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अंबुबासी मेला

Date : 23-Jun-2025


गुवाहाटी, 23 जून | कामाख्या धाम में जारी अंबुबासी मेला के दूसरे दिन सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। देशभर से आए लाखों भक्त मां कामाख्या क्षेत्र में साधना में लीन हो गए हैं। श्रद्धालुओं, तांत्रिकों और साधुओं की टोली पर्व से जुड़ी पारंपरिक विधियों का पालन करते हुए विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। मंदिर प्रबंधन और प्रशासन ने दर्शन की सुव्यवस्था के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी और स्वयंसेवक तैनात किए हैं।

उल्लेखनीय है कि यह मेला तांत्रिक साधना और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। रविवार को प्रवृत्ति के साथ ही मां कामाख्या मंदिर का पट दर्शन और पूजन के लिए बंद होने के बाद साधना शुरू हो चुकी है। अंबुबासी मेले में आस्था और प्रकृति के चक्र का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। शक्ति की उपासना और तांत्रिक परंपराओं के जीवंत प्रतीक अंबुबासी मेले का आयोजन मां कामाख्या धाम, गुवाहाटी में पूरे श्रद्धा-भाव से चल रहा है। यह मेला न केवल धार्मिक मान्यता का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक विविधता और अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया है।

हर साल जून माह में मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय पर्व, मां कामाख्या के ऋतुकाल का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दौरान देवी मां रजस्वला होती हैं, इसलिए मंदिर के गर्भगृह के द्वार तीन दिनों तक बंद रहते हैं। इन तीन दिनों में असम भर में खेती और धार्मिक गतिविधियां भी रोक दी जाती हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि यह समय "धरती माता के विश्राम" का है, और उन्हें किसी भी प्रकार से विचलित नहीं किया जाना चाहिए।

चौथे दिन, मंदिर का द्वार भव्य पूजा-अर्चना के साथ पुनः खोला जाता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, अघोरी और देश-विदेश से आए साधक मां के दर्शन के लिए एकत्र होते हैं। इस वर्ष 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। राज्य सरकार ने इस भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और विश्राम की व्यापक व्यवस्थाएं की हैं।

मंदिर परिसर इन दिनों एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है। भस्म रमाए साधु, त्रिशूल लिए अघोरी, मंत्रोच्चार और तांत्रिक अनुष्ठानों के दृश्य एक विशिष्ट अनुभव रचते हैं, जो अंबुबासी को अन्य मेलों से अलग बनाते हैं। यह मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि स्थानीय व्यवसाय, पर्यटन और परिवहन सेवाओं के लिए आर्थिक संजीवनी भी बन गया है।

मेले में पहुंचे श्रद्धालुओं की सेवा के लिए विभिन्न सामाजिक एवं शैक्षिक संगठनों द्वारा अन्य एवं जल सेवा उपलब्ध करवाया जा रहा है। वहीं हर तरफ सफाई एवं सुरक्षा की व्यवस्था चाक-चौबंद दिख रही है। यह पूरा क्षेत्र इस दौरान धर्ममय दिख रहा है।

 
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