्कृतिक रूप में केरल की संस्कृति के अंग हैं।

केरल एक ऐसी संस्कृति को दर्शाता है जो सभ्य जीवन शैली के विभिन्न संकायों के आवास, उच्चारण और आत्मसात के माध्यम से विकसित हुई है। केरल के सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले कलारूपों में लोककलाओं, अनुष्ठान कलाओं और मंदिर कलाओं से लेकर आधुनिक कलारूपों तक की भूमिका उल्लेखनीय है।

केरल की सांस्कृतिक विरासत शताब्दियों पुरानी है। केरल की संस्कृति देशी कला रूपों, भाषा, साहित्य, स्थापत्य शैली, संगीत, त्योहारों, पाककला, पुरातात्विक स्मारकों, विरासत केंद्रों आदि का मिश्रित रूप है। इन सबको सहेज कर सुरक्षित रखने के लिए अनेक सांस्कृतिक संस्थाएं हैं।

केरल के कला परिदृश्य में प्राचीन शास्त्रीय कला, लोक कला के साथ-साथ सिनेमा जैसे आधुनिक कला स्वरूप सम्मिलित हैं। केरल की कलाओं को आमतौर पर ऑडियो - विजुअल (श्रव्य - दृश्य) , और शास्त्रीय एवं लोक कलाओं के रूप में विभाजित किया जा सकता है। दृश्य कलाओं में शामिल हैं मंचीय कला, मूर्तिकला, चित्रकला और सिनेमा जिसमें शास्त्रीय और लोक कला दोनों शामिल हैं। संगीत और वाद्य श्रव्य कला के रूप हैं। केरल की सांगीतिक संस्कृति में शामिल हैं लोक संगीत (लोक गीत, आनुष्ठानिक गान, तिरुवातिरा गान, वंचिपाट्टु) और शास्त्रीय संगीत जिसमें आते हैं कर्नाटक संगीत, कथकली संगीत और सोपान संगीत। केरल के पारंपरिक वाद्ययंत्रों में शामिल प्रमुख ऑर्केस्ट्रा हैं- पंचवाद्यम, चेंडामेलम और तायम्बका।

केरल की विशिष्ट स्थापत्य परंपरा है। उपासना स्थल और प्राचीन भवन इस स्थापत्य शैली के उदाहरण हैं जो सरलता पर बल देती है। उनका निर्माणतचुशास्त्रके अनुसार किया गया था। आप यहां विशिष्ट मंदिर स्थापत्य शैली भी देख सकते हैं। तंत्र समुच्चयम, शिल्पचंद्रिका और मनुष्यालय चंद्रिका स्थापत्य विज्ञान के ऊपर रचित केरल के कुछ प्रमुख ग्रंथ हैं।

केरल के लोगों का मुख्य भोजन चावल है। केरल की पाककला में अमूमन भात की प्रधानता होती है जिसके साथ सब्जियां, मछली, मांस और अंडे की करी खाए जाते हैं। चावल की मदद से अन्य अनेक किस्म के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। केरल के स्थानीय व्यंजनों के अलावा आज केरल के पास बहुसांस्कृतिक पाककला है। चावल और नारियल केरल के भोजन के मुख्य आधार हैं।

केरल के जीवन की संपूर्ण छटा यहां के त्योहारों के अवसर पर दिखाई पड़ते हैं। ये त्योहार धार्मिकता और उपासना स्थलों से जुड़े होते हैं और साथ ही उनमें से कुछ धर्मनिरपेक्ष भी होते हैं। ओणम केरल का राजकीय त्योहार है। इस राज्य की अपनी देशी खेल संस्कृति और लोक क्रीड़ाएं हैं। कलरिप्पयट्ट् केरल में विकसित मार्शल आर्ट है। विविध सांस्कृतिक विरासत और श्रेष्ठ सामाजिक निरूपक या संकेतक केरल की खास विशेषताएं हैं। देश में सबसे अधिक साक्षरता, लैंगिक समता और न्यूनतम मातृ-शिशु मृत्यु दर वाला यह राज्य सबसे लिए स्वास्थ्य, शिक्षा के मानकों, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सामाजिक न्याय, कानून व्यवस्था तथा प्रेस एवं अन्य मीडिया के प्रभाव के मामले में भी यह अव्वल है। विकास के अत्यंत सराहनीय केरल मॉडल के पास ये विशिष्ट खूबियां अधारभूत रूप में हैं।

केरल के त्योहारों का अवलोकन केरल के समाज का जीवन आनंद, उसकी ऊर्जा, सजीवता और उसकी जीवंतता को दर्शाता है। कई त्योहार हैं जो लोगों की सांप्रदायिक और सामाजिक एकता को उजागर करते हैं। राज्य के अधिकांश कला रूपों का जन्म और विकास वर्षों के दौरान त्योहारों के संदर्भ में हुए।

 वैसे तो ज्यादातर त्योहार पूजा स्थलों से जुड़े हुए हैं, कई त्योहार धर्मनिरपेक्ष भी हैं। ओणम केरल का राजकीय त्योहार है। धार्मिक त्योहारों में विषु, नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि और तिरुवातिरा मुख्य हिंदू त्योहार हैं। रमजान, बकरीद, मुहर्रम और मिलाद --शरीफ मुसलमानों के प्रमुख त्योहार हैं, जबकि क्रिसमस और ईस्टर यहां के ईसाईयों के मुख्य त्योहार हैं। इसके अलावा इन तीनों संप्रदायों के पूजा स्थलों पर कुछ छोटे पैमाने के विशिष्ट त्योहार भी मनाए जाते हैं।

 
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