केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को आणंद में त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय का शिलान्यास करते हुए कहा कि आने वाले समय में सहकारी गतिविधियों का विस्तार होना तय है। टैक्सी सेवा और बीमा सेवा जैसे क्षेत्रों में सहकारी मॉडल लागू करने की योजना के अंतर्गत इस विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता होगी, जो यहीं से प्राप्त हो सकेगा।
केंद्र सरकार के मौजूदा बजट में इस विश्वविद्यालय की घोषणा के मात्र चार माह के भीतर यह महत्वाकांक्षी शैक्षणिक संस्थान कार्यान्वयन की दिशा में अग्रसर है। इसके शिलान्यास के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे।
समारोह को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना गरीब और ग्रामीण लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। मंत्रालय ने देशभर के 16 प्रमुख सहकारी नेताओं से संवाद कर उनके सुझाव लिए हैं। सहकारी क्षेत्र में मौजूद खामियों की पहचान कर उनके विकास हेतु सात नए कदम लागू किए गए हैं। इन पहलों का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को अधिक पारदर्शी, लोकतांत्रिक और समावेशी बनाना है।
शाह ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना सहकारी क्षेत्र की सभी खामियों को दूर करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। यह विश्वविद्यालय 125 एकड़ में लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जा रहा है। यह नीति निर्माण, डेटा विश्लेषण, अनुसंधान और दीर्घकालिक विकास रणनीति बनाने का कार्य करेगा।
भारत में 40 लाख कर्मचारी और 80 लाख बोर्ड सदस्य सहकारी गतिविधियों से जुड़े हैं, जो लगभग 30 करोड़ लोगों को—अर्थात् हर चौथे भारतीय को—इस आंदोलन से जोड़ते हैं। बावजूद इसके अब तक इनके प्रशिक्षण के लिए कोई सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं थी, जिसे यह विश्वविद्यालय दूर करेगा।
यह विश्वविद्यालय केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं, बल्कि त्रिभुवनदास पटेल जैसे समर्पित सहकारी नेताओं को भी तैयार करेगा। शाह ने विश्वास जताया कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षित लोग सहकारी संस्थाओं में नियुक्त होंगे, जिससे भर्ती प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद के आरोप समाप्त होंगे और पारदर्शिता बढ़ेगी। विश्वविद्यालय तकनीकी कौशल, लेखा दक्षता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सहकारी संस्कारों का प्रशिक्षण देगा।
उन्होंने त्रिभुवनदास पटेल के योगदान को याद करते हुए बताया कि 1946 में उन्होंने खेड़ा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की स्थापना की थी, जो आज अमूल ब्रांड के रूप में विश्व की सबसे प्रतिष्ठित ब्रांड बन चुकी है। 36 लाख महिलाओं के माध्यम से 80,000 करोड़ रुपये का व्यवसाय अमूल करती है। यह पहल पॉलसन्स डेयरी के अन्याय के खिलाफ लड़ाई से प्रारंभ हुई थी।
यह विश्वविद्यालय सहकारी गतिविधियों को ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा बनाएगा। यह नवाचार, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहन देगा और देशभर में दो लाख नई सहकारी समितियों के निर्माण जैसी योजनाओं को ज़मीन पर लाएगा। शाह ने देशभर के सहकारी विशेषज्ञों से इस विश्वविद्यालय से जुड़ने और योगदान देने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय को त्रिभुवनदास पटेल का नाम दिया जाना एक उपयुक्त निर्णय है। केंद्र सरकार ने राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए यह नामकरण किया है। जब त्रिभुवनदास पटेल ने अमूल से सेवानिवृत्ति ली, तब 6 लाख महिलाओं ने उन्हें एक-एक रुपया देकर 6 लाख रुपये की भेंट दी थी, जिसे उन्होंने सेवाभाव के लिए दान कर दिया था। डॉ. वर्गीज़ कुरियन को उन्होंने ही उच्च शिक्षा हेतु विदेश भेजा था। डॉ. कुरियन का योगदान भी अतुलनीय है।
अमित शाह और भूपेन्द्र पटेल समेत अन्य विशिष्टजनों ने एनसीईआरटी के सहकारिता विषय पर दो शिक्षण मॉड्यूल का विमोचन किया। शाह ने सुझाव दिया कि ऐसे मॉड्यूल को गुजरात के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने इस अवसर पर कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहकारी दिवस के अवसर पर त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय भारत के सहकारी इतिहास में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह देश की पहली सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में सहकारी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा।
इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल और मुरलीधर मोहोल, गुजरात विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल, सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, आनंद के सांसद मितेशभाई पटेल, नडियाद के सांसद देवूसिंह चौहान, विधानसभा के उप मुख्य सचेतक रमणभाई सोलंकी, जिला पंचायत अध्यक्ष हसमुखभाई पटेल, आनंद के विधायकगण योगेशभाई पटेल, कमलेशभाई पटेल, चिरागभाई पटेल, विपुलभाई पटेल, नडियाद के विधायक पंकजभाई देसाई, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास, एन.डी.डी.बी. के अध्यक्ष मिनेशभाई शाह समेत एन.डी.डी.बी. व ईरमा के प्राध्यापक, अधिकारीगण, किसान और पशुपालक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।