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" लक्ष्य निर्धारण एक सम्मोहक भविष्य का रहस्य है " -टोनी रॉबिंस

Travel & Culture

शुभारम्भ - कश्मीर यात्रा का

Date : 31-Oct-2022

 
कश्मीर के बारे में किसी लेखक ने कहा है की "यदि स्वर्ग कही तो वो यही है, यही है "।  वैसे स्वर्ग तो किसी ने नहीं देखा होगा, यदि होगा तो कश्मीर की धरती जैसा ही होगा क्योकि इस प्रदेश की धरती पर प्राकृतिक सुन्दरता चहुँ ओर बिखरी पड़ी हुई है । "जम्मू और कश्मीर राज्य" पर्यटन द्रष्टि से देश के महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, जो भारत की उत्तरी दिशा में हिमालय पर्वत श्रंखला गोद में स्थित है । ये एक सीमांत प्रदेश है, जिसके एक तरफ (उत्तर और पश्चिम)  पाकिस्तान, अफगानिस्तान और दूसरी तरफ (पूर्व दिशा) चीन स्थित है । इस राज्य के बारे में और अधिक जानने के लिए ब्लॉग इस पेज जम्मू & कश्मीर  पर जाइए । सौभाग्य से कई सालो के बाद हमे भी राज्य का भ्रमण का मौका हमारे हाथ लगा सो हमने भी इस राज्य का भ्रमण कर लिया । ये यात्रा में मैंने जून -2015 में पूर्ण की गयी थी । लीजिये आपके सामने प्रस्तुत है इस कश्मीर यात्रा का प्रथम भाग ।
इस बार यात्रा में जाने के लिए हम लोगो ने मध्य भारत में मुंबई, खंडाला-लोनावाला, पुणे और महाबलेश्वर का मन बनाया और इस वावद सूचनाये जुटाने भी लगे की कहाँ-कहाँ पर कैसे घूमना है उसकी रूपरेखा भी तैयार की जानेलगी । उस तरफ के रहने वाले मित्रो से जानकारी ली तो पता चला की जून के अंतिम सप्ताह में उस तरफ बारिश बहुत होती है और गर्मी उमस भी ।  सो अब उधर कार्यक्रम फिर कभी पर छोड़कर किसी नई जगह को तलाशना शुरू किया तो कश्मीर यात्रा का ख्याल दिल में आ गया ।

वैसे पिछले कई वर्षो से कश्मीर भ्रमण का ख्याल हमारे मन चला आ रहा था, पर सुरक्षा की द्रष्टि से कश्मीर घाटी में घटित होती उग्रवाद की घटनाये और प्राकृतिक आपदाओ ने हमारे कदम रोके रखे थी । इस साल घाटी में शांत माहौल को देखते हुए हम लोगो ने इस कश्मीर यात्रा का पूरा करने का अपना निर्णय पक्का कर लिया । इस सम्बन्ध में हमेशा की तरह अपने भाइयो से सलाह ली गयी । खूबसूरत और विश्व प्रसिद्ध कश्मीर की यात्रा की योजना बनती देख, इस बार हम चारो भाइयो का परिवार सहित, एक रूपता से इस यात्रा पर जाने का निर्णय पक्का हो गया । कश्मीर यात्रा का निर्णय हो जाने के बाद जून-२०१५ के अंतिम सप्ताह की एक निश्चित तिथि (23जून2015) के लिए इस यात्रा पर जाने के लिए उत्तर सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस की थ्री टायर वातानुकूलित श्रेणी में टिकिट की उपलब्धता को देखते हुए दो महीने पहले ही सभी यात्री सदस्यों का नई दिल्ली से उधमपुर तक आने व् उधमपुर से नई दिल्ली तक वापिसी का आरक्षण सफलतापूर्वक करा लिया गया । जाने के टिकिट हमारी उत्तर सम्पर्क क्रांति (12445/Uttar Samprak Kranti नई दिल्ली से माता वैष्णो देवी) ट्रेन से और वापिसी का टिकिट (29 जून 2015)  उसी उत्तर सम्पर्क क्रांति (12446/Uttar Samprak Kranti माता वैष्णो देवी से नई दिल्ली ) ट्रेन से हुई ।
 
मेरे एक ब्लोगर मित्र है श्री मुकेश भालसे जी, जो की इंदौर के पास ही के रहने वाले है । श्री मुकेश भालसे एक एक प्रसिद्ध यात्रा ब्लोगर लेखक के साथ ही साथ बहुत ही सज्जन व्यक्तित्व मालिक भी है । श्री मुकेश जी Travel India with Mukesh के नाम से एक ब्लॉग संचालित करते है जो आंग्ल और हिंदी दोनों भाषा में है। हमारी मित्रता ब्लॉग के यात्रा लेखो के माध्यम से हुई थी । श्री मान मुकेश जी धर्म पत्नी श्रीमति कविता भालसे जी भी एक प्रसिद्ध यात्रा व् उपन्यास लेखिका है । एक दिन फेसबुक पर कविता जी को अपने कश्मीर यात्रा के कार्यक्रम से अवगत करवाया और कहा की आप लोग चाहो तो हमारे साथ इस यात्रा में चलने का कार्यक्रम बना लो । कविता जी ने शाम को मुकेशजी बात करके बताने को कहा, शाम को मुकेश जी का मेरे फोन आ गया और  उन्होंने हमारे इस यात्रा के बारे में जानकारी ली और सहर्स परिवार सहित चलने को तैयार हो गये । मुकेश जी ने हमारे कार्यक्रम अनुसार इंदौर से ट्रेन से अपने व् आने और जाने की टिकिट जम्मू तक करवा ली । इस बीच विचार आदान प्रदान होने लगे और अपने स्थानीय शहर से जाने की योजना (Itinerary) बनने लगी, मेरी आगरा से, मुकेश जी इंदौर-रतलाम से और मेरे भाइयो की दिल्ली से । हम सब लोगो की आपस की सलाह से सम्पूर्ण यात्रा योजना बन चुकी थी, अब प्रतीक्षा थी निश्चित यात्रा तिथि (2015) की ।

इस कश्मीर यात्रा के लिए मुकेश जी को हमसे एक दिन (22जून2015) पहले निकलना था, क्योकि उनकी टिकिट इंदौर- जम्मूतवी (Train No.22941) सुपरफास्ट एक्सप्रेस से थी । इंदौर से इस ट्रेन के चलने का समय रात 11:55 बजे का है और दूसरे दिन जम्मू पहुँचने का समय अल सुबह 1:20 बजे है। जम्मू से आगे मुकेश जी को सुबह 6:45 पर उत्तर सम्पर्क क्रांति से हम लोगो के साथ उधमपुर तक की यात्रा करनी थी । निश्चित तिथि को मुकेश जी ने परिवार सहित अपनी यात्रा प्रारम्भ कर दी, फोन पर ही हमने उनकी इस यात्रा के लिए शुभकामनाये भी दे दी । 

यात्रा पहला दिन
मेरी यात्रा आगरा से प्रारम्भ होनी थी और योजनानुसार पहले मुझे आगरा से छोटे भाई के घर ग़ाज़ियाबाद पहुँचना था और वहां से टैक्सी से रात को नई दिल्ली स्टेशन, जहाँ से उधमपुर के लिए सम्पर्क क्रांति ट्रेन नई दिल्ली से रात के 08:50 बजे थी । सो निश्चित तिथि (23 जून 2015) पर 5 बजे सुबह हम लोग अपने घर से निकल लिए,  सुबह के समय एक ऑटो मुश्किल से मिला और उसी से आगरा के राजामंडी स्टेशन पहुँच गये । राजामंडी आगरा शहर के समीप का तीसरा मुख्य स्टेशन है । ये आगरा दिल्ली लाइन पर दो प्लेटफार्म का छोटा स्टेशन है, प्लेटफार्म पर एक आगरा का प्रसिद्व चामुंडा देवी का मंदिर भी है । इस मन्दिर से लोगों की आस्था इतनी जुडी हुई है की प्लेटफार्म के विस्तार करने में इसे किसी भी हाल में वहां से स्थान्तरित नही किया गया । दैनिक यात्री माता को नमन किये बिना अपनी यात्रा शुरू नही करते । यहाँ से हम लोगो को आगरा कैंट-नई दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस (14211/Agra Cantt. - New Delhi Intercity Express) से नई दिल्ली जाना था, टिकिट रेलवे के साईट से ऑनलाइन ही बुक करवा ली गयी थी सो टिकिट लाइन में लगने का झंझट नहीं था। ट्रेन अपने सही समय 6:08 मिनट पर स्टेशन पर आ गयी । ट्रेन में इस समय अत्यधिक भीड़ थी, निर्धारित डिब्बे में चढ़ने के बाद अपनी सीट खाली करवा के अपनी यात्रा शुरू की । ट्रेन के नई दिल्ली पहुँचने का समय सुबह 10:20 बजे का था पर ट्रेन लेट हो जाने के कारण 12:00 बजे नई दिल्ली पहुंचे । नई दिल्ली से अब हमे ग़ाज़ियाबाद पहुँचना था, सो काउंटर से जानकारी ली और टिकिट लेकर एक ई.एम.यू  से डेढ़ बजे के आसपास गाजियाबाद स्टेशन पहुंचे । वहां से एक ऑटो से अपने छोटे भाई के लाल कुआँ नाम की जगह पर एक टाउनशिप में स्थित आवास पर पहुँच गये ।

दिन भर आराम किया और सफर की तैयारी, क्योकि बच्चो के साथ होने के कारण काफी कुछ तैयारी करनी पड़ती है, जैसे कपड़े, दवाइयां, छाता, टोर्च, सूखा नाश्ता और सफ़र के लिए खाना । सफ़र में ट्रेन मैं बैठकर खाना - खाने का अलग ही मजा है। शाम को 7:00 बजे के आसपास एक टैक्सी से नई दिल्ली स्टेशन के लिए चल दिए । दिल्ली और एन.सी.आर. का जाम बड़ा बेहाल, जाम के कारण थोडा लेट हो गये पर सवा आठ बजे के आसपास हम लोग नई दिल्ली स्टेशन पहुँच गये । दिल्ली की गर्मी में हाल बेहाल था, उमस भी बहुत थी और हवा तो चल ही नही थी । प्लेटफार्म पर उत्तर सम्पर्क क्रांति (12445/Uttar Samprak Kranti नई दिल्ली से माता वैष्णो देवी) ट्रेन चलने के तैयार खड़ी थी, कुछ देर में मेरा सबसे छोटा भाई अनुज भी गुड़गाँव से आ गया। वातानुकूलित शयनयान में निर्धारित सीट पर अपना कब्जा जमाया और सामान को सीट के नीचे व्यवस्थित किया। गाड़ी सही समय रात 8:50 बजे अपने गन्तव्य के रवाना हो ली । इस बीच मुकेश जी का भी हालचाल और उनकी स्थिति की जानकारी भी ली अपने गाड़ीबैठने की सूचना भी दे दी । साढ़े दस बजे के आसपास हमलोगों ने खाना खाया और बिस्तर लगाकर गहरी निद्रा में चले गये ।

यात्रा दूसरा दिन
सुबह 5:20 बजे के आसपास आँख खुली तो इस समय गाड़ी कठुआ से पहले एक माधोपुर (पंजाब) नाम के एक स्टेशन पर खड़ी हुई थी । ये इस गाड़ी का ठहराव नहीं था, पर किसी न किसी कारण से गाड़ी यहाँ रुकी हुई और लेट भी हो गयी थी, खैर गाड़ी कुछ देर बाद में चल दी । जम्मू स्टेशन आने वाला था और मुकेश जी गाड़ी में हमारे साथ उधमपुर तक चलने वाले थे । उनसे बात करने के लिए मोबाईल फोन उठाया तो देखा की फोन से नेटवर्क गायब था क्योकि जम्मू कश्मीर राज्य में प्रीपेड सिम काम नही करती केवल पोस्टपेड फोन ही काम करते है, खैर छोटे भाई के फ़ोन से मुकेश जी को फोन करके स्थिति का जायजा लिया तो मुकेश जी जम्मू स्टेशन पर तैयार थे । सुबह के सात बजे जम्मू स्टेशन पर पहुँच गयी, इस समय मैं गेट पर ही खड़ा था, दूर से मुकेश जी दौड़ते हुए हमारे डिब्बे के तरफ आते हुए दिखाई दिए ।

अब इस लेख को यही समाप्त करते है मिलते कश्मीर यात्रा के एक नये लेख साथ ।शा करता हूँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा, यदि अच्छा लगे तो टिप्पणी के माध्यम से विवेचना जरुर करे। जल्द ही मिलते है, इस श्रृंखला के अगले लेख के साथ, तब तक के लिए आपका सभी का धन्यवाद  !
 
 
 
लेखक - रितेश गुप्ता 
 

 

 
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