महाभारत काल से जुड़ी है जौनसारी संस्कृति | The Voice TV

Quote :

पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है - अज्ञात

Travel & Culture

महाभारत काल से जुड़ी है जौनसारी संस्कृति

Date : 15-May-2024

 महाभारत काल से जुड़ी है जौनसारी संस्कृति

 

 जौनसारी लोगों का एक छोटा समुदाय है जो मुख्य रूप से पश्चिमी हिमालय की तलहटी में रहते हैं। उत्तराखंड में जौनसारी जनजातियाँ जौनसार-बावर क्षेत्र में निवास करती हैं जो हिमाचल सीमा के करीब है। इस जनजाति की उत्पत्ति महाभारत के पांडवों से मानी जाती है। जौनसारी समुदाय की बोली को जौनसारी के नाम से भी जाना जाता है और उनकी संस्कृति उत्तराखंड के गढ़वाली और कुमाऊंनी समुदाय से थोड़ी अलग है। जौनसार-बावर का क्षेत्र देहरादून की चकराता तहसील के अंतर्गत आता है जो ऐतिहासिक स्थलों के साथ शानदार सुंदरता को समेटे हुए है।

 

मूल रूप से जौनसार संस्कृति महाभारत काल के पांडवों से निकली जड़ों से जुड़ी हुई है | देहरादून के उत्तर-पश्चिम में चकराता तहसील में जौनसार-बावर के दो प्रमुख क्षेत्रों में जौनसार जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं |

यमुना और टोंस नदी के मध्य स्थित लाखा मंडल, बैराजगढ़ और हनोल जैसे क्षेत्रों में यह जनजाति निवास करती है | जौनसार समुदाय के लोग खुद को पांडवों के वंशज मानते हैं, जिन्हें ‘पाशि’ कहा जाता है और बावर के लोगों को दुर्योधन का वंशज यानी ‘षाठी’ कहा जाता है. जौनसार क्षेत्र का लोकनृत्य ‘बारदा नाटी’ और ‘हारूल’ है. वहीं, यहां का प्रमुख मेला ‘मेघ मेला’ है |

 
 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement