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आईएनएस कुर्सुरा पनडुब्बी – विशाखपट्नम् के रामकृष्ण समुद्रतट पर

Date : 17-Oct-2022

 आईएनएस कुर्सुरा, भारतीय नौसेना की एक सेवामुक्त पनडुब्बी है, जिसने सन् १९७१ में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। यह आज एक विशाल व्हेल मछली के समान विशाखपट्नम् के रामकृष्ण समुद्रतट पर गर्व से खड़ी है। आर. के. समुद्रतट अथवा रामकृष्ण समुद्रतट पर खड़ी काले रंग की यह पनडुब्बी अब एक जीवंत संग्रहालय है। सेवामुक्ति के बाद इसे सार्वजनिक अवलोकन के लिए एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया है। ऊपर से देखने पर यह पनडुब्बी ऐसी प्रतीत होती है मानो समुद्र से एक विशाल मछली को बाहर निकाल कर तट पर रख दिया हो।

यह सम्पूर्ण एशिया का एक विशेष प्रकार का मौलिक पनडुब्बी संग्रहालय है। सम्पूर्ण विश्व में यह दूसरा ऐसा संग्रहालय है जिसमें आप एक जीवित पनडुब्बी के भीतर जाकर उसके विभिन्न भागों को देख सकते हैं, उसकी तकनीकी एवं क्रियाकलापों को समझ सकते हैं तथा गहरे समुद्र में बहती इस पनडुब्बी में हमारे नौसैनिकों के जीवन को समझ सकते हैं तथा स्वयं अनुभव कर सकते हैं। हो सकता है कि उनकी मनःस्थिति आप अपने भीतर शब्दशः अनुभव  न कर सकें क्योंकि जब वे इस पनडुब्बी में जाते थे तब वे शत्रुओं से अपने देश का रक्षण करते हुए अपने प्राण भी न्योछावर कर देने की मनस्थिति से जाते थे, वहीं आप एक दर्शक के रूप में उनके जीवन की कुछ झलकियाँ एवं इस पनडुब्बी का अवलोकन कर रहे हैं।

सोवियत संघ में निर्मित कुर्सुरा का निर्माण कार्य सन् १९६९ में पूर्ण हुआ तथा उसे विशाखपट्नम् लाकर भारतीय नौसेना में जोड़ा गया। सन् १९७० में भारतीय नौसेना की सेवा में उसने अपनी प्रथम यात्रा की। ३१ वर्ष भारतीय नौसेना में सेवा प्रदान करने के पश्चात २७ फरवरी २००१ में उसे नौसेना से सेवामुक्त किया गया। आज यह पर्यटन उद्योग को अपनी सेवायें प्रदान कर रही है। एक पनडुब्बी की संरचना, उसकी तकनीकी तथा उसके भीतर एक संकुचित स्थान में  अनेक दिवसों, सप्ताहों व महीनों तक हमारे नौसेनिक कैसे रहते हैं, इस विषय में सामान्य जनमानस को जानकारी प्रदान कर रही है।

पनडुब्बी संग्रहालय – विशाखापत्तनम का एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल

 

यह पनडुब्बी संग्रहालय भारत के उन विरले संग्रहालयों में से एक है जिसमें प्रचुर मात्रा में प्रलेखीकरण उपलब्ध हैं। उत्तम रीति से संरक्षित प्रदर्शनी है। इस पनडुब्बी का संचालित पर्यटन कराया जाता है। बाहर लगे एक विशाल फलक पर पनडुब्बी की कार्यप्रणाली विस्तृत रूप में दर्शाई गयी है। एक तैरती पनडुब्बी को कैसे समुद्र तल तक ले जाया जाता है, कैसे एक पनडुब्बी समुद्र के गहरे जल के भीतर, यहाँ तक कि समुद्र के तल पर ६० दिवसों जैसे लम्बे काल तक रह पाती है तथा आवश्यकतानुसार उसे वापिस जल सतह पर कैसे लाया जाता है, इनकी जानकारी दी गयी है।

इस फलक पर भारतीय में पनडुब्बियों के इतिहास की जानकारी दी गयी है। साथ ही इस विशेष प्रकार की ‘Foxtrot’ पनडुब्बी के इतिहास एवं महत्वपूर्ण आयामों के विषय में भी बताया गया है। इस पनडुब्बी रूपी संग्रहालय की भीतरी संरचना को दर्शाते रेखाचित्र हैं। पनडुब्बी को जल से बाहर लाकर एक संग्रहालय के रूप में प्रदर्शित करने के लिए किये गए प्रयासों को भी दर्शाया गया है। संग्रहालय के चारों ओर पनडुब्बी के विभिन्न महत्वपूर्ण भागों को प्रदर्शित किया गया है, समुद्री तोपगोला – टारपीडो(Torpedo), संकेतक प्लव (Indicator buoy), एक विशाल बैटरी, तैलशीतक(oil cooler), जल निकास टोटी(valve), वायुशीतक(air coolers) आदि। इन सभी के साथ इनकी कार्यप्रणालियाँ विस्तृत रूप में दर्शाई गयी हैं।

आईएनएस कुर्सुरा पनडुब्बी का भीतरी दृश्य

एक परिदर्शक आपको छोटे छोटे समूहों में पनडुब्बी के भीतर ले जाता है तथा पनडुब्बी की कार्यप्रणाली समझाता है। आप असली टारपीडो देख सकते हैं तथा उसे कैसे दागते हैं, यह भी समझ सकते हैं। आपको ऐसा आभास होगा मानो आप स्वयं एक विशाल यंत्र के भीतर पहुँच गए हैं। अत्यंत लघु शयन कक्ष, प्रसाधन कक्ष, रसोईघर व भोजन कक्ष दृष्टिगोचर होते हैं जिन्हें  नौसैनिक बारी बारी से प्रयोग करते हैं।

पनडुब्बी के भीतर इतनी बड़ी संख्या में नियंत्रक खटके या स्विच हैं कि हम यह चिंतन करने पर बाध्य हो जाते हैं कि हमारे नौसैनिक उनका स्मरण कैसे रखते हैं! किस नियंत्रण का कैसे व कब प्रयोग करना है, यह निश्चित ही एक जटिल कार्य है। एक फलक पर उन सभी अधिकारियों के नाम लिखे हैं जो इस पनडुब्बी में कार्यरत थे। साथ ही उनके द्वारा अर्जित पुरस्कार, उपाधियाँ एवं उनके गोताखोरी के उपकरणों का भी गौरवपूर्ण प्रदर्शन किया गया है।

रसोईघर में भाप निकलती इडलियाँ भी प्रदर्शित की गयी है जो अत्यंत रोचक हैं। इस संकुचित स्थान पर एक छोटा व अत्यंत औपचारिक भोजन कक्ष भी है। पनडुब्बी के अंतिम छोर पर एक सीढ़ी के द्वारा एक बचाव द्वार तक पहुंचा जा सकता है जिसका प्रयोग आपातकालीन स्थिति में किया जाता होगा।

आईएनएस कुर्सुरा पनडुब्बी का अवलोकन आपको अत्यंत भावविभोर कर देगा। आप शत्रुओं से हमारी समुद्री सीमाओं का रक्षण करते इन नौसैनिकों का जीवन, परिश्रम एवं समर्पण देख कर उनके प्रति कृतज्ञ हुए बिना नहीं रह पायेंगे।

 

समुद्र के तट पर उत्तम रूप से संरक्षित पनडुब्बी को उतने की मनमोहक परिवेश में इतनी कुशलता से प्रदर्शित किया है कि आप उसकी प्रशंसा करते नहीं थकेंगे। समुद्र में उठती लहरों को देख कर भी ऐसा प्रतीत होता है मानो वे इस पनडुब्बी को पुनः अपनी गोद में समेटने को व्याकुल हैं।

 

यदि आप विशाखपट्नम् की यात्रा कर रहे हैं तो इस संग्रहालय के अवलोकन के लिए समय अवश्य निकालें। हमारे नौसैनिकों के जीवन तथा देश के प्रति उनके समर्पण को समीप से जानने का यह एक स्वर्णिम अवसर है। साथ ही एक पनडुब्बी को भीतर-बाहर से देखने व समझने का भी उत्तम अवसर है। ऐसा अवसर हमें सहज ही प्राप्त नहीं होता है। इस अवसर का लाभ अवश्य उठायें।

लेखक - मधुमिता ताम्हणे

 
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